बुकर पुरस्कार 2025
संदर्भ:
हाल ही में, कनाडा-हंगरी-ब्रिटिश मूल के लेखक डेविड स्ज़ेले को उनके उपन्यास “फ्लेश” (Flesh) के लिए 2025 का बुकर पुरस्कार दिया गया।
अन्य संबंधित जानकारी

- यह उपन्यास हंगरी के आप्रवासी इस्तवान के जीवन पर आधारित है, तथा किशोरावस्था से लेकर वयस्क होने तक की उसकी यात्रा को कुछ किन्तु ऐसी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करता है जो उनके जीवन बारे में जानकारी देती है।
- जजों ने इस पुस्तक का “जीवन की विचित्रता” को प्रतिबिंबित करने वाली पुस्तक के रूप में उल्लेख किया है तथा इसकी कम शब्दों में भी बहुत कुछ कहने की शैली (Minimalist Style) और भावनात्मक जुड़ाव की भी सराहना की।
- इस पुस्तक में श्रमिक वर्ग के एक पुरुष को नायक के रूप में चित्रित किया गया है। श्रमिक वर्ग एक ऐसा समूह है जिसकी समकालीन कथा साहित्य में प्रायः अनदेखी कर दी जाती है।
- इस वर्ष की शॉर्टलिस्ट में एंड्रयू मिलर (द लैंड इन विंटर), किरण देसाई (द लोनलीनेस ऑफ़ सोनिया एंड सनी), सुसान चोई (फ्लैशलाइट), केटी कितामुरा (ऑडिशन) और बेन मार्कोविट्स (द रेस्ट ऑफ़ अवर लाइव्स) शामिल थे।
बुकर पुरस्कार के बारे में
- बुकर पुरस्कार को काल्पनिक कृति के लिए विश्व का अग्रणी साहित्यिक पुरस्कार माना जाता है।
- इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में यूनाइटेड किंगडम में हुई थी और शुरुआत में यह राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों को मान्यता देता था।
- प्रत्येक वर्ष, यह पुरस्कार अंग्रेजी में लिखी गई और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ सतत कथा साहित्य को दिया जाता है।
- बुकर पुरस्कार को एकल कथा साहित्य के लिए दुनिया के अग्रणी साहित्यिक पुरस्कार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इस पुरस्कार की स्थापना 1969 में यूनाइटेड किंगडम में हुई थी और शुरुआत में यह राष्ट्रमंडल देशों के लेखकों को मान्यता देता था।
- प्रत्येक वर्ष, यह पुरस्कार अंग्रेजी में लिखी गई और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ दीर्घकालिक काल्पनिक रचना के लिए दिया जाता है।
- सबसे पहले बुकर पुरस्कार विजेता पी. एच. न्यूबी थे, जिन्हें 1969 में उनके उपन्यास “समथिंग टू आंसर फॉर” के लिए यह पुरस्कार दिया गया था।
- बुकर पुरस्कार विजेता को वर्तमान में £50,000 की नकद राशि मिलती है, जबकि प्रत्येक चयनित लेखक को £2,500 मिलते हैं।
क्रोनिक किडनी रोग
संदर्भ:
हाल ही में, द लैंसेट में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि भारत 2023 में चिरकालिक वृक्क रोग (Chronic Kidney Disease) की संख्या के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर रहा।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष
- वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में 204 देशों और क्षेत्रों में 1990 से 2023 तक क्रोनिक किडनी रोग के वैश्विक रुझानों का विश्लेषण किया गया।
- यह अध्ययन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2023 फ्रेमवर्क के तहत किया गया था।
- निष्कर्षों के अनुसार, भारत 138 मिलियन क्रोनिक किडनी रोग मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है, जबकि चीन में 2023 में 152 मिलियन मामले थे।
- क्रोनिक किडनी रोग विश्व स्तर पर मृत्यु का नौवां प्रमुख कारण है, जिससे 2023 में लगभग 15 लाख लोगों की मौतें हुईं।
- सबसे उच्च प्रचलन दर उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व (18%) में देखी गई, उसके बाद दक्षिण एशिया (16%), और उप-सहारा अफ्रीका और लैटिन अमेरिका (15% से अधिक) का स्थान रहा।
- अध्ययन में पाया गया कि मधुमेह, उच्च रक्तचाप और मोटापा वृक्क की बीमारी और उससे जुड़ी स्वास्थ्य जटिलताओं के लिए ज़िम्मेदार तीन सबसे बड़े जोखिम कारक थे।
क्रोनिक किडनी रोग (CKD) के बारे में
- क्रोनिक किडनी रोग समय के साथ गुर्दे की कार्यक्षमता में क्रमिक और धीमे ह्रास को दर्शाता है, जिससे रक्त से अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थों के निस्पंदन (Filter) की गुर्दे की क्षमता कम हो जाती है।
- प्रारंभिक अवस्था में, क्रोनिक किडनी रोग के अक्सर बहुत कम या कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, और कई लोग तब तक इस बीमारी की पहचान नहीं कर पाते जब तक कि यह उन्नत अवस्था तक नहीं पहुँच जाती।
- जैसे-जैसे गुर्दे की कार्यक्षमता कम होती जाती है, शरीर में तरल पदार्थ, इलेक्ट्रोलाइट्स और अपशिष्ट जमा होने लगते हैं, जिससे उच्च रक्तचाप, सूजन, मांसपेशियों में ऐंठन और थकान जैसी जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।
- उन्नत अवस्थाओं में, क्रोनिक किडनी रोग के परिणामस्वरूप अंतिम चरण की किडनी फेल हो सकती है, जो डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण के बिना जीवन के लिए खतरा है, और कई अंग प्रणालियों और समग्र स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है।
- सी.के.डी. हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है और 2023 में विश्व भर में लगभग 12% हृदय संबंधी मौतों का कारण क्रोनिक किडनी रोग रहा।
इंटीग्रिटी मैटर्स चेकलिस्ट
संदर्भ:
हाल ही में, ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (GRI) ने कंपनियों और निवेशकों को अपने जलवायु प्रकटीकरण को नेट-ज़ीरो संक्रमण के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानकों के साथ संरेखित करने में मार्गदर्शन करने के लिए इंटीग्रिटी मैटर्स चेकलिस्ट की शुरुआत की।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह चेकलिस्ट, इंटीग्रिटी मैटर्स रिपोर्ट में उल्लिखित, नेट ज़ीरो प्रतिबद्धताओं पर संयुक्त राष्ट्र उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समूह (HLEG) की सिफारिशों को GRI मानकों अर्थात दुनिया के सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले स्थिरता रिपोर्टिंग ढांचे से जोड़ती है।
- यह नया माध्यम संगठनों को विज्ञान-आधारित तरीकों के अनुरूप अपने जलवायु लक्ष्यों, परिवर्तन योजनाओं और ग्रीनहाउस गैस न्यूनीकरण उपायों का खुलासा करने के लिए एक संरचित दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- यह कंपनियों को यह जानने में भी मदद करता है कि वे जीवाश्म ईंधन निवेश को कैसे हतोत्साहित कर रहे हैं और अपने व्यावसायिक संचालन में न्यायसंगत संक्रमण सिद्धांतों को कैसे एकीकृत कर रहे हैं।
- यह चेकलिस्ट संयुक्त राष्ट्र HLEG की “इंटीग्रिटी मैटर्स” रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू करती है, जिसे पहली बार शर्म अल-शेख में हुए COP27 में लॉन्च किया गया था।
- GRI के अनुसार, यह चेकलिस्ट नए GRI 102: जलवायु परिवर्तन 2025 मानक के अनुरूप है, जो स्थिरता प्रकटीकरण के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र इंटीग्रिटी सिद्धांतों की व्यापक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करता है।
ग्लोबल रिपोर्टिंग इनिशिएटिव (GRI) के बारे में
- GRI एक अंतरराष्ट्रीय, स्वतंत्र और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 1997 में की गई थी। यह व्यवसायों, सरकारों और अन्य संस्थाओं को उनके द्वारा दुनिया पर पड़ने वाले आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को पारदर्शी व संरचित तरीके से संप्रेषित करने में सहायता करता है।
- GRI मानक स्थिरता रिपोर्टिंग के लिए सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मानक हैं, और ये सरकारों, निगमों, बड़े संगठनों और छोटे संगठनों पर लागू होते हैं।
- GRI का मुख्यालय एम्स्टर्डम में है।
भारत की पहली MWh-स्केल वैनेडियम फ्लो बैटरी प्रणाली
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने ग्रेटर नोएडा के एनटीपीसी नेत्रा (NTPC NETRA) में भारत की पहली मेगावाट-घंटा-स्केल (MWh-स्केल) वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी प्रणाली का उद्घाटन किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह 3 MWh बैटरी भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण क्षमता को आगे बढ़ाने, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और ग्रिड स्थिरता को समर्थन देने की दिशा में एक प्रमुख कदम है।
- वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) एक रिचार्जेबल बैटरी है जो वैनेडियम आयनों की विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं का उपयोग करके तरल इलेक्ट्रोलाइट्स में ऊर्जा संग्रहीत करती है।
- VRFB प्रणाली वैनेडियम-आधारित तरल इलेक्ट्रोलाइट्स का उपयोग करके लिथियम-आयन बैटरियों का एक स्थायी विकल्प उपलब्ध कराती है और ये सुरक्षित होती है।
- यह परियोजना भारत के ऊर्जा भंडारण आधार में विविधता लाती है, आयातित लिथियम पर निर्भरता कम करती है और स्वदेशी विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देती है।
- यह प्रणाली एनटीपीसी के अनुसंधान एवं विकास केंद्र, नेत्रा में विकसित की गई है और यह स्वदेशी स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में प्रगति का संकेत देती है।
वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी (VRFB) प्रणाली की मुख्य विशेषताएं
- दीर्घकालिक ऊर्जा भंडारण: VRFB प्रणाली कई घंटों तक बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण को सक्षम बनाती है, जिससे यह नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन बनाने के लिए आदर्श है।
- उच्च सुरक्षा मानक: बैटरी एक गैर-ज्वलनशील, जल-आधारित वैनेडियम इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग करती है, जो लिथियम-आयन प्रणालियों की तुलना में आग या तापीय रिसाव के जोखिम को काफी कम करती है।
- जीवनकाल में वृद्धि: यह प्रणाली न्यूनतम ह्रास के साथ 20 वर्षों से अधिक का लंबा परिचालन काल प्रदान करती है, क्योंकि इलेक्ट्रोलाइट चार्ज-डिस्चार्ज चक्रों के दौरान खराब नहीं होता है।
- टिकाऊ और पुनर्चक्रण योग्य सामग्री: वैनेडियम इलेक्ट्रोलाइट का अनिश्चित काल तक पुन: उपयोग किया जा सकता है, जो चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देता है और पर्यावरणीय क्षरण को कम करता है।
मालाबार अभ्यास 2025
संदर्भ:
संयुक्त राज्य अमेरिका 10 से 18 नवंबर तक गुआम में मालाबार अभ्यास 2025 की मेजबानी कर रहा है। गुआम पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में एक अमेरिकी प्रदेश है।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारतीय नौसेना का पोत आईएनएस सह्याद्रि उत्तरी प्रशांत क्षेत्र के गुआम में इस बहुपक्षीय नौसेना अभ्यास में भाग ले रहा है।
- आईएनएस सह्याद्रि स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है जो रक्षा विनिर्माण में भारत के आत्मनिर्भर भारत दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।
- आईएनएस सह्याद्रि की भागीदारी क्वाड राष्ट्रों के बीच समन्वय, अंतर-संचालन और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।
- अभ्यास के बंदरगाह चरण में भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच परिचालन चर्चा, संचार संरेखण, परिचयात्मक दौरे और खेलकूद संबंधी बातचीत शामिल होगी।
- बंदरगाह चरण के बाद, भाग लेने वाले जहाज और विमान समुद्री चरण में आगे बढ़ेंगे, जिसमें कठिन नौसैनिक युद्धाभ्यास और बेड़ा संचालन शामिल होंगे।
- समुद्री चरण में संयुक्त बेड़ा संचालन, पनडुब्बी रोधी युद्ध, तोपखाना अभ्यास और समन्वित उड़ान संचालन का अभ्यास किया जाएगा।
अभ्यास मालाबार के बारे में
- इसकी शुरुआत 1992 में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक वार्षिक द्विपक्षीय प्रशिक्षण गतिविधि के रूप में की गई थी।
- 2015 में जापान इसमें शामिल हुआ और इस अभ्यास का त्रिपक्षीय प्रारूप तक विस्तार किया गया जबकि 2020 में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने के साथ यह चतुर्पक्षीय अभ्यास बन गया।
- इस अभ्यास का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त समुद्री समन्वय, अंतर-संचालन और परिचालन तत्परता में सुधार करना है।
