संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 2: भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा समझौते।
संदर्भ:
यूरोपीय संघ (EU) और भारत ने समुद्री प्रदूषण और अपशिष्ट से नवीकरणीय हाइड्रोजन समाधान के लिए नवीन अनुसंधान समाधान खोजने के लिए सहयोग किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने भारत-EU व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC) के तहत दो प्रमुख अनुसंधान और नवाचार पहल शुरू की हैं।
इस पहल में कुल 41 मिलियन यूरो (394 करोड़ रुपए) का निवेश शामिल है ।

इस कार्यक्रम का समन्वय यूरोपीय संघ के होराइजन यूरोप कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है तथा इसे भारतीय मंत्रालयों द्वारा सह-वित्तपोषित किया जा रहा है:
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE)
इस पहल का उद्देश्य यूरोपीय संघ और भारत दोनों के शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और उद्योगों को एक साथ लाना है।
इस पहल का उद्देश्य वैश्विक प्रभाव वाले टिकाऊ और मापनीय (scalable)समाधान विकसित करना है।
पहला आह्वान : समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना।
दूसरा आह्वान: अपशिष्ट से नवीकरणीय हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करना।
परिणामी अनुसंधान वैश्विक प्रयासों में योगदान देगा, जिसमें सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र महासागर विज्ञान दशक जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का समर्थन शामिल है, तथा यह यूरोपीय संघ की शून्य प्रदूषण कार्य योजना और भारत की राष्ट्रीय समुद्री कूड़ा नीति के उद्देश्यों में योगदान देगा।
विशेषता | समुद्री प्रदूषण पर आह्वान | जैवजनित अपशिष्टों से हाइड्रोजन प्राप्त करने का आह्वान |
कुल बजट | · भारत/ MoES: 90 करोड़ रुपये· यूरोपीय संघ: 12 मिलियन यूरो | · भारत/ MNRE: 90 करोड़ रुपये· यूरोपीय संघ: 10 मिलियन यूरो |
दायरा | · समुद्री प्रदूषण को समाप्त करना, इसके संचयी प्रभाव और जलवायु परिवर्तन से संबंध | · जैवजनित अपशिष्टों (कृषि, वानिकी, नगरपालिका, सीवेज कीचड़, औद्योगिक) से टिकाऊ नवीकरणीय हाइड्रोजन उत्पादन के लिए संयुक्त नवाचार। |
फोकस क्षेत्र / प्रमुख प्रौद्योगिकियां | · समुद्री सूक्ष्म/नैनो प्लास्टिक और प्रदूषकों का पता लगाने के लिए उपकरण· जोखिम और इकोटॉक्सिकोलॉजिकल मूल्यांकन· जैवसंचय और मानव स्वास्थ्य जोखिम· अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण· स्रोत पर शमन तकनीक | · उन्नत उत्प्रेरक· प्रक्रिया गहनता· फीडस्टॉक उपचार· विद्युत-रासायनिक, जैविक, उत्प्रेरक विधियाँ |
लक्ष्य | · मूल्यांकन उपकरण· नीति के लिए वैज्ञानिक इनपुट· समुद्री प्लास्टिक का शमन और कमी· मजबूत यूरोपीय संघ-भारत सहयोग | · उच्च कार्बन-से-हाइड्रोजन उपज· कम/नकारात्मक GHG उत्सर्जन· लागत में कमी· पर्यावरणीय प्रभाव न्यूनीकरण |
अपेक्षित परिणाम | · नये विश्लेषणात्मक उपकरण· नीति के लिए वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि· मजबूत यूरोपीय संघ-भारत सहयोग | · टिकाऊ और किफायती हाइड्रोजन· विस्तारित प्रौद्योगिकी आधार· ज्ञान साझाकरण और सहयोग |
भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (TTC)
TTC की स्थापना 2022 में भारतीय प्रधानमंत्री और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष द्वारा व्यापार और प्रौद्योगिकी पर द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने के लिए की गई थी।
TTC भारत द्वारा किसी भागीदार के साथ स्थापित किया गया पहला ऐसा मंच है और EU-US TTC के बाद EU के लिए दूसरा मंच है।
- TTC AI, 6G और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।
यूरोपीय संघ-भारत अनुसंधान और नवाचार (R&I) सहयोग एक दीर्घकालिक और रणनीतिक साझेदारी है, जो 2001 के वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग समझौते पर आधारित है और हाल ही में 2020 में नवीनीकृत की गई है।