संदर्भ:
2023-24 की तुलना में 2024-25 में संयुक्त रूप से पूर्वी और पश्चिमी माल ढुलाई गलियारों से हुए मालगाड़ी परिचालन में 47% की वृद्धि दर्ज की गई है।
अन्य संबंधित जानकारी
- रेल यात्राओं की संख्या 2023-24 में 88,225 से बढ़कर 2024-25 में 1,30,116 हो गई है।
- हालाँकि, 2024-25 में खाली ट्रेन यात्राएँ लगभग 34% थीं, जिसका मुख्य कारण कोयला और सीमेंट के वैगनों का खाली लौटना था, क्योंकि उनका उपयोग अन्य उत्पादों के लिए नहीं किया जा सकता था।
- 2024-25 में कुल यात्राओं में, कंटेनर उत्पादों की हिस्सेदारी 24%, कोयले का 19% और विविध वस्तुओं की 11% थी, जबकि अन्य वस्तुएँ, जैसे सीमेंट और क्लिंकर, लोहा और इस्पात, खाद्यान्न, उर्वरक, और POL (पेट्रोलियम, तेल और स्नेहक की हिस्सेदारी 1 से 4% के बीच थी।
समर्पित माल ढुलाई गलियारों (DFCs) के बारे में

- DFCs केवल माल ढुलाई के लिए समर्पित विशिष्ट रेलवे कॉरिडोर हैं, जिन्हें तेज़, भारी और लंबी मालगाड़ियों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यहाँ से डबल-स्टैक कंटेनर ट्रेनों (विशेषकर WDFC पर), भारी एक्सल लोड ट्रेन (32.5 टन तक) गुजरते हैं, और यात्री मार्गों पर भीड़भाड़ को कम करते हैं।
- इससे मार्ग के आर्थिक केंद्रों पर स्थित उद्योग जगत के अग्रणियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला में सुधार होता है, जिससे निर्यात-आयात यातायात में भी वृद्धि होती है।
- वर्तमान में, दो समर्पित माल ढुलाई गलियारे हैं जिनका निर्माण और संचालन DFCCIL द्वारा किया जाता है।
- पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (EDFC):
- 1,337 किलोमीटर लंबा पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारापंजाब के लुधियाना से बिहार के सोननगर तक है। यह 100% परिचालन में है।
- ईडीएफसी मार्ग पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों से होकर गुजरता है।
- पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (WDFC):
- 1,506 किलोमीटर लंबा पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियाराउत्तर प्रदेश के दादरी से मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल तक है।
- वर्तमान में, 1404 किलोमीटर, यानी 93.2%, रेल संचालन के लिए इसका उपयोग किया जाता है। वैत्राणा से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) तक शेष 102 किलोमीटर का हिस्सा दिसंबर 2025 से चालू होगा।
- WDFC उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरता है।
महत्व
- परिचालन दक्षता: समर्पित माल ढुलाई गलियारे से माल ढुलाई लागत में 30-40% की कमी आने की उम्मीद है, जिससे रसद/लॉजिस्टिक्स लागत (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 13-14%) वैश्विक मानकों (8-9%) के करीब पहुँच जाएगी।
- गति में वृद्धि: डीएफसी की औसत गति 60 किमी प्रति घंटा है, जबकि भारतीय रेलवे पर माल ढुलाई सेवा की औसत गति 20 किमी प्रति घंटा है।
- विकास के अवसर: डीएफसी रेलवे को अपनी माल ढुलाई हिस्सेदारी 25% से बढ़ाकर 40% करने में सक्षम बना सकते हैं।
- सुव्यवस्थित रेलवे: ये 50-70% माल रेलगाड़ियों को चलाकर रेलवे नेटवर्क पर भीड़भाड़ कम कर सकते हैं।
- सतत प्रभाव: डीएफसी अगले 30 वर्षों में कार्बन उत्सर्जन में 450 मिलियन तक की कटौती कर सकते हैं।
भारतीय समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम लिमिटेड (DFCCIL)
- DFCCIL रेल मंत्रालय की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है, जो कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत है और 30 अक्टूबर 2006 को निगमित की गई थी।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य समर्पित माल ढुलाई रेलवे लाइनों की योजना बनाना, उनका निर्माण करना, संचालन और रखरखाव करना है।