अभ्यास कोंकण-2025

संदर्भ:

हाल ही में भारत ने देश के पश्चिमी तट पर वार्षिक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास कोंकण-2025 की मेजबानी की।

अभ्यास कोंकण-2025

  • यह अभ्यास भारतीय नौसेना और यूके रॉयल नेवी के बीच आयोजित किया जाता है।
  • यह द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 5 अक्टूबर 2025 को शुरू हुआ और भारत के पश्चिमी समुद्री तट पर 12 अक्टूबर 2025 तक जारी रहेगा।
  • इस अभ्यास का उद्देश्य सुरक्षित, खुले और मुक्त समुद्र को बनाए रखने के प्रति भारत और यूनाइटेड किंगडम की साझा प्रतिबद्धता को करना है।
  • यह भागीदारी भारत-यूके विजन 2035 के तहत परिकल्पित व्यापक रणनीतिक साझेदारी का उदाहरण है।
  • अभ्यास कोंकण पहली बार 2004 में आयोजित किया गया था।
  • अभ्यास के चरण: बंदरगाह चरण और समुद्री चरण।
    • बंदरगाह चरण: इसमें नौसेना कर्मियों के बीच पेशेवर बातचीत, क्रॉस-डेक दौरे, खेल प्रतियोगिताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त, संयुक्त कार्य समूह की बैठकें और विषय-वस्तु विशेषज्ञों के साथ आदान-प्रदान भी निर्धारित है।
    • समुद्री चरण: इसमें जटिल समुद्री परिचालन अभ्यास शामिल होंगे, जिनमें वायु-रोधी, सतह-रोधी और पनडुब्बी-रोधी अभ्यास, उड़ान संचालन और अन्य नौसैन्य कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • भाग लेने वाली सेनाएँ:
    • यूके के वैश्विक तैनाती अभियान “ऑपरेशन हाईमस्ट” के हिस्से के रूप में, विमानवाहक पोत HMS प्रिंस ऑफ वेल्स के नेतृत्व में यूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG-25), नॉर्वे और जापान की सेनाओं के साथ मिलकर भाग ले रहा है।
    • कैरियर बैटल ग्रुप भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व करता है जिसका नेतृत्व स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत कर रहा है और जिसे अन्य सतही, उप-सतही और हवाई लड़ाकू विमानों का सहयोग प्राप्त है।
  • 12 अक्टूबर 2025 को अभ्यास कोंकण-2025 पूरा करने के बाद, यूके कैरियर स्ट्राइक ग्रुप (CSG)-25 अपना परिनियोजन जारी रखने से पहले 14 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना के साथ एक दिवसीय अभ्यास करेगा।

INS एंड्रोथ 

संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय नौसेना ने नौसेना डॉकयार्ड, विशाखापत्तनम में दूसरा एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS एंड्रोथ का जलावतरण किया।

INS एंड्रोथ के बारे में

  • यह जहाज गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) श्रृंखला का दूसरा पोत है।
    • इस श्रेणी में शामिल होने वाला पहला जहाज आईएनएस अर्नाला था, जो जून माह में ही शामिल किया गया था।
  • इसका नाम लक्षद्वीप समूह के सबसे उत्तरी द्वीप एंड्रोथ के नाम पर रखा गया है, जो इसके ऐतिहासिक और सामरिक समुद्री महत्व को दर्शाता है।
  • यह पोत 77 मीटर लंबा है और इसका विस्थापन लगभग 1500 टन है।
  • इसे तटीय और उथले जल में पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है।

INS एंड्रोथ की मुख्य विशेषताएं

  • इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री है, जो रक्षा निर्माण में भारत की तकनीकी प्रगति और औद्योगिक क्षमता को दर्शाती है।
  • जहाज पानी के भीतर के खतरों का प्रभावी ढंग से पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने के लिए उन्नत हथियारों, सेंसर और संचार प्रणालियों से लैस है।
  • यह समुद्री डीजल इंजनों द्वारा संचालित तीन वाटरजेट प्रणोदन प्रणालियों द्वारा संचालित है, जो इसे अत्यधिक चपल और गतिशील बनाता है।
  • यह जहाज समुद्री निगरानी, खोज और बचाव, तटीय रक्षा मिशन और कम तीव्रता वाले समुद्री संचालन (LIMO) करने में सक्षम है।
  • जहाज में कुशल प्रदर्शन के लिए आधुनिक मशीनरी, स्वचालन प्रणाली और उन्नत नियंत्रण तकनीक जैसी विशेषताएँ है।

टाइफून मत्मो

संदर्भ:

अक्टूबर 2025 के शुरूआती दिनों में फिलीपींस और दक्षिणी चीन में आए टाइफून मत्मो ने वहाँ जन-धन को काफी क्षति पहुंचायी।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह टाइफून 1 अक्टूबर 2025 को पश्चिमी फिलीपीन सागर के ऊपर एक उष्णकटिबंधीय अवसाद के रूप में बना और अगले दिन उष्णकटिबंधीय तूफान में विकसित हो गया।
  • 3 अक्टूबर को इसाबेला प्रांत में लगातार लगभग 130 किमी/घंटा की हवाओं के चलने के साथ चक्रवात का आगमन हुआ।
  • उत्तरी प्रांतों में बाढ़ और भूस्खलन-प्रवण क्षेत्रों से 7,000 से अधिक लोगों को निकाला गया।
  • दक्षिण चीन सागर को पार करने के बाद, यह 5 अक्टूबर को ग्वांगडोंग प्रांत पहुंचा, जिसके कारण 150,000 निवासियों को वहाँ से विस्थापित किया गया।
  • मौसम विभाग की एजेंसियों ने तूफान के पश्चिम की ओर बढ़ने के कारण गुआंग्शी और उत्तरी वियतनाम के लिए चेतावनी जारी की।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात

  • “हरिकेन” और “टाइफून” शब्द उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के क्षेत्रीय नाम हैं।
  • सभी उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की क्रियाविधि समान होती है: वे क्षैतिज, घूमती हुई हवाओं को शक्ति प्रदान करने के लिए गर्म महासागरीय सतही जल से ऊष्मा लेते हैं।
  • यद्यपि उष्णकटिबंधीय चक्रवात आकार में साइनेप्टिक चक्रवात (Synoptic Cyclones) के समान हो सकते हैं, परंतु उनका ऊर्जा स्रोत भिन्न होता है।
  • साइनेप्टिक चक्रवात (मध्य-अक्षांशीय तूफान प्रणाली) मौसमी वाताग्र और जेट धाराओं से ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जबकि उष्णकटिबंधीय चक्रवात मुख्य रूप से महासागरीय उष्मा से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
  • क्षेत्रीय नाम:
    • हरिकेन: अटलांटिक महासागर और पूर्वी प्रशांत महासागर
    • टाइफून: पश्चिमी प्रशांत महासागर
    • चक्रवात: हिंद महासागर और ऑस्ट्रेलिया के पास

UPI के उपयोग की तीव्रता

संदर्भ:

हाल ही में आरबीआई बुलेटिन पेपर के अनुसार, तेलंगाना ने सभी भारतीय राज्यों में प्रति व्यक्ति यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की तीव्रता सबसे अधिक दर्ज की है।

आरबीआई अध्ययन के निष्कर्ष

  • अध्ययन में PhonePe लेनदेन डेटा का उपयोग करके यूपीआई उपयोग की तीव्रता का आकलन किया गया, क्योंकि यह प्लेटफॉर्म कुल यूपीआई लेनदेन मात्रा का 58% हिस्सा है।
    यूपीआई एक भारतीय रियल टाइम, त्वरित भुगतान प्रणाली है जिसमें निर्बाध निधि हस्तांतरण के लिए कई बैंक खातों को एक ही मोबाइल एप्लिकेशन से जोड़ा जा सकता है।
  • उच्च यूपीआई तीव्रता दिखाने वाले अन्य राज्यों में कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल हैं।
  • इसके विपरीत, पूर्वोत्तर राज्यों, केरल, गोवा और दिल्ली में नकद निकासी की तीव्रता उच्च बनी हुई है।
  • डिजिटल पेमेंट की ओर बदलाव:
    • यूपीआई की पहचान अर्थव्यवस्था में नकदी की मांग में गिरावट के एक प्रमुख कारक के रूप में की गई है।
    • यह प्रवृत्ति जीडीपी के प्रतिशत के रूप में एटीएम से नकदी निकासी में लगातार आई गिरावट से उजागर होती है।
  • लेन-देन की प्रकृति में परिवर्तन:
    • एकल UPI लेनदेन का औसत मूल्य, जिसे “टिकट साइज़” भी कहा जाता है, समय के साथ घट रहा है।
    • मात्रा के हिसाब से पीयर-टू-मर्चेंट (P2M) लेनदेन का बड़ा हिस्सा अब 500 रुपये से कम मूल्य की सीमा के अंतर्गत आता है।
    • यह खुदरा खरीदारी और छोटे भुगतान जैसे कम मूल्य वाले, रोज़मर्रा के लेनदेन के लिए UPI के बढ़ते उपयोग को दर्शाता है।

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