संदर्भ:

हाल ही में जारी विश्व बैंक की वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2024-2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6.7% रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट की मुख्य बातें

  • भारतीय अर्थव्यवस्था के वर्ष 2024 से 2026 तक प्रति वित्तीय वर्ष औसतन 6.7% की दर से बढ़ने का अनुमान है, जिससे दक्षिण एशिया दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाला क्षेत्र बन जाएगा।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
  • भारत वित्त वर्ष 2024, वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 2026 में क्रमशः 6.6%, 6.7% और 6.8% की वृद्धि दर्ज करने वाला है।
  • वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर वर्ष 2024 में 2.6% पर स्थिर रहने का अनुमान है, जो वर्ष 2025 और वर्ष 2026 में औसतन 2.7% तक बढ़ जाएगी। यह कोविड-19 से पहले के दशक के 3.1% के औसत से कम है।
  • वैश्विक मुद्रास्फीति वर्ष 2024 में 3.5% और वर्ष 2025 में 2.9% तक कम होने की उम्मीद है, लेकिन गिरावट की गति छह महीने पहले अनुमानित की तुलना में धीमी है।
  • विश्व बैंक के अनुसार, वैश्विक ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी, जो वर्ष 2025-26 तक औसतन लगभग 4% रहेंगी, जो वर्ष 2000-19 के औसत से लगभग दोगुनी है।

वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट

यह विश्व बैंक समूह की प्रमुख रिपोर्ट है जो अर्ध-वार्षिक आधार पर (जनवरी और जून में) उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विशेष ध्यान देते हुए वैश्विक आर्थिक विकास और संभावनाओं की जांच करती है।                

वर्ष 2024 हेतु पूर्वानुमान

  • उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, विकास दर वर्ष 2024 में 1.5% पर स्थिर रहेगी तथा वर्ष 2025 में बढ़कर 1.7% हो जाएगी।
  • विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के वर्ष 2024-25 तक औसतन 4% बढ़ने का अनुमान है, जो वर्ष 2023 की तुलना में धीमी है।
  • निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि दर वर्ष 2023 में 3.8% से बढ़कर वर्ष 2024 में 5% हो जाने की उम्मीद है।
  • दक्षिण एशिया क्षेत्र (एसएआर) में विकास दर वर्ष 2023 में 6.6% से घटकर वर्ष 2024 में 6.2% रहने का अनुमान है।

ईएमडीई हेतु सिफारिशें

  • सार्वजनिक निवेश में वृद्धि: उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (emerging market and developing economies-EMDEs) द्वारा सकल घरेलू उत्पाद के एक प्रतिशत तक सार्वजनिक निवेश में वृद्धि से मध्यम अवधि में उत्पादन में 1.6 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
  • निजी निवेश को उत्प्रेरित करना: निजी निवेश को आकर्षित करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक निवेश का उपयोग करना, जिससे दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा मिले।
  • सार्वजनिक निवेश दक्षता में सुधार: शासन और राजकोषीय प्रशासन को मजबूत करने के लिए नीतिगत सुधार करना।
  • राजकोषीय स्थान बनाएं: सार्वजनिक निवेश में वृद्धि के लिए राजकोषीय स्थान बनाने हेतु राजस्व और व्यय सुधार उपायों को लागू किया जाना।
  • वैश्विक सहायता का लाभ उठाना: सुधारों को सुगम बनाने के लिए वैश्विक समुदाय से, विशेष रूप से निम्न आय वाले विकासशील देशों के लिए, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहायता प्राप्त करना।

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