संदर्भ:
हाल ही में,केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में तीसरे लॉन्च पैड की स्थापना को मंजूरी दी है।
तीसरे लॉन्च पैड के बारे में
- भारत के बदलते अंतरिक्ष अन्वेषण उद्देश्यों के अनुरूप, यह परियोजना भारत की अंतरिक्ष प्रक्षेपण क्षमताओं में सुधार करेगी, विशेष रूप से मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के लिए।
- उद्देश्य:
तीसरे लॉन्च पैड को यथासंभव सार्वभौमिक (यूनिवर्सल) और अनुकूलनीय (एडेप्टेबल) विन्यास के साथ डिजाइन किया गया है जो न केवल NGLV बल्कि सेमीक्रायोजेनिक चरण के साथ LVM 3 वाहनों के साथ-साथ NGLV के बढ़े हुए विन्यास का भी समर्थन कर सकता है।
- मौजूदा दूसरा लॉन्च पैड (SLP) के लिए बैकअप के रूप में कार्य करना ।
- भविष्य के भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए समग्र प्रक्षेपण क्षमता को बढ़ाना।
- अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तारित दृष्टिकोण में शामिल हैं: –
- 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) की स्थापना।
- 2040 तक भारतीय क्रू को चन्द्रमा पर उतरना
- उपरोक्त दोनों के लिए नई पीढ़ी के भारी प्रक्षेपण वाहनों के साथ नई उन्नत प्रणोदन प्रणालियों की आवश्यकता है, जो मौजूदा प्रक्षेपण पैडों से पूरी नहीं हो सकती
- TLP को दूसरे लॉन्च पैड (SLP) के साथ स्थापित किया जाएगा, जिससे मौजूदा बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग किया जा सकेगा।
- कुल अपेक्षित व्यय ₹3984.86 करोड़ है और परियोजना को 48 महीने (4 वर्ष) के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है।
प्रभाव और लाभ
- भारतीय अंतरिक्ष तंत्र को बढ़ावा: नए लॉन्च पैड से अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की आवृत्ति बढ़ेगी, जिससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को महत्वपूर्ण गति मिलेगी।
- भविष्य के मिशनों के लिए समर्थन: यह बुनियादी ढांचा गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन और अन्य महत्वाकांक्षी अंतरग्रहीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए आवश्यक होगा।
- रोजगार और उद्योग की भागीदारी: इस परियोजना में महत्वपूर्ण उद्योग भागीदारी शामिल होगी, जो लॉन्च पैड विकास में इसरो के अनुभव का लाभ उठाएगी।