भारत किम्बरली प्रोसेस के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करेगा
संदर्भ: भारत 1 जनवरी, 2026 से संयुक्त राष्ट्र समर्थित ‘किम्बरली प्रोसेस’ की अध्यक्षता संभालेगा। यह उपलब्धि वैश्विक हीरा व्यापार के नियामक ढांचे और शासन में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को रेखांकित करती है।”
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत पहले 25 दिसंबर, 2025 से उपाध्यक्ष (Vice-Chair) की भूमिका निभाएगा, जिसके बाद 2026 में वह अध्यक्ष (Chair) का कार्यभार संभालेगा।
- भारत को तीसरी बार किम्बरली प्रोसेस की अध्यक्षता सौंपी गई है।
- भारत ने इससे पहले 2008 और 2019 में किम्बरली प्रोसेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
- यह निर्णय किम्बरली प्रोसेस के पूर्ण अधिवेशन में लिया गया, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप सरकारों, अंतरराष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज को एक साथ एक मंच पर लाता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कच्चे हीरों (rough diamonds) का उपयोग सशस्त्र संघर्षों के वित्तपोषण या वैध सरकारों को अस्थिर करने के लिए न किया जाए।
किम्बरली प्रोसेस और भारत की भूमिका के बारे में
- किम्बरली प्रोसेस एक त्रिपक्षीय पहल है जिसमें सरकारें, अंतरराष्ट्रीय हीरा उद्योग और नागरिक समाज शामिल हैं।
- किम्बरली प्रोसेस (KP) एक अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन प्रणाली है, जिसे “संघर्षरत हीरों” (जिन्हें “ब्लड डायमंड” के रूप में भी जाना जाता है) को वैध वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश करने से रोकने के लिए स्थापित किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र के संकल्प पर आधारित किम्बरली प्रोसेस प्रमाणन योजना (KPCS) 1 जनवरी, 2003 से प्रभावी हुई।
- इस पहल में वर्तमान में 60 प्रतिभागी हैं, जिसमें यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों को एकल प्रतिभागी के माना जाता है।
- भारत हीरा कटिंग (तराशने), पॉलिशिंग, विनिर्माण और व्यापार का एक प्रमुख वैश्विक केंद्र है।
- भारत को इसका नेतृत्व ऐसे समय में मिला है जब हीरों की जिम्मेदार और टिकाऊ सोर्सिंग (स्रोतों से प्राप्ति) पर वैश्विक जोर बढ़ रहा है।
- भारत को यह कार्यभार ऐसे समय में मिला है, जब विश्व भर में हीरों की जिम्मेदार और टिकाऊ आपूर्ति की वैश्विक मांग में वृद्धि हो रही है।
समुद्र प्रताप
संदर्भ: हाल ही में, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के 02 PCV प्रोजेक्ट के अंतर्गत, भारतीय तटरक्षक बल के पहले स्वदेश निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप‘ (यार्ड 1267) का जलावतरण किया गया।
अन्य संबंधित जानकारी

- समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा के राष्ट्रीय संकल्प को आगे बढ़ाते हुए, इस पोत को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा विशेष रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है।
- यह जहाज 60 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से बना है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता का परिचायक है।
- बेड़े में शामिल होना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि समुद्र प्रताप’ वास्तव में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के लिए अब तक बनाए गए पोतों में से सबसे बड़ा पोत है।
- यह पोत अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) और उससे परे तेल रिसाव और समुद्री प्रदूषण से निपटने की भारत की क्षमता को बढ़ाएगा।
समुद्र प्रताप की विशेषताएँ
- ‘समुद्र प्रताप’ 114.5 मीटर लंबा और 16.5 मीटर चौड़ा है, जिसका विस्थापन 4,170 टन है।
- यह पोत 30 मिमी. CRN 91 गन और दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट-कंट्रोल गन से लैस है, जो अग्नि नियंत्रण प्रणालियों के साथ एकीकृत हैं।
- इस जहाज में स्वदेशी रूप से विकसित ‘इंटीग्रेटेड ब्रिज’ और ‘इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम’ जैसी विशेषताएँ हैं।
- पोत में एक स्वचालित बिजली प्रबंधन प्रणाली और उच्च क्षमता वाली बाहरी अग्निशमन प्रणाली मौजूद है।
- ‘समुद्र प्रताप’ भारतीय तटरक्षक बल का ऐसा पहला जहाज है जो ‘डायनेमिक पोजिशनिंग’ (Dynamic Positioning) क्षमता DP 1 से लैस है।
- इस पोत को उन्नत अग्निशमन कार्यों के लिए FiFi 2 (फायर फाइटिंग क्लास 2) और FFV 2 (फायर फाइटिंग वेसल क्लास 2) नोटेशन प्रमाणन प्राप्त है।
- इस जहाज में तेल रिसाव का पता लगाने और उससे निपटने वाली प्रणालियाँ हैं, जिसमें एक ‘ऑयल फिंगरप्रिंटिंग’ मशीन भी शामिल है।
- पोत में एक गायरो-स्टेबलाइज्ड स्टैंडऑफ एक्टिव केमिकल डिटेक्टर और जहाज पर ही प्रदूषण नियंत्रण प्रयोगशाला उपकरण मौजूद हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार– 2025
संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में ‘राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार- 2025’ का वितरण किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के इस दूसरे संस्करण में, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को चार श्रेणियों – विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा और विज्ञान टीम में 24 पुरस्कार प्रदान किए गए।
- राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार का उद्देश्य विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यक्तिगत रूप से या टीमों में वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों द्वारा किए गए उल्लेखनीय और प्रेरणादायक योगदान को मान्यता देना है।
- इन पुरस्कारों की शुरुआत 2024 में व्यक्तिगत मंत्रालयों द्वारा दिए जाने वाले लगभग 300 पुरस्कारों को प्रतिस्थापित करने के लिए की गई थी, जो वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों को उनके पथ-प्रदर्शक अनुसंधान और प्रेरणादायक उपलब्धियों के लिए सम्मानित करते हैं।
राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार– 2025

संथाली भाषा में भारत का संविधान
संदर्भ: भारत की राष्ट्रपति ने नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में संथाली भाषा में भारत के संविधान का विमोचन किया।
अन्य संबंधित जानकारी

- संविधान को ‘ओल चिकी’ लिपि में प्रकाशित किया गया है, जो संथाली भाषा की पारंपरिक लिपि है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि संथाली भाषा में संविधान की उपलब्धता से संथाली भाषी लोग अपनी भाषा में संवैधानिक प्रावधानों को पढ़ने और समझने में सक्षम होंगे।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्ष 2025 ‘ओल चिकी’ लिपि का शताब्दी वर्ष है और शताब्दी वर्ष के दौरान इस कार्य को पूरा करने के लिए विधि एवं न्याय मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की।
- यह पहल भाषाई विविधता, सांस्कृतिक संरक्षण और समावेशी शासन के प्रति संवैधानिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
संथाली भाषा के बारे में
- संथाली भाषा को 92वें संविधान संशोधन अधिनियम 2003 के माध्यम से संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था।
- संथाली भारत की सबसे प्राचीन जीवंत भाषाओं में से है और यह झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बिहार के जनजातीय समुदायों द्वारा बोली जाती है।
- यह पश्चिम बंगाल और झारखंड में एक अतिरिक्त आधिकारिक भाषा है।
प्रथम खेलो इंडिया ट्राइबल्स गेम्स 2026
संदर्भ: छत्तीसगढ़ राज्य 14 फरवरी 2026 से शुरू होने वाले प्रथम ‘खेलो इंडिया ट्राइबल्स गेम्स’ (KITG) की मेजबानी करेगा।
अन्य संबंधित जानकारी

- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित स्वर्गीय बी.आर. यादव स्पोर्ट्स स्टेडियम में पहले खेलो इंडिया जनजातीय खेलों के लोगो, थीम सॉन्ग और शुभंकर का अनावरण किया गया।
- इन खेलों का आयोजन संयुक्त रूप से युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), भारतीय ओलंपिक संघ (IOA), राष्ट्रीय खेल संघों और छत्तीसगढ़ राज्य आयोजन समिति द्वारा किया जा रहा है।
- इसके पहले संस्करण में तीरंदाजी, एथलेटिक्स, फुटबॉल, हॉकी, कुश्ती, तैराकी और भारोत्तोलन सहित सात खेलों में प्रतिस्पर्धा होगी।
- सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में आधिकारिक शुभंकर ‘मोरवीर’ का अनावरण किया गया, जो जनजातीय समुदायों के साहस, गौरव और सामूहिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है।
- ‘मोरवीर’ नाम छत्तीसगढ़ी शब्द ‘मोर’ (जिसका अर्थ है- हमारा अपना) और ‘वीर’ (जो बहादुरी और वीरता का प्रतीक है) को मिलाकर बना है।
- खेलो इंडिया जनजातीय खेल ‘खेलो इंडिया योजना’ का हिस्सा हैं। खेलो इंडिया योजना, केंद्रीय खेल मंत्रालय की एक प्रमुख ‘केंद्रीय क्षेत्र की योजना’ है।
- वर्ष 2020 में, खेल प्रसारण सिग्नल अधिनियम 2007 के तहत खेलो इंडिया खेलों को ‘राष्ट्रीय महत्व का आयोजन’ (Event of National Importance) घोषित किया गया था।
पंजाब ने तीन पवित्र शहरों की घोषणा की
संदर्भ: हाल ही में, पंजाब सरकार ने अमृतसर, आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो को ‘पवित्र शहर’ का दर्जा दिया।
अन्य संबंधित जानकारी
- पंजाब सरकार ने अपनी आधिकारिक अधिसूचनाओं के माध्यम से अमृतसर (चारदीवारी वाला शहर)और आनंदपुर साहिब, रूपनगर (रोपड़) जिले, पंजाब और तलवंडी साबो (बठिंडा) जैसे प्रमुख सिख धार्मिक स्थलों के आसपास मांस, शराब और तंबाकू के सेवन तथा बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
- यह निर्णय 24 नवंबर को पंजाब विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित एक प्रस्ताव के बाद लिया गया, जिसमें इन तीनों स्थानों को ‘पवित्र शहर’ का दर्जा दिया गया था।
- 15 दिसंबर को एक औपचारिक अधिसूचना जारी की गई और इसके तुरंत बाद ये प्रतिबंध लागू हो गए।
- सरकार ने तीर्थयात्रियों और आगंतुकों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए समग्र विकास की योजनाओं की घोषणा की।
- धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ई-रिक्शा, मिनी बस और शटल सेवा जैसी सुविधाएं शुरू की जाएंगी।
- पंजाब से पहले ओडिशा और मध्य प्रदेश राज्यों में भी पवित्र शहरों में इसी तरह के प्रतिबंध लागू किए गए हैं।
- यह निर्णय सिख धार्मिक निकायों द्वारा लंबे समय से की जा रही मांगों के बाद लिया गया है।
- हालांकि इस निर्णय से दुकानदारों की आजीविका और निहंग सिखों में प्रचलित ‘झटका मांस’ की परंपरा के संबंध में चिंताएं बनी हुई हैं।
शहरों के बारे में मुख्य जानकारी
अमृतसर के बारे में
- अमृतसर में ‘अकाल तख्त’ है, जो सिखों के पांच तख्तों में सर्वोच्च पीठ है।
- यह प्रतिबंध विशेष रूप से चारदीवारी वाले शहर पर लागू होता है, जो स्वर्ण मंदिर परिसर को घेरे हुए है।
आनंदपुर साहिब के बारे में
- आनंदपुर साहिब में ‘तख्त श्री केशगढ़ साहिब’ स्थित है, जहाँ गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।
- यह शहर सिख पहचान और मार्शल परंपरा (युद्ध कला की परंपरा) से जुड़े ऐतिहासिक महत्व का प्रतीक है।
तलवंडी साबो के बारे में
- तलवंडी साबो में ‘तख्त श्री दमदमा साहिब’ स्थित है, जहाँ गुरु गोविंद सिंह जी ने गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम रूप दिया था।
- इसे सिख शिक्षा और शास्त्र सम्मत सत्ता के एक प्रमुख केंद्र के रूप में पूजा जाता है।
वीर बाल दिवस 2025
संदर्भ: 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों, बाबा फतेह सिंह और बाबा जोरावर सिंह की शहादत के सम्मान में प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस वर्ष वीर बाल दिवस के अवसर पर भारत के युवा नायकों के साहस, बलिदान और अनुकरणीय मूल्यों को याद करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
- विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियां हासिल करने वाले बच्चों को इस कार्यक्रम में ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ (PMRBP) से सम्मानित किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान है, जो प्रतिवर्ष 5 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को वीरता, कला और संस्कृति, पर्यावरण, समाज सेवा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और खेल जैसे क्षेत्रों में असाधारण प्रदर्शन के लिए प्रदान किया जाता है। यह अधिकतम 25 बच्चों को दिया जा सकता है।
- इस वर्ष (2025), 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 20 बच्चों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
- वीर बाल दिवस एक राष्ट्रव्यापी उत्सव है जिसमें बच्चों को भारत के भविष्य का आधार मानकर उन्हें सम्मानित किया जाता है।
युवा शहीदों के बारे में
- 7 दिसंबर 1705 को चमकौर की लड़ाई के दिन, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी को उनकी दादी माँ गुजरी जी के साथ मोरिंडा में जानी खान और मानी खान रंगड़ ने हिरासत में ले लिया।
- अगले दिन उन्हें सरहिंद भेज दिया गया और किले के ‘ठंडे बुर्ज’ (Cold Tower) में कैद कर दिया गया।
- 9 दिसंबर 1705 को, उन्हें मुगल फौजदार नवाब वजीर खान के सामने पेश किया गया, जिसने उनके अडिग संकल्प के बावजूद उन्हें मौत की सजा सुनाई।12 दिसंबर 1705 को, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी को एक दीवार में जिंदा चुनवा कर शहीद कर दिया गया था।
- इन घटनाओं का स्थल, ‘फतेहगढ़ साहिब’ के नाम से जाना जाता है, सरहिंद के निकट स्थित है और वहाँ चार सिख गुरुद्वारे हैं, जहाँ उनकी याद में प्रतिवर्ष 25 से 28 दिसंबर तक एक धार्मिक मेले का आयोजन किया जाता है।
