संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने 17 जून को भारत के मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के 50वें वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में विश्व मगरमच्छ दिवस का जश्न मनाया।
अन्य संबंधित जानकारी
- वर्ष 1975 में, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के लागू होने के मात्र तीन वर्ष बाद, भारत में मगरमच्छ वाणिज्यिक शिकार और पर्यावास के नुकसान के कारण लगभग विलुप्त हो गये थे।
- आज भितरकनिका में 1,811 खारे पानी के मगरमच्छ पाए जाते हैं। हालाँकि, भितरकनिका में मानव-मगरमच्छ संघर्ष चिंता का विषय है।
मगरमच्छ संरक्षण परियोजना के बारे में:
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सहयोग से वर्ष 1975 में ओडिशा के भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में मगरमच्छ संरक्षण परियोजना शुरू की थी।
- मगरमच्छ संरक्षण परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य उनके प्राकृतिक पर्यावासों की रक्षा करना तथा शिकार के कारण जंगल में नवजातों के जीवित रहने की दर कम होने के कारण बंदी प्रजनन के माध्यम से उनकी जनसंख्या को तेजी से बढ़ाना था।
- प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई सरीसृप विज्ञानी और एफएओ विशेषज्ञ एच.आर. बस्टर्ड के निर्देशन में, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा के अलावा भारत के अन्य राज्यों में 34 स्थानों पर खारे पानी के मगरमच्छों, मगरों (Muggers) और घड़ियालों के प्रजनन और पालन केंद्र स्थापित किए गए।
भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान
- यह ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले में 145 वर्ग किमी में फैला एक राष्ट्रीय उद्यान है।
- इसे 16 सितंबर, 1998 को नामित किया गया था और 19 अगस्त, 2002 को इसे रामसर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ। इसे चिल्का झील के बाद राज्य के दूसरे रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया था।
- यह भारत के सबसे बड़े मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक है।
- इस उद्यान के गहीरमथा बालूतट (Gahirmatha Beach) पर ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की सबसे बड़ी कॉलोनी भी है, जो इसकी पूर्वी सीमा को निरूपित करती है।
विश्व मगरमच्छ दिवस
- प्रति वर्ष 17 जून को विश्व मगरमच्छ दिवस मनाया जाता है, यह अवसर विश्व के सबसे दुर्जेय सरीसृपों में से एक के बारे में जागरूकता बढ़ाने और जश्न मनाने के लिए समर्पित है।
मगरमच्छ के बारे में
- खारे पानी का मगरमच्छ (क्रोकोडायलस पोरोसस), मगर या दलदली मगरमच्छ (क्रोकोडायलस पलुस्ट्रिस) और घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) भारत में पाई जाने वाली मगरमच्छ की तीन मुख्य प्रजातियाँ हैं।
- इस परिवार में 24 उप-प्रजातियाँ शामिल हैं और इसमें ‘ट्रू क्रोकोडायलस (true crocodiles), एलीगेटर (Alligators), कैमान और घड़ियाल शामिल हैं।
एस्टुरीन या खारे पानी का मगरमच्छ (क्रोकोडायलस पोरोसस)
- वर्तमान में, यह देश में केवल तीन स्थानों पर पाया जाता है, जो है: भीतरकनिका , सुंदरबन तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह।
- इसे जीवित मगरमच्छों में सबसे बड़ा माना जाता है, जिसकी लंबाई 6-7 मीटर तक बताई गई है।
- इसका IUCN संरक्षण दर्जा सबसे कम चिंताजनक (LC) है, और यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (WPA) की अनुसूची I में सूचीबद्ध है।
- CITES: यह ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और पापुआ न्यू गिनी में परिशिष्ट II में शामिल हैं तथा अन्य देशों में CITES के परिशिष्ट I में शमिल है।
मगर या दलदली मगरमच्छ (क्रोकोडायलस पलुस्ट्रिस)
- मगर एक मध्यम आकार (अधिकतम लंबाई 4-5 मीटर) का मगरमच्छ है तथा क्रोकोडाइलस प्रजाति के किसी भी जीवित मगरों की तुलना में नाक के आगे को उभड़ा हुआ भाग (थूथन) सबसे चौड़ी होती है।
- मगर एक कुंड में अपना आश्रय बनाने वाली प्रजाति (hole-nesting species) है, जो वार्षिक शुष्क मौसम के दौरान अंडे देती है।
- यह तटीय खारे पानी के लैगून और नदियों के मुहाने में भी पाया जा सकता है।
- इसकी IUCN संरक्षण स्थिति असुरक्षित (VU) है तथा यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (WPA) की अनुसूची I में सूचीबद्ध है।
- CITES: परिशिष्ट I
घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस)
- इसकी मुख्य विशेषता इसके अत्यंत लंबे, पतले जबड़े हैं, जिसे मुख्यतः मछली को पकड़ने हेतु अनुकूलन माना जाता है।
- वयस्क नर में एक बल्बनुमा नाक का उपांग विकसित होता है, जो ‘घारा’ नामक एक भारतीय बर्तन जैसा दिखता है, जिसके कारण इस प्रजाति का नाम घड़ियाल पड़ा है।
- इसका IUCN स्थिति गंभीर रूप से संकटग्रस्त (CR) है तथा यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (WPA) की अनुसूची I में सूचीबद्ध है।
- CITES: परिशिष्ट I