संदर्भ :

हाल ही में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हाइड्रोजन की लागत कम करने हेतु घरेलू निर्माताओं की सौर मॉड्यूल शॉर्टलिस्ट से निर्यात-उन्मुख ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को छूट दी है।            

अन्य संबंधित जानकारी:

  •  विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) या निर्यातोन्मुख इकाई (EOU) के अंदर स्थित और विशेष रूप से ग्रीन हाइड्रोजन (या इसके डेरिवेटिव) के उत्पादन संयंत्रों के लिए बिजली की आपूर्ति करने वाले नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों को सौर पीवी मॉड्यूल हेतु मॉडल और निर्माताओं की अनुमोदित सूची (ALMM) के दायरे से छूट दी जाएगी, जिसे MNRE द्वारा सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल के अनुमोदित मॉडल और निर्माता (अनिवार्य पंजीकरण हेतु आवश्यकताएं) आदेश, 2019 के तहत जारी किया गया था, यह इस वर्ष के आरंभ में मई में किया गया था।
  • ALMM के तहत सौर परियोजना डेवलपर्स को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने हेतु अनुमोदित सूची से मॉड्यूल खरीदने की आवश्यकता होती है।

ग्रीन हाइड्रोजन 

  • MNRE ने ग्रीन हाइड्रोजन को वेल-टू-गेट उत्सर्जन (अर्थात, जल उपचार, इलेक्ट्रोलिसिस, गैस शुद्धिकरण, ड्राइंग और हाइड्रोजन का संपीडन सहित) के रूप में परिभाषित किया है, जो कि 2 kg CO2 eq/kg H2 से अधिक नहीं है।

ग्रे हाइड्रोजन      

  • ग्रे हाइड्रोजन को प्राकृतिक गैस या मेथेन से भाप मेथेन रूपांतरण का उपयोग करके निर्मित किया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया में बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है।
  • विशेष आर्थिक क्षेत्र किसी देश के भीतर निर्दिष्ट विशेष क्षेत्र होते हैं जिनके व्यवसाय और व्यापार संबंधी नियम अलग-अलग होते हैं।
  • क्रिसिल डेटा के अनुसार जून 2024 में औसत घरेलू हरित हाइड्रोजन मॉड्यूल अपने आयातित समकक्षों की तुलना में कम से कम दोगुने महंगे हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन की लागत कम करने का महत्व:

  • भारत में विभिन्न हाइड्रोजन सुविधाओं द्वारा ग्रीन हाइड्रोजन की लागत कम करने से निर्यात को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। 
  • ग्रीन हाइड्रोजन की कम लागत के कारण ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरेवेटिव की मांग को बढ़ाना स्वतः ही बहुत आसान हो जाता है।
  • भारत ने 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और 2070 तक शुद्ध शून्य ऊर्जा का लक्ष्य घोषित किया है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में ग्रीन हाइड्रोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होने की उम्मीद है।          

घरेलू ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देने की पहल

  • MNRE के ALMM आदेश के अनुसार, इस वर्ष 1 अप्रैल से अधिकांश सौर परियोजनाओं को घरेलू निर्माताओं से मॉड्यूल प्राप्त करना होगा।    
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने ग्रीन हाइड्रोजन की लागत को कम कर दिया है, जिससे कि इसे ग्रे हाइड्रोजन के लागत स्तर तक लाया जा सके।
  • ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं को पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता से भी छूट दी गई है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं के लिए ट्रांसमिशन शुल्क कमीशन की तारीख से 25 वर्षों के लिए माफ कर दिया गया है।

भारत में ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन की वर्तमान स्थिति:

  • वर्तमान में, ग्रे हाइड्रोजन के साथ प्रतिस्पर्धा के कारण भारत और अन्य देशों में ग्रीन हाइड्रोजन को बड़े पैमाने पर अपनाना कठिन हो गया है।
  • भारत 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करने की राह पर है।
  • SIGHT कार्यक्रम NGHM के अंतर्गत एक प्रमुख वित्तीय उपाय है।
  • इसका उद्देश्य भारत में घरेलू इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को बढ़ावा देना है।

राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM)

  • भारत ने जनवरी 2023 में राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) लॉन्च किया।
  • भारत ने 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने  हेतु 2047 तक ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य घोषित किया है।
  • मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरेवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।  
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस मिशन के लिए एक नोडल निकाय है।

लक्ष्य:

  • 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संचयी कमी लाना।
  • 2030 तक वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 MMT की कमी लाना।

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