संदर्भ:
हाल ही में, आईआईटी दिल्ली स्थित ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंजूरी प्रिवेंशन (TRIP) सेंटर द्वारा सड़क सुरक्षा पर भारत स्थिति रिपोर्ट 2024 (“India Status Report on Road Safety 2024”) जारी की गई।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह रिपोर्ट सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने में भारत की धीमी प्रगति पर प्रकाश डालती है।
- यह रिपोर्ट सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक विभेदित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करती है तथा सड़क निर्माण, गतिशीलता और सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के बीच संबंध पर जोर देती है।
- इस रिपोर्ट में छह राज्यों में दर्ज एफआईआर के आंकड़ों और उच्चतम न्यायालय के सड़क सुरक्षा निर्देशों के साथ राज्यों के अनुपालन के ऑडिट का उपयोग करके भारत में सड़क सुरक्षा का विश्लेषण किया गया है।
- इसमें सड़क यातायात मृत्यु दर, मोटरसाइकिल चालकों की अरक्षितता तथा ट्रकों से होने वाली दुर्घटनाओं में उच्च मृत्यु दर में असमानताओं पर प्रकाश डाला गया है।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष
- अधिकांश भारतीय राज्यों द्वारा वर्ष 2030 तक सड़क सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र दशक के कार्य लक्ष्य को पूरा करना संभव नहीं है, जिसके तहत यातायात दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को आधा करना है।
- दिव्यांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years-DALYs) के अनुसार, वर्ष 2021 में सड़क दुर्घटनाएं मृत्यु का 13वां प्रमुख कारण और स्वास्थ्य हानि का 12वां प्रमुख कारण थीं।
अंतर-राज्यीय असमानता के संदर्भ में, प्रति व्यक्ति मृत्यु दर राज्यों के बीच तीन गुना से अधिक भिन्न है।
- वर्ष 2021 में, तमिलनाडु (21.9), तेलंगाना (19.2), और छत्तीसगढ़ (17.6) में प्रति 100,000 लोगों पर सबसे अधिक दरें थीं, जबकि पश्चिम बंगाल और बिहार में सबसे कम 5.9 प्रति 100,000 दर्ज की गईं।
- भारत में होने वाली यातायात दुर्घटनाओं में से लगभग आधी मौतें छह राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु में होती हैं।
सड़क सुरक्षा हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक
- सड़क सुरक्षा हेतु संयुक्त राष्ट्र कार्रवाई दशक 2021-2030 एक संयुक्त राष्ट्र संकल्प है जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सड़क यातायात चोटों और मौतों को 50% तक कम करना है।
- इस संकल्प को अगस्त 2020 में महासभा (UNGA) द्वारा अपनाया गया था।
- रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पैदल यात्री, साइकिल चालक और मोटर चालित दोपहिया वाहन चालक सड़क दुर्घटनाओं के सबसे आम शिकार हैं, जबकि ट्रकों के कारण सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं।
- केवल आठ राज्यों ने अपने राष्ट्रीय राजमार्गों की आधी से अधिक लंबाई का लेखा-परीक्षण किया है तथा बहुत कम राज्यों ने अपने राज्य राजमार्गों के लिए ऐसा किया है।
भारत की वैश्विक सड़क सुरक्षा स्थिति
- रिपोर्ट में भारत और स्वीडन तथा अन्य स्कैंडिनेवियाई देशों जैसे विकसित देशों के बीच गंभीर तुलना प्रस्तुत की गई है, जिन्होंने सड़क सुरक्षा प्रशासन में उत्कृष्टता हासिल की है।
- वर्ष 1990 में, इन देशों के लोगों की तुलना में किसी भारतीय की सड़क दुर्घटना में मरने की संभावना 40% अधिक थी।
- वर्ष 2021 तक यह आंकड़ा 600% तक बढ़ गया, जो सड़क दुर्घटना में मृत्यु में तीव्र वृद्धि दर्शाता है।
सड़क सुरक्षा में चुनौतियाँ
- भारत की राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा डेटा प्रणालियाँ सार्वजनिक नीति के मार्गदर्शन के लिए अपर्याप्त हैं।
- वर्तमान में, देश में कोई राष्ट्रीय दुर्घटना-स्तरीय डेटाबेस नहीं है तथा राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर सड़क सुरक्षा के आंकड़े व्यक्तिगत पुलिस स्टेशन के रिकॉर्ड से संकलित किए जाते हैं, जिनमें अक्सर पीड़ित के परिवहन के साधन जैसे प्रमुख परिवर्ती कारकों (variables) के बारे में गलत जानकारी होती है।
- ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) अध्ययन और सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) से पता चलता है कि इन अभिलेखों में अक्सर पीड़ित के परिवहन के साधन जैसे प्रमुख परिवर्ती कारकों (variables) [जो सड़क सुरक्षा प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है] के बारे में गलत जानकारी होती है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल सात राज्यों में 50% से अधिक मोटर चालित दोपहिया वाहन चालक हेलमेट पहनते हैं, जबकि इस साधारण सुरक्षा उपाय से मृत्यु दर और गंभीर चोटों में काफी कमी आती है।
सड़क सुरक्षा हेतु सरकार के उपाय
- मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019: यातायात नियमों को मजबूत किया गया, उल्लंघन करनेवाले हेतु दंड बढ़ाया गया और सड़क सुरक्षा के लिए प्रावधान पेश किए गए, जिसमें हेलमेट और सीट बेल्ट न पहनने पर जुर्माना भी शामिल है।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति, 2010: सुंदर समिति की सिफारिशों के आधार पर, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च 2010 में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मंजूरी दी। यह सड़क बुनियादी ढांचे, सुरक्षा कानूनों के प्रवर्तन, जन जागरूकता अभियान और दुर्घटना पीड़ितों के लिए आपातकालीन चिकित्सा देखभाल पर केंद्रित है।
- इलेक्ट्रॉनिक विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट (e-DAR) पोर्टल: इस परियोजना ने देश भर में सड़क दुर्घटना के आंकड़ों की रिपोर्टिंग, प्रबंधन और विश्लेषण के लिए एक केंद्रीय संग्रह केंद्र स्थापित किया है। यह दुर्घटना मुआवज़ा दावों में तेज़ी लाने में मदद करता है, जिससे पीड़ितों के परिवारों को राहत मिलती है।
- मुसीबत में मदद करने वाला अच्छा कानून (Good Samaritan Law): यह दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने वाले लोगों को कानूनी और प्रक्रियात्मक परेशानियों से बचाता है तथा पीड़ितों को शीघ्र सहायता प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- वाहन सुरक्षा मानक: सड़कों पर सुरक्षा में सुधार हेतु वाहनों के लिए एयरबैग, एबीएस और क्रैश-टेस्ट मानदंड (भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) जैसी सुरक्षा सुविधाओं की शुरूआत।
आगे की राह
- राष्ट्रीय दुर्घटना डेटाबेस: सार्वजनिक पहुंच के साथ घातक दुर्घटनाओं से संबंधित एक राष्ट्रीय डेटाबेस की स्थापना से विशिष्ट जोखिमों की समझ बढ़ेगी और राज्यों में हस्तक्षेप की प्रभावशीलता बढ़ेगी।
- अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का कार्यान्वयन: भारत को वर्ष 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दरों में 50% की कमी लाने के लिए ब्रासीलिया घोषणा (2015) और स्टॉकहोम घोषणा (2020) का पालन करना होगा।
- इन घोषणाओं में सड़क सुरक्षा उपायों को बढ़ाने, बुनियादी ढांचे में सुधार करने, यातायात कानूनों के सख्त प्रवर्तन और दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए जन जागरूकता की बात कही गई है।
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