प्रसंग:
भारत प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप मनाता है ।
अन्य संबंधित जानकारी :
- वीर बाल दिवस एक राष्ट्रव्यापी उत्सव है जिसमें बच्चों को भारत के भविष्य की नींव के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- इस अवसर पर, पोषण संबंधी सेवाओं के कार्यान्वयन को सुदृढ़ करके पोषण परिणामों और कल्याण में सुधार लाने के उद्देश्य से सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान भी शुरू किया गया।
- 16 दिसंबर से 26 दिसंबर 2024 तक वीर बाल दिवस सप्ताह भी मनाया गया।
- प्रधानमंत्री ने 9 जनवरी 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के दिन 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के ‘साहिबजादे ‘ पुत्रों के साहस को श्रद्धांजलि देने के लिए ‘वीर बाल दिवस’ मनाने की घोषणा की।
- गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने एक राजपत्र अधिसूचना जारी कर 26 दिसंबर 2022 को ‘वीर बल दिवस’ के रूप में राष्ट्रीय दिवस घोषित किया है, ताकि न्याय के मार्ग पर चलते हुए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों (साहिब ज़ादा जोरावर सिंह जी और साहिब ज़ादा फतेह सिंह जी) द्वारा दिए गए अद्वितीय बलिदान को श्रद्धांजलि दी जा सके।
साहिबज़ादों के बारें में:
- 10वें गुरु – गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों को साहिबज़ादे कहा जाता है ।
- बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह को बड़े साहिबजादे कहा जाता है तथा बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को छोटे साहिबजादे कहा जाता है ।
- जब गुरु गोबिंद सिंह और उनके परिवार ने आनंदपुर साहिब का किला छोड़ा, तो सरसा नदी (जिसे सिरसा भी कहा जाता है) के पास मुगलों के खिलाफ भीषण युद्ध छिड़ गया।
- सरसा नदी पार करते समय गुरु जी के परिवार के सदस्य एक दूसरे से अलग हो गए।
- गुरु गोबिंद सिंह जी, उनके बड़े साहिबजादे और सिखों का एक समूह चमकौर के किले में पहुंचा जहां 23 दिसंबर 1704 को बाबा अजीत सिंह और बाबा जुझार सिंह 10 लाख मुगल सैनिकों से लड़ते हुए शहीद हो गए।
- गंगू (गुरु का पुराना रसोइया) छोटे साहिबजादे और माता गुजरी जी को अपने गांव खेरी ले गया। लालच में आकर उसने छोटे साहिबजादे और माता जी को गिरफ्तार करवा दिया।
- सरहिंद के अत्याचारी नवाब वजीर खान ने उन्हें ठंडा बुर्ज में कैद रखा और तीन दिनों तक दरबार में हाजिर रखा।
- उन्हें धमकी दी गई कि अगर उन्होंने इस्लाम नहीं अपनाया तो उन्हें मार दिया जाएगा।
- जब छोटे साहिबजादों ने उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया तो उन्होंने 7 और 9 वर्ष के छोटे साहिबजादों को जिंदा ईंटों में चिनवा दिया और 26 दिसंबर 1704 को सरहिंद में शहीद कर दिया।
गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708)
- वह सिखों के 10वें और अंतिम गुरु थे, वह गुरु तेग बहादुर (सिखों के 9 वें गुरु) के पुत्र थे।
- उन्होंने गुरु तेग बहादुर के भजनों को पवित्र ग्रंथ में शामिल किया और गुरु ग्रंथ साहिब को जीवित गुरु के रूप में स्थापित किया।
- खालसा के सिद्धांतों और कर्तव्यों की भी स्थापना की । खालसा के आदेश के लिए निर्धारित पांच प्रतीक : – केश , कंघा, कच्छा , कृपाण और कड़ा, खालसा के आदेश का एक अनिवार्य हिस्सा हैं ।