विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI)

संदर्भ: अगस्त 2025 में समग्र पीएमआई में 17 वर्षों में सबसे तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है, जो भारत के विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते उत्पादन स्तर को दर्शाता है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • हांगकांग और शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड भारत ((HSBC India) का समग्र पीएमआई आउटपुट सूचकांक (विनिर्माण और सेवा उत्पादन को मिलाकर) जुलाई में रहे 1 से बढ़कर अगस्त में 63.2 हो गया।
    • विनिर्माण पीएमआई जुलाई में रहे 1 से बढ़कर अगस्त में 59.3 हो गया, जो मजबूत घरेलू मांग और उत्पादन में वृद्धि के कारण फरवरी 2008 के बाद से परिचालन स्थितियों में सबसे तीव्र सुधार को दर्शाता है।
    • सेवा पीएमआई जुलाई में रहे 5 से बढ़कर अगस्त में 62.9 हो गया, जो नए ऑर्डरों और अंतर्राष्ट्रीय मांग के कारण बढ़ते उत्पादन से अगस्त में 15 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
  • विनिर्माण के लिए विकास चालक:
    • अधिक घरेलू मांग से उत्पादन बढ़ा और नए आर्डर मिले।
    • सफल विज्ञापन अभियानों से ऑर्डर मिलने की दर में और इजाफा हुआ।
    • कम्पनियों द्वारा आगत खरीद भी 16 महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ी।
  • सेवाओं के लिए विकास के चालक: मांग में उछाल, दक्षता में वृद्धि और नए व्यवसाय का अधिक अंतर्वाह 2010 के बाद से सबसे मजबूत विकास चालकों में से थे।
  • आर्थिक संदर्भ: पीएमआई में वृद्धि पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2025) में भारत की तिमाही जीडीपी वृद्धि 7.8% के समान है, जो अपेक्षा से काफी अधिक है।

एचएसबीसी इंडिया क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI)

  • क्रय प्रबंधक सूचकांक (PMI) निजी क्षेत्र की कंपनियों के मासिक सर्वेक्षणों पर आधारित एक आर्थिक संकेतक है।
  • भारत में, इसे एचएसबीसी के लिए S&P ग्लोबल (पूर्व में आईएचएस मार्किट) द्वारा संकलित किया जाता है।
  • विनिर्माण पीएमआई की गणना पाँच मापदंडों का उपयोग करके की जाती है: नए ऑर्डर, उत्पादन, रोज़गार, आपूर्तिकर्ताओं का वितरण समय और ख़रीदी गई वस्तुओं की सूची।
  • विनिर्माण पीएमआई के विपरीत, सेवा पीएमआई कई घटकों का भारित औसत नहीं है और इसलिए इसकी गणना एक ही पैरामीटर यानी सेवा व्यवसाय गतिविधि सूचकांक, का उपयोग करके की जाती है:
  • 50 से ऊपर का आंकड़ा विस्तार का संकेत देता है, जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा संकुचन का संकेत देता है।
  • भारत में पीएमआई के निम्न प्रकार हैं:
  • विनिर्माण पीएमआई (लगभग 400 फर्मों का सर्वेक्षण किया गया)।
  • सेवा पीएमआई (लगभग 400 सेवा कंपनियों का सर्वेक्षण किया गया)।
  • समग्र पीएमआई, विनिर्माण और सेवा पीएमआई का भारित औसत।

डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग एजेंसियां (DCRAs)

संदर्भ: ट्राई ने पूरे भारत में इन-बिल्डिंग डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए आठ एजेंसियों को डिजिटल कनेक्टिविटी रेटिंग एजेंसियों (DCRAs) के रूप में पंजीकृत किया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • डिजिटल कनेक्टिविटी विनियमन, 2024 के लिए संपत्तियों की रेटिंग के प्रावधानों के तहत, ये पंजीकरण 27 अगस्त 2025 से शुरू होकर पाँच वर्षों के लिए मान्य होंगे।
  • आठ पंजीकृत एजेंसियाँ हैं:
    • आर्डोम टावरजेन प्राइवेट लिमिटेड
    • क्रेस्ट डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड
    • सीटीएल (CTL) इन्फोकॉम प्राइवेट लिमिटेड
    • एस्टेक्स (ESTEX) टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड
    • फ्रॉग सेल्सैट लिमिटेड
    • फिस्ट्रीम कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड
    • शौर्य टेलीसर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
    • टीयूवी एसयूडी साउथ एशिया प्राइवेट लिमिटेड
  • DCRAs डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए संपत्तियों की रेटिंग हेतु मैनुअल के अनुसार कनेक्टिविटी मूल्यांकन करेंगे।
  • मूल्यांकन के आधार पर, प्रत्येक संपत्ति को डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए ‘स्टार रेटिंग’ दी जाएगी।
  • ये रेटिंग खरीदारों, किरायेदारों और व्यवसायों को संपत्ति चुनते समय सूचित निर्णय लेने में मदद करेंगी।
  • यह ढांचा रियल एस्टेट डेवलपर्स को इन-बिल्डिंग डिजिटल बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भी प्रेरित करेगा।
  • यह कार्यप्रणाली इंटरनेट की गति, नेटवर्क विश्वसनीयता और डिजिटल सेवाओं की उपलब्धता जैसे कई मापदंडों पर विचार करती है, जिससे उनका व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित होता है।
  • रेटिंग विवरण और पंजीकृत एजेंसियों के बारे में जानकारी तक सार्वजनिक पहुँच प्रदान करने के लिए एक समर्पित TRAI पोर्टल शुरू किया गया है।

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI)

  • TRAI की स्थापना 1997 में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण अधिनियम, 1997 के तहत भारत में दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिए की गई थी।
  • यह दूरसंचार क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा, उपभोक्ता संरक्षण और सुव्यवस्थित विकास सुनिश्चित करता है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।

दारुमा गुड़िया

संदर्भ: जापान की अपनी यात्रा के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री को शोरिनजान दारुमा-जी मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा दारुमा गुड़िया भेंट की गई, जो भारत और जापान के बीच घनिष्ठ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है।

दारुमा गुड़िया

  • जापानी संस्कृति में दारुमा गुड़िया को शुभ कार्य और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
  • यह एक पारंपरिक जापानी इच्छापूर्ति गुड़िया है, जो आमतौर पर कागज़ की लुगदी (papier-mâché) से बनी होती है, और यह ज़ेन बौद्ध धर्म के 5वीं शताब्दी के संस्थापक बोधिधर्म से प्रेरित है।
  • यह परंपरा गुन्मा प्रान्त के ताकासाकी शहर से शुरू हुई, जिसे दारुमा गुड़ियों का जन्मस्थान माना जाता है।
  • यह गुड़िया दृढ़शक्ति, परिवर्तनीयता और इच्छापूर्ति के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है।
  • इस गुड़िया की विशिष्ट विशेषताओं में शामिल हैं:
    • एक गोल तल, जिससे दबाने पर यह वापस खड़ी हो जाती है। यह “सात बार गिरोआठ बार खड़े हो जाओ” कहावत को दर्शाती है।
    • आँखों का रंग भरना, जहाँ एक लक्ष्य निर्धारित करने पर एक आँख पर रंग भर जाता है और उसे प्राप्त करने पर दूसरी आँख का रंग भरना प्रतिबद्धता और सफलता का प्रतीक है।

भारत के साथ जुड़ाव

  • दारुमा परंपरा का इतिहास बोधिधर्म (जापान में दारुमा दाइशी) से जुड़ा है। बोधिधर्म कांचीपुरम, तमिलनाडु के एक भारतीय भिक्षु थे, जिन्होंने एक हज़ार साल पहले विदेश यात्रा की और ज़ेन बौद्ध धर्म की आध्यात्मिक आधारशिला रखी।
  • मान्यता के अनुसार, बोधिधर्म ने नौ वर्षों तक लगातार ध्यान किया, जिस कारण यह गुड़िया अंगहीन और नेत्रहीन है।
  • “दारुमा” शब्द स्वयं संस्कृत शब्द “धर्म” से लिया गया है।

कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2025

संदर्भ: हाल ही में, राजस्थान सरकार ने कारखाना (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया, जिसके तहत महिलाओं को सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद कारखानों में काम करने की अनुमति दी गई।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह विधेयक राजस्थान पर लागू कारखाना अधिनियम, 1948 के प्रावधानों में संशोधन करता है।
  • यह संशोधन श्रम कानूनों में ढील देने और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की अनुपालन न्यूनीकरण और विनियमन-मुक्ति पहल के अनुरूप है।
  • इसका उद्देश्य अनिवार्य लिखित सहमति और सख्त सुरक्षा उपायों के साथ, विशेष रूप से रात्रि पाली वाले उद्योगों में, महिलाओं के लिए रोज़गार के अवसरों का विस्तार करना है।
  • इसी तरह के सुधार गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों द्वारा पहले ही किए जा चुके हैं।

विधेयक की मुख्य विशेषताएं

  • कारखानों में महिलाओं को रोजगार
  • महिलाओं को लिखित सहमति के साथ, सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद काम करने की अनुमति है।
  • नियोक्ताओं को उनकी पर्याप्त सुरक्षा, संरक्षा और कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करने होंगे।
  • महिलाओं को कारखानों में सभी प्रकार के काम करने की अनुमति दी गई है।
  • सभी श्रमिकों के लिए काम के घंटे
  • अधिकतम दैनिक काम के घंटे नौ से बढ़ाकर दस कर दिए गए हैं, जिसमें विश्राम का समय (intervals) भी शामिल है।
  • श्रमिकों को बिना किसी ब्रेक के लगातार छह घंटे तक काम करना होगा।
  • दैनिक काम का समय (इंटरवल सहित) बारह घंटे तक बढ़ा दिया गया।
  • समय के साथ, अधिकतम सीमा प्रति तिमाही पचहत्तर घंटे से बढ़कर एक सौ चौवालीस घंटे हो गई।

संशोधन का महत्व

  • औद्योगिक प्रभाव: इस संशोधन से कपड़ा, परिधान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की उम्मीद है, जहाँ रात्रि पाली में काम करना आम है।
  • लैंगिक समानता: महिलाओं को सुरक्षा उपायों के साथ रात्रि पाली में काम करने में सक्षम बनाकर, यह संशोधन कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है, जोकि लैंगिक समानता पर सतत विकास लक्ष्य (SDG) 5 के अनुरूप है।
  • आर्थिक विकास और निवेश का माहौल: यह सुधार श्रम प्रतिबंधों में ढील देकर और औद्योगिक विकास को बढ़ावा देकर राजस्थान में अधिक निवेश आकर्षित कर सकता है।

निवेशक दीदी

संदर्भ: हाल ही में, निवेशक शिक्षा और संरक्षण निधि प्राधिकरण (IEPFA) ने हैदराबाद में अपनी प्रमुख वित्तीय साक्षरता पहल, निवेशक दीदी के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय जागरूकता का प्रसार करना, महिलाओं को वित्तीय निर्णय लेने के कौशल से सशक्त बनाना और सुरक्षित डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना है।
  • इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) अपने 9 लाख डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर, वित्तीय शिक्षा और सेवाओं की अंतिम छोर तक पहुँच सुनिश्चित करेगा।
  • ग्रामीण प्रतिभागियों बेहतर तरीके से समझ सकें, इसलिए यह सत्र तेलुगु में आयोजित किया गया था।

निवेशक दीदी के बारे में

  • IEPFA की एक प्रमुख वित्तीय साक्षरता पहल, जिसे “महिलाओं द्वारामहिलाओं के लिए” के सिद्धांत पर डिज़ाइन किया गया है।
  • चरण I: बुनियादी वित्तीय साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, कई राज्यों में जमीनी स्तर के समुदायों तक सफलत पहुँच सुनिश्चित की गयी।
  • चरण II:
    • इंटरैक्टिव प्रशिक्षण मॉड्यूल के साथ पहुँच का विस्तार।
    • महिलाओं के नेतृत्व वाले वित्तीय सशक्तिकरण, घरेलू बचत और निवेश सुरक्षा पर फोकस।
    • निवेशक संरक्षण, धोखाधड़ी की रोकथाम और डिजिटल वित्तीय साक्षरता (यूपीआई, मोबाइल बैंकिंग, आदि) पर ज़ोर।
    • ग्रामीण महिलाओं को घरेलू और सामुदायिक स्तर के वित्तीय निर्णयों में भाग लेने के लिए सक्षम बनाकर आत्मविश्वास निर्माण को बढ़ावा।
  • यह भारत के व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों के अनुरूप वित्तीय समावेशनमहिला सशक्तिकरण और निवेशक संरक्षण का समर्थन करता है।

निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष प्राधिकरण (IEPFA)

  • भारत सरकार ने निवेशक शिक्षा एवं संरक्षण कोष (IEPF) के प्रबंधन हेतु कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 125 के प्रावधानों के अंतर्गत वर्ष 2016 में IEPFA की स्थापना की।
  • प्राधिकरण को निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष का प्रबंधन, शेयरों, दावा न किए गए लाभांश, परिपक्व जमा (matured deposits) और डिबेंचर की वापसी की सुविधा प्रदान करने और देश भर में निवेशक शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ावा देने का कार्य सौंपा गया है।
  • यह कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।

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