संदर्भ:
हाल ही में, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा जारी रिपोर्ट में शहरी भारत में जमीनी स्तर पर ओजोन प्रदूषण में चिंताजनक वृद्धि को उजागर किया गया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- वायु गुणवत्ता ट्रैकर: एक अदृश्य खतरा (‘Air Quality Tracker: An Invisible Threat’) शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में ओजोन परत का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे वहां के निवासियों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।
- शोधकर्ताओं ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्राप्त वास्तविक समय के आंकड़ों (15 मिनट के औसत) का उपयोग करके, वर्ष 2020 से 2024 के लिए 1 अप्रैल से 18 जुलाई तक के रुझानों का विश्लेषण किया।
मुख्य अंश
प्रमुख शहरों में ओजोन प्रदूषण का रुझान:
- शोधकर्ताओं ने बेंगलुरु, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और पुणे के महानगरीय क्षेत्रों का विश्लेषण किया। उन्होंने दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद, जयपुर और लखनऊ के आंकड़ों का भी अवलोकन किया।
- अध्ययन से पता चलता है कि निगरानी किये गये सभी शहरों में राष्ट्रीय ओजोन मानकों का उल्लंघन हुआ है, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक 176 दिन उल्लंघन के दिवस दर्ज किये गये हैं।
- मुंबई और पुणे जैसे अन्य शहरों में यह अवधि 138 दिनों के साथ करीब-करीब बराबर रही, जबकि चेन्नई में यह अवधि सबसे कम यानी केवल नौ दिनों की रही।
- उल्लेखनीय बात यह है कि ओजोन का स्तर रात के समय भी बढ़ा हुआ था, विशेष रूप से मुंबई में, जिससे इस हानिकारक प्रदूषक के लम्बे समय तक संपर्क में रहने की चिंता बढ़ गई।
ओजोन के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव
- भू-स्तरीय ओजोन एक अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है जो श्वसन स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है, विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी पहले से ही किसी बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों में।
- रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि ओजोन श्वास मार्ग में ज्वलन पैदा कर सकता है, संक्रमण की संभावना बढ़ा सकता है तथा दीर्घकालिक श्वसन रोगों को बढ़ा सकता है, जिसके कारण बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है।
- 2020 स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीनी स्तर के ओजोन के कारण होने वाली मृत्यु की आयु-मानकीकृत दरें भारत में सबसे अधिक हैं।
ग्राउंड लेवल ओजोन
- जमीनी स्तर पर ओजोन का निर्माण नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) के बीच जटिल अंतःक्रियाओं के माध्यम से होता है, जब वे सीधे उत्सर्जित होने के बजाय सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आते हैं।
- नाइट्रोजन ऑक्साइड और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के स्रोतों में वाहन, बिजली संयंत्र, कारखाने और पौधों से प्राकृतिक उत्सर्जन शामिल हैं।
विनियामक कार्रवाई का आह्वान
- इन निष्कर्षों के मद्देनजर, शोधकर्ता वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन को रोकने के लिए कड़े नियमों की मांग कर रहे हैं, जो ओजोन निर्माण के प्रणेता हैं।
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत बहु-प्रदूषक रणनीति की मांग की है ताकि पीएम2.5 और ओजोन प्रदूषण के खतरों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके। हालांकि, कार्यक्रम में फिलहाल पीएम 10 या मोटे धूल को नियंत्रित करने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
- रिपोर्ट में इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बेहतर निगरानी और नियामक ढांचे की आवश्यकता पर बल दिया गया है, क्योंकि अपर्याप्त आंकड़ों और निगरानी के कारण भारत में ओजोन प्रदूषण के प्रति प्रभावी प्रतिक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई है।