“भू-नीर” पोर्टल

संदर्भ:

हाल ही में, जल शक्ति मंत्रालय ने भारत के 8वां जल सप्ताह 2024 के समापन समारोह के दौरान “भू-नीर” पोर्टल को डिजिटल रूप से शुरू कर दिया। 

“भू-नीर” पोर्टल

  • यह पोर्टल भूजल संसाधनों के प्रबंधन और विनियमन के लिए एकल स्थल मंच के रूप में काम करेगा और यह भूजल उपयोग में पारदर्शिता, दक्षता और स्थिरता सुनिश्चित करेगा।
  • केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया गया।

पोर्टल की विशेषताएं

व्यापक भूजल संसाधन प्रबंधन: यह पोर्टल एक केंद्रीकृत डाटाबेस प्रदान करता है जो भूजल निष्कर्षण को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे तक पहुंच प्रदान करता है। 

उपयोगकर्ता-अनुकूल डिजाइन: इसे सरल और सहज तरीके से डिजाइन किया गया है जो निर्बाध उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस अनुभव सुनिश्चित करता है। 

नवीन कार्यक्षमताएं: “भू-नीर” पोर्टल में उन्नत क्षमताएं हैं जैसे- सरलीकृत उपयोगकर्ता पहचान हेतु पैन-आधारित एकल आईडी प्रणाली।

  • यह क्यूआर कोड के साथ एकीकृत अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOCs) भी तैयार करता है, जिससे सुविधा और पता लगाने की क्षमता दोनों बढ़ जाती है।

उन्नत पहुंच: पोर्टल उपयोगकर्ताओं को आवेदन की स्थिति पर नज़र रखने, वैधानिक भुगतान करने और भूजल निकासी से संबंधित स्पष्टीकरण या सहायता प्राप्त करने की सुविधा देता है, जिससे बेहतर पहुंच और सहायता सुनिश्चित होती है।

महत्वपूर्ण प्रणाली सुधार: “भू-नीर” पोर्टल पिछली NOCAP  प्रणाली की तुलना में पर्याप्त प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।

नैफिथ्रोमाइसिन

संदर्भ:

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) से निपटने के लिए भारत का पहला स्वदेशी एंटीबायोटिक “नेफिथ्रोमाइसिन” दवा विकसित की है। 

नैफिथ्रोमाइसिन क्या है?

विकास: नैफिथ्रोमाइसिन को जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) की सहायता से विकसित किया गया था और वॉकहार्ट द्वारा ‘मिक्नाफ’ ब्रांड नाम के तहत इसका विपणन किया जाता है। 

  • नैफिथ्रोमाइसिन को विशेष रूप से दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होने वाले समुदाय-उपार्जित जीवाणु निमोनिया (CABP) के इलाज के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो बच्चों, बुजुर्गों और प्रतिरक्षाविहीन व्यक्तियों जैसे कमजोर लोगों को लक्षित करता है।

प्रभावशीलता: यह एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से दस गुना अधिक प्रभावी है।   इसका तीन दिवसीय उपचार सुरक्षित, तीव्र तथा बेहतर रूप से सहनीय है। 

  • इसके दुष्प्रभाव न्यूनतम हैं और इसमें दवाइयों के साथ कोई महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया नहीं है।  अतः  यह एक बहुमुखी और रोगी-अनुकूल समाधान बन जाता है।

महत्व: नैफिथ्रोमाइसिन  30 वर्षों में विश्व स्तर पर विकसित किया जाने वाला पहला एंटीबायोटिक है, जो वैश्विक एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) संकट से निपटने में एक प्रमुख मील का पत्थर है।

अनुमोदन की स्थिति: दवा को वर्तमान में सार्वजनिक उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से अंतिम अनुमोदन की प्रतीक्षा है।

अफ़्रीकी पेंगुइन

संदर्भ:

हाल ही में, अफ्रीकी पेंगुइन अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) द्वारा ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त (CR)’ के रूप में सूचीबद्ध होने वाली पहली पेंगुइन प्रजाति बन गई। 

अफ़्रीकी पेंगुइन 

  • यह सबसे छोटी पेंगुइन प्रजातियों में से एक है।
  • अफ़्रीकी पेंगुइन को आमतौर पर “जैकस पेंगुइन” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसकी आवाज़ गधे जैसी होती है।  पेंगुइन मोनोगैमस (monogamous) होते हैं, जो आजीवन साझेदारी बनाते हैं।
  • विशेषताएं: अफ्रीकी पेंगुइन को उनकी आंखों के ऊपर त्वचा के गुलाबी धब्बों (जो उनके शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं) से आसानी से पहचाना जा सकता है।
  • निवास स्थान: ये पेंगुइन विशेष रूप से नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं।  1800 के दशक से उनकी आबादी में गिरावट आ रही है, आज  20,000 से भी कम पेंगुइन बचे हैं।
  • संकट : केप फर सील और केल्प गल्स जैसे शिकारियों, बढ़ते समुद्री तापमान तथा सार्डिन और एंकोवी जैसे शिकार की कमी के कारण उनका अस्तित्व खतरे में है।
  • संरक्षण: अफ्रीकी पेंगुइन को वर्ष 1973 से दक्षिण अफ्रीका के समुद्री पक्षी और सील संरक्षण अधिनियम तथा हाल ही में वर्ष 2017 से समुद्री संकटग्रस्त या संरक्षित प्रजाति विनियमों के तहत संरक्षित किया गया है।

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