मेली-एमिली
संदर्भ:
इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IASST) द्वारा ‘फूड फ्रंटियर्स’ पत्रिका में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन से पता चला है कि ‘मेले-एमिली’ में मोटापा-रोधी प्रभाव होता है।
मेली-एमिली के बारें में
- यह त्रिपुरा की पारंपरिक किण्वित बांस की टहनी से प्राप्त अर्क है।
- यह इंट्रासेल्युलर लिपिड संचयन को कम करता है और फैटी एसिड β-ऑक्सीकरण को बढ़ाता है।
- किण्वन की प्रक्रिया में लिपोलाइटिक और वसा ब्राउनिंग नियामक जीन (UCP1, PRDM16, and PGC1-alpha) के प्रकटन में वृद्धि होती है।
- मेली-एमिली के साथ शोधन से थर्मोजेनिक प्रोटीन का विनियमन होता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (IASST)
- इसकी परिकल्पना और विकास असम विज्ञान सोसायटी द्वारा किया गया था और इसका उद्घाटन वर्ष 1979 में नोबेल पुरस्कार विजेता डोरोथी सी. हॉजकिन द्वारा किया गया था।
- इस संस्थान को वर्ष 2009 में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने अपने स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के भागके रूप में अपने अधीन ले लिया था।
- यह संस्थान विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अग्रणी क्षेत्रों, जैसे- प्लाज्मा भौतिकी, पॉलिमर विज्ञान, जैव रसायन, औषधि डिजाइन एवं विकास, नैनो-विज्ञान आदि में मौलिक और अनुप्रयुक्त दोनों प्रकार के बहुविषयक अनुसंधान गतिविधियों में संलग्न है।
10वें एशिया प्रशांत बधिर खेल 2024
संदर्भ:
हाल ही में, 10वें एशिया प्रशांत बधिर खेलों की मेजबानी मलेशिया ने की।
अन्य संबंधित जानकारी (H5)
- भारत ने इस टूर्नामेंट में 68 सदस्यीय दल के साथ भाग लिया, जिसमें 42 पुरुष और 26 महिलाएं शामिल थीं।
- भारत ने 8 स्वर्ण, 18 रजत और 29 कांस्य पदक जीते और 21 देशों में 5वें स्थान पर रहा।
- प्रमुख9 खेल शामिल: एथलेटिक्स, बैडमिंटन, बॉलिंग, शतरंज, फुटबॉल, जूडो, टेबल टेनिस, ताइक्वांडो और कुश्ती।
एशिया प्रशांत बधिर खेल (H5)
- एशिया प्रशांत बधिर खेल वर्ष 1984 में प्रारंभ हुआ था। यह प्रतिवर्ष 4 साल में एशिया प्रशांत क्षेत्र में आयोजित किया जाता है। भारत ने कभी भी इन खेलों की मेजबानी नहीं की है।
- एशिया प्रशांत बधिर खेल, बधिरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति (ICSD) के अधिकार क्षेत्र में आयोजित किए जाते हैं।
- ICSD (H5)
- बधिरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति वर्ष 1924 में स्थापित एक स्वतंत्र और स्व-विनियमित अंतर्राष्ट्रीय खेल संगठन है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय पैरालम्पिक समिति (IPC) से संबद्ध नहीं है।
- वर्ष 1966 में, बधिरों के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल समिति को अंतर्राष्ट्रीय बधिर खेल के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा ओलंपिक कप से सम्मानित किया गया था।
सुब्रमण्यम भारती
संदर्भ:
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने महान तमिल कवि और स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती की संपूर्ण रचनाओं के संग्रह का विमोचन किया।
सुब्रमण्यम भारती का जीवन परिचय
उनका जन्म 11 दिसंबर, 1882 को तत्कालीन तिरुनेलवेली जिले (वर्तमान में तूतीकोरिन जिला) के एट्टायपुरम में हुआ था।
वह तमिलनाडु के एक लेखक, कवि, पत्रकार, भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता और समाज सुधारक थे।
उन्हें आधुनिक तमिल साहित्य का प्रवर्तक माना जाता है।
वे “महाकवि भरतियार” के नाम से लोकप्रिय थे।
वर्ष 1904 में सुब्रमण्यम भारती तमिल दैनिक ‘स्वदेशमित्रन’ के सहायक संपादक बने।
उन्होंने वर्ष 1907 में तमिल साप्ताहिक ‘इंडिया’ और अंग्रेजी समाचार पत्र ‘बाला भारतम्’ का संपादन शुरू किया।
वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य भी थे।
सुब्रमण्यम भारती ने वर्ष 1907 में ऐतिहासिक सूरत के कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया।
उनकी साप्ताहिक पत्रिका इंडिया और विजया (तमिल दैनिक समाचार पत्र) पर वर्ष 1909 में ब्रिटिश भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया था।
सुब्रमण्यम भारती ने आर्य पत्रिका में अरबिंदो के सहायक के रूप में काम किया और बाद में पांडिचेरी में कर्म योगी में भी सहायक बने।
- अंग्रेजों की गिरफ्तारी और सजा से बचने के लिए भारती कुछ समय तक पांडिचेरी में रहे।
एक हाथी द्वारा हमला किये जाने की घटना के कुछ महीनों बाद 11 सितम्बर, 1921 को उनकी मृत्यु हो गयी।
उनके घर को वर्ष 1993 में तमिलनाडु सरकार ने खरीद लिया और इसका जीर्णोद्धार किया तथा इसका नाम भरतियार इल्लम (भरतियार का घर) रखा।
सुब्रमण्यम भारती की कृतियाँ
- उनकी तीन महान कृतियाँ, कुयिल पट्टू, पांचाली सबाथम और कन्नन पट्टू की रचना वर्ष 1912 में की गई थी।
- उन्होंने वैदिक भजनों, पतंजलि के योग सूत्र और भगवत गीता का तमिल में अनुवाद भी किया।