मिजोरम भिक्षावृत्ति निषेध विधेयक, 2025
संदर्भ: हाल ही में, मिजोरम राज्य विधानसभा ने राज्य में भिक्षावृत्ति की बढ़ती घटनाओं को लेकर चिंता जताते हुए मिजोरम भिक्षावृत्ति निषेध विधेयक, 2025 पारित किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- विधेयक के प्रभावी होने के बाद, मिज़ोरम देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहाँ भीख माँगना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- इस विधेयक का उद्देश्य न केवल भिक्षावृत्ति पर रोक लगाना है, बल्कि भिखारियों को स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करके उनका पुनर्वास करना और उन्हें सम्मान के साथ समाज की मुख्यधारा में शामिल करना भी है।
- यह विधेयक इस चिंता के मद्देनज़र लाया गया था कि सैरांग-सिहमुई रेलवे कनेक्टिविटी के कारण राज्य के बाहर से भिखारियों की आमद हो सकती है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान

- विधेयक में प्रशासनिक और समन्वय कार्यों सहित कार्यान्वयन के सभी पहलुओं की देखरेख के लिए एक राज्य स्तरीय राहत बोर्ड की स्थापना का प्रावधान है।
- इसमें भिखारियों को अस्थायी रूप से रखने के लिए अभिग्राही केन्द्रों (Receiving centers) की स्थापना का भी प्रावधान है।
- इन केंद्रों में रखे जाने के 24 घंटे के भीतर भिखारियों को उनके मूल घरों या राज्यों में वापस भेज दिया जाएगा।
- विधेयक दंडात्मक उपायों के बजाय भिखारियों के पुनर्वास और उन्हें स्थायी आजीविका प्राप्त करने में सहायता देने को प्राथमिकता देता है।
आदि वाणी
संदर्भ: हाल ही में, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने भारत के पहले एआई-संचालित जनजातीय भाषा अनुवादक “आदि वाणी” का बीटा संस्करण लॉन्च किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस ऐप को आईआईटी दिल्ली के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय कंसोर्टियम द्वारा विकसित किया गया है, इसमें बिट्स पिलानी, आईआईआईटी हैदराबाद, आईआईआईटी नया रायपुर और झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (TRIs) ने सहयोग दिया है।
- इस अनुवादक का लक्ष्य जनजातीय और गैर-जनजातीय समुदायों के बीच संचार अंतराल को पाटना, डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करना और लुप्तप्राय जनजातीय भाषाओं का संरक्षण करना है।
- इसका उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देते हुए लोकगाथाओं, मौखिक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखना भी है।
- अपने बीटा लॉन्च में, ऐप चार भाषाओं (संताली, भीली, मुंडारी और गोंडी) का अनुवाद करता है, जबकि अगले चरण में कुई और गारो को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
भीली, सबसे वृहत स्तर पर बोली जाने वाली गैर-अनुसूचित भाषा है, और मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और दादरा और नगर हवेली में एक करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाती है।
आदि वाणी की मुख्य विशेषताएं
- वास्तविक समय में अनुवाद: यह ऐप हिंदी और अंग्रेजी का जनजातीय भाषाओं में और जनजातीय भाषाओँ का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद करेगा।
- पांडुलिपियों और प्राइमरों के डिजिटलीकरण के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (OCR)।
- जनजातीय ज्ञान के द्विभाषी शब्दकोश और संग्रहित भंडार।
- छात्रों और नौसिखिए शिक्षार्थियों के लिए अन्योन्य (Interactive) भाषा सीखने के उपकरण।
- प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए जनजातीय अनुसंधान संस्थानों और जनजातीय वक्ताओं के साथ समुदाय-संचालित विकास।
- कम संसाधन वाली जनजातीय भाषाओं के लिए मेटा के नो लैंग्वेज लेफ्ट बिहाइंड (NLLB) और IndicTrans2 जैसे एआई भाषा मॉडल का उपयोग करके निर्मित किया गया।
मिनी क्लाउडबर्स्ट
संदर्भ: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने स्पष्ट किया है कि हाल के वर्षों में पूरे भारत में बादल फटने की घटनाओं में वृद्धि की प्रवृत्ति नहीं देखी गयी है, हालांकि “मिनी क्लाउडबर्स्ट ” की घटनाएं बढ़ रही हैं और उनका पूर्वानुमान लगाना कठिन है।
मिनी क्लाउडबर्स्ट क्या हैं?
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) मिनी क्लाउडबर्स्ट को स्थानीय स्तर पर होने वाली भारी वर्षा की घटना के रूप में परिभाषित करता है। इसमें लगभग 20-30 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक घंटे के भीतर ही कम से कम 5 सेमी. वर्षा होती है।
- क्लाउडबर्स्ट (बादल फटने) से तुलना:
मिनी क्लाउडबर्स्ट: प्रति घंटे 5 सेमी. या उससे अधिक वर्षा
क्लाउडबर्स्ट: समान समयावधि और क्षेत्र में प्रति घंटे 10 सेमी. या उससे अधिक वर्षा - यह शब्द भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) द्वारा 2018 में किए गए एक अध्ययन में प्रस्तुत किया गया था।
- इसे पूर्ण बादल फटने (full cloudburst) का अपेक्षाकृत हल्का संस्करण माना जा सकता है, लेकिन फिर भी यह विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों में आकस्मिक बाढ़, भूस्खलन और स्थानीय स्तर पर क्षति का कारण बन सकता है।
मिनी क्लाउडबर्स्ट का पूर्वानुमान लगाना एक चुनौती क्यों बना हुआ है?
- स्थानीयकृत और अल्पकालिक प्रकृति: मिनी क्लाउडबर्स्ट बहुत छोटे क्षेत्रों में होता है और तेजी से होता है, जिससे वर्तमान अवलोकन नेटवर्क और मॉडल के साथ वास्तविक समय में उनका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो जाता है।
- सीमित मौसम संबंधी अवसंरचना: डॉप्लर रडार और वर्षामापी अक्सर अपने छोटे स्थानिक पैमाने और अचानक घटित होने वाली घटनाओं का आकलन करने में विफल रहते हैं। विशेष रूप से पहाड़ी और दूरदराज के क्षेत्रों में विरल सेंसर नेटवर्क, के कारण महत्वपूर्ण डेटा प्राप्ति में विलंब होता है।
भारतीय मौसम विभाग की एनसेंबल पूर्वानुमान प्रणाली (Ensemble Prediction System) और फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम (Flash Flood Guidance System) कुछ हद तक पूर्वानुमान क्षमता प्रदान करते हैं, लेकिन तात्कालिक और स्थल-विशिष्ट (location-specific) घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी के लिए इन प्रणालियों का रिज़ॉल्यूशन अभी भी अपर्याप्त है। - दूरदराज के इलाकों में प्रभावी संचार नेटवर्क का अभाव: दूरदराज या पहाड़ी गाँवों में अपर्याप्त संचार अवसंरचना के कारण समय से चेतावनी जारी करने में बाधा आती है। इसके अलावा, अनियमित निर्माण कार्य भी आपदाओं के प्रति जोखिम को और बढ़ा देते हैं, जिससे उपलब्ध होने पर भी पूर्व चेतावनियों की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
सेमीकंडक्टर OSAT पायलट लाइन सुविधा
संदर्भ: हाल ही में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने गुजरात के साणंद में सीजी पावर की भारत की पहली एंड-टू-एंड सेमीकंडक्टर ओएसएटी (OSAT) पायलट लाइन सुविधा का उद्घाटन किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- OSAT (आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) पायलट लाइन का शुभारंभ भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता के भारत के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- यह एक संपूर्ण निर्माण इकाई है, जहाँ सेमीकंडक्टर चिप्स का असेंबली, एडवांस पैकेजिंग, गुणवत्ता परीक्षण, और परीक्षण के बाद की प्रक्रियाएं (जैसे फाइनल इंस्पेक्शन, क्वालिटी कंट्रोल, डिलीवरी तैयारी) की जाती हैं।
- यह सुविधा पहले ग्राहक परीक्षण और अनुमोदन के लिए चिप का उत्पादन करेगी, जिससे वाणिज्यिक संयंत्रों के लिए पूर्ण पैमाने पर उनका उत्पादन करने की राह सुगम होगी।
OSAT के बारे में
- ये तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता हैं जिन्हें अंतिम उत्पादों में एकीकरण के लिए एकीकृत सर्किट (ICs) तैयार करने के लिए चिप असेंबली, पैकेजिंग और परीक्षण सहित अर्धचालकों की निर्माण-पश्चात प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता हासिल होती है।
- OSAT कंपनियां वेफर्स बनाने वाली सेमीकंडक्टर फाउंड्री (कारखाने) और उपकरण निर्माताओं के बीच के अंतराल को पाटती हैं, तथा लागत दक्षता, विनिर्माण लचीलापन प्रदान करती हैं।
सेमीकंडक्टर कार्यबल में प्रमुख विकास
- 2032 तक, विश्व में लगभग दस लाख सेमीकंडक्टर पेशेवरों की कमी होने की उम्मीद है, और भारत का लक्ष्य अपनी बढ़ती प्रतिभाओं के माध्यम से इस अंतराल को पाटना है।
- इसकी तैयारी के लिए, सरकार ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन शुरू करने के साथ ही 270 विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी की है, जिससे उन्नत सेमीकंडक्टर डिज़ाइन उपकरणों तक पहुँच प्राप्त हो सकेगी।
- परिणामस्वरूप, 17 संस्थानों के छात्रों द्वारा डिज़ाइन किए गए 20 चिप का मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक निर्माण किया जा चुका है।
अभ्यास युद्ध कौशल 3.0
संदर्भ: भारतीय सेना ने चरम हिमालयी परिस्थितियों में अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए तैयारियों का परीक्षण करने हेतु अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई पर स्थित कामेंग क्षेत्र में युद्ध कौशल 3.0 अभ्यास आयोजित किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह अभ्यास गजराज कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग की देखरेख में आयोजित किया गया। गजराज कोर का मुख्यालय असम के तेजपुर में है।
- यह अभ्यास आधुनिक तकनीक को पारंपरिक युद्ध कौशल के साथ बड़े पैमाने पर संयोजित करते हुए युद्धाभ्यास करने पर केंद्रित था।
- नवगठित ASHNI प्लातूनों ने पहली बार इस अभ्यास/कार्यक्रम में भाग लिया, जिन्हें निर्णायक युद्धक्षेत्र में उन्नत तकनीक को पारंपरिक युद्ध कौशल के साथ एकीकृत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इस अभ्यास ने दुर्गम क्षेत्रों में युद्ध की प्रभावशीलता को वैधता प्रदान की तथा बहु-क्षेत्रीय संचालन और उभरती तकनीकों को अपनाने की दिशा में बल में हो रहे परिवर्तनों को भी उजागर किया।
अभ्यास की मुख्य विशेषताएँ
- स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने के लिए ड्रोन निगरानी।
- सटीक हमले और वास्तविक समय में लक्ष्य प्राप्ति।
- विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त समन्वय के लिए हवाई-तटीय अभियानों का संचालन।
- प्रतिकूल हिमालयी परिस्थितियों में समन्वित युद्ध रणनीति।
- पारंपरिक युद्ध विधियों के साथ उभरती प्रौद्योगिकियों के एकीकरण का प्रदर्शन।