संदर्भ: 

हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union-ITU) ने वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (Global Cybersecurity Index-GCI), 2024 को जारी किया, जो इस सूचकांक का 5 वाँ संस्करण है।   

सूचकांक की मुख्य विशेषताएँ 

  • सूचकांक में भारत को उन 46 देशों में शामिल किया है, जिन्हें वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक, 2024 के पाँच टियरों (स्तंभों) में शीर्ष स्तंभ टियर-1 में रखा गया है।
  • भारत ने पिछले संस्करण के अपने 97.5/100 के अंक में सुधार करते हुए 98.49/100 अंक प्राप्त किया है।
  • वर्ष 2021 (इस सूचकांक का चौथा संस्करण) के बाद से पूरे क्षेत्र के देशों ने साइबर सुरक्षा को अत्यधिक प्राथमिकता दी है, जिससे वैश्विक औसत अंक 65.7/100 हो गया है।  
  • वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI), 2024 के टियर 1 में 46 देशों को रखा गया है, हालाँकि यदि टियर-आधारित प्रणाली चौथे संस्करण में लागू की जाती तो इसमें शामिल देशों की संख्या 30 होती।
  • अधिकांश देशों (105 देशों)  ने टियर 3 और टियर 4 में जगह बनाई हैं, जो डिजिटल सेवाओं और ऑनलाइन पहुँच के विस्तार में उनकी प्रगति को दर्शाता है, लेकिन उन्हें अभी भी अपनी कनेक्टिविटी रणनीतियों में साइबर सुरक्षा को पूर्णतः एकीकृत करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) के पाँचवें संस्करण में 193 सदस्य देशों के साथ-साथ फिलिस्तीन के बीच साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धता के वर्तमान स्तर तथा पिछले संस्करण के बाद से हुई प्रगति को देखा जा सकता है।
  • इस रिपोर्ट में रेखांकित प्रमुख खतरों में सरकारी सेवाओं और अन्य क्षेत्रों को लक्षित करने वाले रैनसमवेयर अटैक, प्रमुख उद्योगों को प्रभावित करने वाले साइबर सुरक्षा का ब्रीच होना, महँगें सिस्टम आउटेज के अलावा व्यक्तियों और संगठनों की गोपनीयता का उल्लंघन (ब्रीच होना) शामिल हैं।   

वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक के बारे में 

  • वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (ITU द्वारा वर्ष 2015 में लॉन्च) निम्नलिखित पाँच स्तंभों (प्रत्येक स्तंभ के तहत 20 अंक) के संदर्भ में साइबर सुरक्षा के प्रति देशों की प्रतिबद्धता का आकलन करता है:
  • विनियम – यह साइबर अपराध और साइबर सुरक्षा पर कानूनों और विनियमों का आकलन करता है।
  • तकनीक – यह राष्ट्रीय और क्षेत्र-विशिष्ट एजेंसियों के माध्यम से तकनीकी क्षमताओं के क्रियान्वयन का आकलन करता है। 
  • संगठनात्मक – यह साइबर सुरक्षा को लागू करने संबंधी राष्ट्रीय रणनीतियों और संगठनों का आकलन करता है। 
  • क्षमता विकास – यह साइबर सुरक्षा क्षमता विकास के लिए जागरूकता अभियान, शिक्षण, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन का आकलन करता है।
  • सहयोग – यह एजेंसियों, फर्मों और देशों के बीच साझेदारी का आकलन करता है। 
  • इसका उद्देश्य देशों को सुधार करने वाले क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता करने के साथ-साथ प्रत्येक स्तंभ के अंतर्गत क्षमता और योग्यता निर्माण हेतु कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करना है।
  • GCI के पाँचों स्तंभों में, अधिकांश देश कानूनी स्तंभ में सबसे मजबूत हैं। इसके विपरीत, औसत देश क्षमता विकास और तकनीकी स्तंभों में सबसे कमजोर है।
  • GCI 2024 में एक नए पाँच-स्तरीय विश्लेषण (टियर 1 उच्चतम और टियर 5 सबसे निम्न) का उपयोग किया गया। यह एक ऐसे बदलाव को संदर्भित करता है, जो साइबर सुरक्षा प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ प्रत्येक देश की प्रगति पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।
  • टियर 1 – रोल-मॉडलिंग (95 से 100 अंक)
  • टियर 2 – प्रगतिशील (85 से 95 अंक)
  • टियर 3 – स्थापित (स्कोर 55 से 85 अंक)
  • टियर 4 – विकासशील (20 से 55 अंक)
  • टियर 5 – बिल्डिंग (0 से 20 अंक)

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU)

  • 17 मई, 1865 को पेरिस में इसके 20 संस्थापक सदस्यों के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ यूनियन के रूप में इसकी स्थापना की गई थी।
  • वर्तमान में, इसके 193 सदस्य देश हैं, जिनमें दक्षिण सूडान वर्ष 2011 में शामिल होने वाला नवीनतम सदस्य देश है। भारत वर्ष 1869 में अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) में शामिल हुआ था।
  • वर्ष 1947 में, ITU और संयुक्त राष्ट्र के बीच हुए एक समझौते ने ITU को सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICTs) के लिए विशेष एजेंसी के रूप में मान्यता प्रदान दी। यह समझौता औपचारिक रूप से 1 जनवरी, 1949 से लागू हुआ।
  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) संयुक्त राष्ट्र की सबसे पुरानी एजेंसी है। इसकी 17 मई (स्थापना दिवस) को विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस (World Telecommunication and Information Society Day-WTISD) या विश्व दूरसंचार दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ का मुख्यालय स्विटजरलैंड के जिनेवा में है।

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