संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय-अमेरिकी श्रीनिवास कुलकर्णी को खगोल विज्ञान (खगोल शास्त्र) में शॉ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अन्य संबंधित जानकारी      

उन्होंने मिलीसेकंड पल्सर, गामा-रे विस्फोट, अधिनव तारा (सुपरनोवा) और अन्य परिवर्तनशील या क्षणिक खगोलीय पिंडों के बारे में अपनी अभूतपूर्व खोजों के लिए खगोल विज्ञान का प्रतिष्ठित शॉ पुरस्कार प्रदान किया गया।

खगोलीय क्षणिक (Astronomical Transient) के बारे में

  • खगोल विज्ञान में, ‘क्षणिक’ कोई भी ऐसी खगोलीय पिंड होती है, जिसकी चमक अल्पावधि में बदलती रहती है।
  • खगोल विज्ञानी (खगोलशास्त्री) क्षणिक घटनाओं का अध्ययन इस बात को समझने के लिए करते हैं कि तीव्र घटनाएँ कहाँ से उत्पन्न होती हैं और वे हमें गैर-क्षणिक घटनाओं के बारे में क्या बता सकती हैं।
  • इनमें से कुछ घटनाएँ हमारी आकाशगंगा (गैलेक्टिक) में होती हैं, जबकि अन्य घटनाएँ मंदाकनी अर्थात, मिल्की वे (गैलेक्टिक से बाहर) के बाहर घटित होती हैं।

शॉ पुरस्कार (Shaw Prize)

  • वर्ष 2002 में, मिस्टर रन रन शॉ (हांगकांग के एक व्यवसायी) ने शॉ प्राइज़ फाउंडेशन की स्थापना की थी। इसका उद्घाटन शॉ पुरस्कार दो साल बाद वर्ष 2004 में प्रदान किया गया था।
  • इसे “पूर्व का नोबेल” (Nobel of the East) कहा जाता है।
  • इसमें औषधि और जीवन विज्ञान (Life Science), खगोल विज्ञान और गणितीय विज्ञान के क्षेत्र में प्रदान किए जाने वाले तीन वार्षिक पुरस्कार शामिल हैं।
  • प्रत्येक पुरस्कार में एक निश्चित मौद्रिक राशि प्रदान की जाती है, जिसे वर्ष 2016 से 1.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर निर्धारित किया गया है।

खगोलीय क्षणिक के उदाहरण

सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षणिक घटनाओं में से एक अधिनव तारा (सुपरनोवा) है। यह तब देखने को मिलता है, जब बड़े तारों के केन्द्र में विस्फोट होने से उसकी बाहरी परतें विखंडित हो जाती हैं, क्योंकि तारों के संलयन का गुण समाप्त हो जाते हैं।    

  • कई अधिनव तारा (सुपरनोवा) इतने चमकीले होते हैं कि वे अपनी मेजबान आकाशगंगा के बाकी तारों के संयुक्त प्रकाश से भी अधिक तीव्र प्रकाश उत्सर्जित करते हैं।

सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक (AGN) विशाल आकाशगंगाओं का केंद्र होता है, जिसमें अत्यधि-व्यापक कृष्ण विवर (ब्लैक होल) होते हैं।

  • इस प्रक्रिया में कृष्ण विवर और पदार्थ के बीच होने वाली अंतःक्रिया के कारण पदार्थ ऊर्जा प्राप्त करता है और बदलती चमक के साथ चमकता है।

वर्ष 2007 में, खगोलविदों ने एक रहस्यमय नए क्षणिक की खोज की, जिसे फास्ट रेडियो बर्स्ट (Fast Radio Burst-FRB) कहा जाता है। वे कुछ मिलीसेकंड में सूर्य की तुलना में 10 गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित कर सकते हैं। 

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