संदर्भ:
हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट 2024 (Global Gender Gap Report 2024) जारी की गई।
रिपोर्ट के मुख्य अंश
- विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट 2024 में भारत को 146 देशों में से 129वें स्थान पर रखा गया है, जो वर्ष 2023 में इसके पिछले 127वें स्थान से नीचे है।
- दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में भारत तीसरे सबसे निचले स्थान पर है, जो बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान से भी नीचे है।
- इस गिरावट का मुख्य कारण शिक्षा और राजनीतिक भागीदारी में बढ़ता लिंग अंतर है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर में मामूली सुधार हुआ, जो आर्थिक लैंगिक समानता में कुछ प्रगति का संकेत देता है।
- नवगठित केंद्रीय मंत्रिमंडल में 30 कैबिनेट मंत्रियों में से केवल 2 महिलाएं हैं।
- नवगठित केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में महिला मंत्रियों की संख्या 10 से घटकर 7 हो गई है।
विश्व आर्थिक मंच (WEF)
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका मुख्यालय जिनेवा, स्विटजरलैंड में स्थित है। इसकी स्थापना 24 जनवरी 1971 को जर्मन इंजीनियर क्लॉस श्वाब ने की थी।
मिशन
- विश्व आर्थिक मंच का उद्देश्य वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योग एजेंडा को आकार देने के लिए व्यवसाय, राजनीतिक, शैक्षणिक और समाज के अन्य अग्रणी व्यक्तियों को शामिल करके दुनिया की स्थिति में सुधार करना है। यह जलवायु परिवर्तन, आर्थिक विकास, तकनीकी नवाचार और सामाजिक समावेश जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।
विश्व आर्थिक मंच की प्रमुख रिपोर्टें
- वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट
- वैश्विक लैंगिक अंतर रिपोर्ट
- ऊर्जा संक्रमण सूचकांक
- वैश्विक जोखिम रिपोर्ट
लिंग समानता के प्रमुख आयाम
- आर्थिक भागीदारी और अवसर: यह श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी, वेतन समानता और उद्यमशीलता के अवसरों को मापता है।
- शैक्षिक उपलब्धि: सभी स्तरों (प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक) पर लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच और साक्षरता दर का आंकलन करता है।
- स्वास्थ्य और जीवन रक्षा: जीवन प्रत्याशा, मातृ मृत्यु दर और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच में लिंग अंतर को मापता है।
- राजनीतिक सशक्तिकरण: सरकारी पदों (संसद, राज्य विधानसभाएं) और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का मूल्यांकन करता है।
भारत का प्रदर्शन
आर्थिक समानता
- आर्थिक भागीदारी और अवसर: भारत 142वें स्थान पर है, जो कार्यबल और आर्थिक अवसरों में महत्वपूर्ण लिंग अंतर को दर्शाता है।
- वर्ष 2012 में भारत की आर्थिक समता 46% तक पहुंच गयी, जो अब तक का उच्चतम स्तर है।
- वर्ष 2012 के शिखर पर पुनः पहुंचने के लिए भारत को नवीनतम स्कोर से 6.2 प्रतिशत अंक सुधार की आवश्यकता है।
आर्थिक अंतर को पाटने हेतु कदम:
- अनुमानित अर्जित आय अंतर में 28.6% की कमी की आवश्यकता है।
- विधायी, वरिष्ठ अधिकारियों और प्रबंधन भूमिकाओं में लैंगिक समानता में 14.4% सुधार की आवश्यकता है।
- श्रम-बल भागीदारी दर में महिला भागीदारी में 45.9% की वृद्धि की आवश्यकता है।
- पेशेवर और तकनीकी कर्मचारियों के बीच लिंग अंतर को 49.4% तक कम करने की आवश्यकता है।
राजनीतिक सशक्तिकरण
- कुछ प्रगति के बावजूद, भारत 65वें स्थान पर है, जिससे राजनीतिक प्रतिनिधित्व में लैंगिक समानता प्राप्त करने में चुनौतियां सामने आ रही हैं।
- भारत 40.7% स्कोर के साथ राष्ट्राध्यक्ष सूचकांक में शीर्ष 10 में है, जो उच्चतम स्तर पर महत्वपूर्ण महिला नेतृत्व को दर्शाता है।
- संघीय स्तर पर मंत्रिस्तरीय पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 6.9% है, जो वरिष्ठ सरकारी भूमिकाओं में महिलाओं की कम उपस्थिति को दर्शाता है।
- संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 17.2% है, जो विधायी प्रक्रियाओं में महिलाओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता को दर्शाता है।
स्वास्थ्य और जीवन रक्षा
- भारत 142वें स्थान पर है, जो लिंगों के बीच स्वास्थ्य परिणामों में बड़ी असमानता को दर्शाता है।
शिक्षा प्राप्ति
- शैक्षिक उपलब्धि: भारत 112वें स्थान पर है, जो पुरुषों और महिलाओं के बीच शैक्षिक अवसरों और उपलब्धियों में पर्याप्त अंतर को दर्शाता है।
- शैक्षिक उपलब्धि में लैंगिक अंतर, पिछले चक्रों की तुलना में भारत के लिए निम्न समानता स्थिति में योगदान देता है।
- यद्यपि प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में महिलाओं की नामांकन दर ऊंची है, तथापि यह वृद्धि मामूली रही है।
- पुरुषों और महिलाओं के बीच साक्षरता दर का अंतर 17.2 प्रतिशत अंक है, जिससे इस सूचक में भारत 124वें स्थान पर है।
क्षेत्रीय संदर्भ: दक्षिण एशिया
दक्षिण एशिया में राजनीतिक असमानता बहुत अधिक है, लेकिन वर्ष 2006 के बाद से राजनीतिक समानता की दिशा में 4 प्रतिशत अंकों का सुधार हुआ है।
- मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधित्व: केवल नेपाल ही 23.5% के साथ मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधित्व के मामले में वैश्विक औसत के करीब है।
- संसदीय प्रतिनिधित्व: नेपाल संसद में 49.9% महिला प्रतिनिधित्व के साथ वैश्विक औसत से आगे है।
दक्षिणी एशिया की सात में से छह अर्थव्यवस्थाएं लैंगिक समानता के मामले में शीर्ष 100 से नीचे हैं, जिनमें केवल बांग्लादेश 99वें स्थान पर है।
- दक्षिणी एशिया का लिंग समानता स्कोर 63.7% है, जो आठ क्षेत्रों में सातवें स्थान पर है। यह वर्ष 2006 के बाद से इसके समग्र लिंग अंतर स्कोर में +3.9 प्रतिशत अंकों का सुधार था।
- वर्तमान दर से, दक्षिणी एशिया को लैंगिक समानता हासिल करने में सात पीढ़ियां लग जाएंगी।
वैश्विक मुख्य अंश
- वर्ष 2024 वैश्विक लैंगिक अंतर सूचकांक से पता चलता है कि किसी भी देश ने पूर्ण लैंगिक समानता हासिल नहीं की है।
- आइसलैंड (93.5%) पुनः प्रथम स्थान पर है तथा पिछले डेढ़ दशक से सूचकांक में शीर्ष स्थान पर है।
- श्रम-बल भागीदारी: महिलाओं की वैश्विक श्रम-बल भागीदारी दर महामारी के दौरान गिरावट के बाद 65.7% तक बढ़ गई है, जो महिला कार्यबल भागीदारी में सुधार का संकेत है।
- वैश्विक लैंगिक अंतर में कमी: विश्व ने लैंगिक अंतर में 68.5% की कमी ला दी है, जो लैंगिक समानता की दिशा में समग्र प्रगति दर्शाता है, लेकिन निरंतर प्रयासों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
- यूरोप: यूरोप में सभी मानदंडों पर लैंगिक असमानता सबसे कम है, जिससे यह लैंगिक समानता में अग्रणी क्षेत्र बन गया है।
- लैटिन अमेरिका और कैरीबियाई: इस क्षेत्र ने अब तक का अपना सर्वोच्च आर्थिक समानता स्कोर (65.7%) और दूसरा सर्वोच्च राजनीतिक सशक्तिकरण स्कोर (34%) हासिल किया है, जो लैंगिक समानता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देता है।