संदर्भ:

जल्द ही, केंद्र सरकार श्रमिक श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (Labour Welfare and Employment Index-LWEI) को लॉन्च करने वाली है।  

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस श्रमिक श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (Labour Welfare and Employment Index-LWEI) का उद्देश्य प्रमुख मापदंडों यानी रोजगार, श्रमिक श्रमिक  कल्याण, सामाजिक सुरक्षा कवरेज और उत्पादकता, के आधार पर राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों (UT) के लिए एक व्यापक रैंकिंग प्रणाली प्रदान करना है।

श्रमिक श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (Labour Welfare and Employment Index-LWEI) की मुख्य विशेषताएँ और उद्देश्य 

  • रैंकिंग की रूपरेखा: श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) संभवतः कई संकेतकों पर विचार करेगा, जिनमें संभवतः रोजगार दर, सामाजिक सुरक्षा कवरेज (स्वास्थ्य बीमा, पेंशन आदि), न्यूनतम वेतन  अनुपालन, कार्य स्थितियाँ और औद्योगिक विवाद शामिल होंगे।
    इन मापदंडों का मूल्यांकन करके, श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को रैंकिंग प्रदान करेगा, जिससे “स्वस्थ प्रतिस्पर्धा” को बढ़ावा देने के साथ-साथ अपर्याप्त श्रमिक  कानून के क्रियान्वयन वाले क्षेत्रों में सुधार को प्रोत्साहित किया जाएगा।

लाभ  एवं अपेक्षित परिणाम

  • बेहतर नीति का निर्माण: श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) की रैंकिंग से राज्यों को अधिक सुसंगत रोजगार नीतियों को अपनाने और उसे लागू करने हेतु प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद  है, जो कि विशेष रूप से कई राज्यों में संचालित होने वाले व्यवसायों के लिए फायदेमंद होगा।
  • पारदर्शिता को बेहतर बनाना: यह सूचकांक श्रमिक  कानून को लागू करने में पारदर्शिता को बढ़ाने के साथ-साथ राज्यों में समानता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे व्यवसायों के लिए इसका अनुपालन सरल हो जाएगा।
  • श्रमिक  कल्याण को सुदृढ़ बनाना: श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान करके राज्यों को श्रमिक कल्याण और सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

क्रियान्वयन और चुनौतियाँ:

राज्य सरकारों, नीति आयोग और अंतरराष्ट्रीय श्रमिक  संगठन (ILO) जैसे हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद श्रमिक  एवं रोजगार मंत्रालय आने वाले सप्ताहों में श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) को लॉन्च कर सकता है। हालाँकि, इसके क्रियान्वयन में कई प्रकार की चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे:

  • आँकड़ों में विसंगतियाँ: श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) के लिए विभिन्न राज्यों में सुसंगत और विश्वसनीय डेटा संग्रहण सुनिश्चित करना इसकी प्रभावशीलता हेतु महत्वपूर्ण है।
  • राज्यों के द्वारा विरोध: कम अनुकूल श्रमिक  प्रथाओं वाले राज्य सुधारों को लागू करने या अपनी रैंकिंग में सुधार करने का विरोध कर सकते हैं।

श्रमिक  अधिकार सूचकांक से तुलना

  • श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) वेज इंडिकेटर (Wageindicator) द्वारा जारी श्रमिक  अधिकार सूचकांक (Labour Rights Index) के समान है। यह 135 देशों में श्रमिक  कानून का आकलन करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय उपकरण  है, जो कि संयुक्त राष्ट्र के डिसेंट वर्क एजेंडा (UN’s Decent Work Agenda) से प्राप्त दस संकेतकों के आधार पर उन्हें अंक प्रदान करता है।
  • इस संकेतक में उचित मजदूरी, कार्य के घंटे, सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे पहलुओं को शामिल  किया जाता हैं।
  • श्रमिक  कल्याण और रोजगार सूचकांक (LWEI) का प्राथमिक ध्यान घरेलू संदर्भ में भारतीय राज्यों की रैंकिंग पर है, जिसका उद्देश्य श्रमिक  कल्याण और रोजगार प्रथाओं में घरेलू स्तर पर सुधार लाना है।

श्रमिक  संहिता के बारे में

  • श्रमिक  संहिताएँ चार संहिताओं का एक समूह है, जिसका उद्देश्य व्यापक स्तर पर मौजूदा श्रमिक  कानूनों को सरल और कारगर बनाना है।

29 केन्द्रीय श्रमिक  कानूनों का स्थान लेने वाली चार संहिताएँ है:

  • वेतन संहिता, 2019
  • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल स्थिति संहिता, 2020
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020
  • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020

इसका लक्ष्य है

  • व्यवसायों के लिए अनुपालन को सरल बनाना। 
  • ईज़ ऑफ डूइंग बिजनस को बेतार बनाना। 
  • श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा संबंधी प्रावधानों को मजबूत करना। 
  • न्यूनतम वेतन  और समय पर भुगतान सुनिश्चित करना। 
  • व्यावसायिक सुरक्षा को बढ़ाना। 

श्रम संहिता के क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति  

  • वर्तमान में, 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने सभी चार श्रमिक  संहिताओं के तहत नियम बनाए   हैं।
  • हालाँकि, वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रमिक  संस्थान (VV Giri National Labour Institute) के एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड, लक्षद्वीप और दादरा एवं नगर हवेली ने अभी तक किसी भी संहिता के तहत नियम नहीं बनाये  हैं।

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