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सामान्य अध्ययन-1: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे

संदर्भ: 24 नवंबर 2025 को गुरु तेग बहादुर का 350वां शहीदी दिवस मनाया गया।

श्री  गुरु तेग बहादुर के बारे में 

प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि:

  • गुरु तेग बहादुर जी का जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर के गुरु के महल में, गुरु हरगोबिंद जी के सबसे छोटे पुत्र के रूप में हुआ।
  • उनका मूल नाम त्याग मल रखा गया था, जिसका अर्थ है “महान बलिदान करने में सक्षम व्यक्ति।”
  • उनकी परवरिश और समग्र विकास की देखभाल बाबा बुद्धा को सौंपी गई थी।
  • उनका चरित्र गुरु हरगोबिंद जी के मीरी और पीरी के सिद्धांत और उनकी माँ की शांत, आध्यात्मिक प्रवृत्ति से प्रभावित हुआ।
  • उनके पुत्र गुरु गोबिंद सिंह जी बाद में दसवें सिख गुरु बने।

आध्यात्मिक पहचान और गुरुदायित्व:

  • गुरु हरगोबिंद जी ने त्याग मल को “तेग बहादुर” की उपाधि प्रदान की, जिसका अर्थ है “तलवार में पराक्रमी”, और यह उपाधि उन्हे करतारपुर के युद्ध में उनकी असाधारण वीरता के सम्मान में दी गई।
  • बाद में वे सिखों के 9वें गुरु बने, जिन्हें गुरु तेग बहादुर के नाम से जाना गया।
  • उन्होंने गुरु नानक के संदेश का प्रचार करने के लिए गहरी निष्ठा दिखाई और उत्तर तथा पूर्वी भारत के पवित्र स्थलों की यात्रा की।
  • उन्होंने कश्मीरी पंडितों की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, और मुग़ल साम्राज्य के अत्याचारों के बावजूद इस्लाम में परिवर्तित होने से इंकार किया।

आनंदपुर साहिब की स्थापना:

  • गुरु तेग बहादुर जी आध्यात्मिक रूप से मखोवाल, शिवालिक की तलहटी के शांत परिवेश की ओर आकृष्ट हुए।
  • 1672 में, उन्होंने बिलासपुर के राजा से भूमि खरीदकर एक बस्ती की स्थापना की, जिसे चक ननकी नाम दिया गया।
  • बाद में इस स्थान का नाम आनंदपुर रखा गया, जिसका अर्थ है “सदैव आनंद का नगर”, और यह इसके आध्यात्मिक और प्राकृतिक शांति के सम्मान में किया गया

उपदेश और योगदान:

  • गुरु तेग बहादुर जी ने 116 शबद और 15 राग की रचना की, जो आदि ग्रंथ में संरक्षित हैं।

शहीदी:

  • गुरु तेग बहादुर जी को मुग़ल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर 1675 में दिल्ली में फ़ांसी दी गई।
  • उनकी फ़ांसी और अंतिम संस्कार की स्थली को गुरुद्वारा सिस गंज साहिब और गुरुद्वारा रक़ाब गंज साहिब द्वारा चिन्हित किया गया है।
  • उनकी शहीदी को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे परंपरागत रूप से 24 नवंबर को आयोजित किया जाता है, यह दिन सिखों के 9वें गुरु के बलिदान का ऐतिहासिक प्रतीक है।

सिख धर्म (Sikhism)

  • सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म है, जिसकी स्थापना भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब क्षेत्र में गुरु नानक ने 15वीं सदी के अंत में की थी।
  • यह धर्म समानता, सच्चे जीवन और एक ईश्वर की भक्ति पर बल देता है, और अंधविश्वास तथा अंध अनुष्ठानों को अस्वीकार करता है।
  • सिख धर्म में यह माना जाता हैं कि एक ही सर्वव्यापक ईश्वर है, जो कि  वाहेगुरु (Waheguru) हैं। इस धर्म मे दस मानव गुरुओं की शिक्षाओं का पालन किया जाता हैं, और अंतिम, जीवित गुरु के रूप में पवित्र शास्त्र गुरु ग्रंथ साहिब को माना जाता हैं।

Sources:
Newsonair
sgtbkhalsadu
Thestatesman

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