संदर्भ :

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान भुवनेश्वर के एक नए अध्ययन के अनुसार, शहरीकरण के कारण भारत के 140 से अधिक प्रमुख शहरों के रात का तापमान उनके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत अधिक वृद्धि हुई है।  

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

सर्वाधिक प्रभावित शहर: अहमदाबाद, जयपुर और राजकोट में शहरी गर्मी का प्रभाव सबसे अधिक रहा।

  • रात के समय तापमान के बढ़ने के मामले में दिल्ली-एनसीआर और पुणे चौथे और पाँचवें स्थान पर रहे।

अर्बन हीट आइसलैंड प्रभाव (Urban Heat Island Effect): शहरीकरण अर्बन हीट आइसलैंड (UHI) प्रभाव में योगदान देता है, जिसमें शहरी क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली कंक्रीट और डामर सतहें दिन के दौरान गर्मी को अवशोषित करती हैं और रात में इसे छोड़ती हैं, जिससे रात के समय तापमान बढ़ जाता है। यह घटना वर्षा और प्रदूषण जैसे अन्य जलवायु पहलुओं को प्रभावित करती है।

शहरीकरण के प्रभाव का अर्थ :

  • शहर के तापमान में बढ़ोतरी: इस अध्ययन में पाया गया है कि शहरीकरण के कारण शहरी क्षेत्रों में प्रति दशक में औसतन 0.2°C की दर से तापमान में बढ़ोतरी हुई है।
  • शहरीकरण का योगदान: कुल शहरी तापमान वृद्धि में शहरीकरण का योगदान 37.73 प्रतिशत रहा। इसके कारण गैर-शहरी क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में तापमान में लगभग 60 प्रतिशत अधिक वृद्धि हुई।

क्षेत्रीय भिन्नताएँ:

  • रात के समय के तापमान में वृद्धि: भारत के उत्तर-पश्चिमी, पूर्वोत्तर और दक्षिणी क्षेत्रों के शहरों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में रात के तापमान में अधिक वृद्धि देखी गई।
  • शहरीकरण का प्रभाव: रात के तापमान में शहरीकरण का योगदान विशेष रूप से उन पूर्वी और मध्य भारत के शहरों में अधिक था, जहाँ तेजी से विकास और शहरीकरण हो रहा है।

समग्र रूप से तापमान की प्रवृत्तियाँ:

  • शहरी क्षेत्र में रात के समय के तापमान में वृद्धि: इस अध्ययन में शामिल लगभग सभी शहरों में रात के समय सतह के तापमान में वृद्धि देखी गई, जिसमें प्रति दशक में 0.53°C की औसत वृद्धि हुई।
  • राष्ट्रव्यापी तापमान वृद्धि: समग्र तापमान प्रवृत्ति से पता चलता है कि अध्ययन अवधि के दौरान भारत के अधिकांश हिस्सों में प्रति दशक में 0.26°C की औसत वृद्धि हुई, जिसका प्रभाव शहरी और गैर-शहरी दोनों क्षेत्रों पर पड़ा है।

शहरीकरण के बारे में

  • शहरीकरण से तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी केन्द्रों की ओर लोगों के प्रवास से है।
  • इस प्रक्रिया में न केवल जनसंख्या में बदलाव होता है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के अनुपात में कमी आती है और समाज इन बदलावों को आत्मसात कर लेता है।
  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल आबादी का 31.2 प्रतिशत हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहता है। यह आँकडें के वर्ष 2030 तक बढ़कर लगभग 40 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है।
  • विश्व संसाधन संस्थान अर्थात, वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (WRI) इंडिया रॉस सेंटर (India Ross Center) के अनुसार, वर्तमान में भारत की लगभग 36 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। वर्ष 2050 तक शहरी आबादी के दोगुने होने की संभावना है।    

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