संदर्भ:
हाल ही में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization-WIPO) ने विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक (WIPI) रिपोर्ट 2024 जारी की।
WIPI रिपोर्ट 2024 के प्रमुख बिंदु:
बौद्धिक संपदा (IP) फाइलिंग में वैश्विक वृद्धि: वर्ष 2023 में, विश्व भर में 3.55 मिलियन पेटेंट आवेदन दायर किए गए, जो वर्ष 2022 की तुलना में 2.7% की वृद्धि दर्शाता है।
- यह वृद्धि मुख्य रूप से अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं जैसे- चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत द्वारा प्रेरित थी।
भारत का प्रदर्शन:
- पेटेंट: भारत वर्ष 2023 में 64,480 पेटेंट फाइलिंग के साथ पेटेंट आवेदनों के मामले में विश्व स्तर पर छठे स्थान पर है।
- इससे बौद्धिक संपदा गतिविधियों के मामले में भारत ने चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया सहित अग्रणी देशों में जगह बना ली है।
- ट्रेडमार्क: ट्रेडमार्क दाखिल करने में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है, जिसने वर्ष 2023 में 6.1% की वृद्धि दर्ज की है। इनमें से लगभग 90 प्रतिशत ट्रेडमार्क फाइलिंग भारतीय निवासियों द्वारा की गई
- औद्योगिक डिजाइन: वर्ष 2023 में भारत के औद्योगिक डिजाइन आवेदनों में 36.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो वस्त्र, उपकरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि को दर्शाती है।
रेजिडेंट फाइलिंग में अग्रणी: इतिहास में पहली बार, वर्ष 2023 में भारत के आधे से अधिक (55.2%) पेटेंट आवेदन भारतीय निवासियों द्वारा दायर किए गए, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
- यह भारत की बढ़ती घरेलू नवाचार क्षमताओं को दर्शाता है, जिसमें भारतीय कंपनियां और विश्वविद्यालय अब नई प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा के सृजन में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
पेटेंट अनुदान: भारत में वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में दिए जाने वाले पेटेंट की संख्या में 149.4% की वृद्धि है। ये पेटेंट अनुदान देश की विकसित हो रही बौद्धिक संपदा अधिकार तंत्र हेतु सहायक हैं।
क्षेत्रीय योगदान: भारत में ट्रेडमार्क फाइलिंग का सबसे बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य (21.9%), कृषि (15.3%) और वस्त्र (12.8%) जैसे क्षेत्रों का है।
- ये आंकड़े फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य उत्पादन और फैशन जैसे क्षेत्रों में भारत के नेतृत्व को उजागर करते हैं। जैसे-जैसे भारतीय उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ती जा रही है, ब्रांड इक्विटी की सुरक्षा के लिए उपकरण के रूप में ट्रेडमार्क फाइलिंग का महत्व और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात: भारत का पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात (पेटेंट गतिविधि के आर्थिक प्रभाव का एक मापन) वर्ष 2013 में 144 से बढ़कर वर्ष 2023 में 381 हो गया है।
- इसलिए, इससे पेटेंट-से-जीडीपी अनुपात बढ़ता है, जिसे ज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्था का संकेत माना जाता है, जहां नवाचार और बौद्धिक संपदा आर्थिक विकास में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।
वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII) 2024 में भारत की प्रगति:
- भारत 133 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 39वें स्थान पर है, जो वर्ष 2015 के इसके 81वें स्थान से उल्लेखनीय सुधार दर्शाता है।
- भारत ने नवाचार निर्गमन में उल्लेखनीय प्रगति की है एवं देश इस श्रेणी में विश्व स्तर पर 33वें स्थान पर है। अमूर्त परिसंपत्ति गहनता में देश ने उत्कृष्टता हासिल की है तथा वैश्विक स्तर पर 7वां स्थान प्राप्त किया है।
- इसके अतिरिक्त, भारत विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र रैंकिंग में चौथे स्थान पर है, जिसमें मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहर वैश्विक स्तर पर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के शीर्ष 100 शहरों में शामिल हैं।
भारत की बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था से संबंधित प्रमुख चिंताएँ:
- पेटेंट आवेदनों का लंबित होना और विलंब: एक महत्वपूर्ण चुनौती पेटेंट आवेदनों का लंबित होना और प्रक्रिया में लगने वाला अधिक समय है। इससे नवाचार में बाधा आ सकती है और आविष्कारक भारत में पेटेंट दाखिल करने से हतोत्साहित हो सकते हैं।
- बौद्धिक संपदा अधिकार का प्रवर्तन: हालांकि भारत में मजबूत बौद्धिक संपदा अधिकार कानून हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उनका प्रवर्तन असंगत बना हुआ है। कमजोर कार्यान्वयन तंत्र के कारण नकल/चोरी (piracy) और जालसाजी जैसी चुनोतियाँ बनी हुई हैं।
- संरक्षण एवं सार्वजनिक पहुंच में संतुलन: बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण और दवाओं जैसी आवश्यक वस्तुओं तक सार्वजनिक पहुंच सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है।
सरकारी पहल:
- नीति और मिशन: राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति, राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन, अटल नवाचार मिशन, स्टार्टअप इंडिया आदि ने नवाचार-अनुकूल वातावरण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा दिया है।
- IP व्यावसायीकरण: विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी नवाचार सहायता केन्द्रों की स्थापना से बौद्धिक संपदा फाइलिंग में सुविधा हुई है तथा पेटेंट और अन्य बौद्धिक संपदा के व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिला है।
- समग्र शिक्षा और अकादमिया के लिए आईपीआर में शिक्षाशास्त्र और अनुसंधान योजना (Scheme for Pedagogy & Research in IPRs for Holistic Education and Academia-SPRIHA) उच्च शिक्षा संस्थानों में बौद्धिक संपदा अधिकारों की शिक्षा को एकीकृत करती है।
निष्कर्ष:
- नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत बौद्धिक संपदा अधिकार ढाँचा महत्वपूर्ण है। रचनाकारों और आविष्कारकों के अधिकारों की रक्षा करके, भारत निरंतर आर्थिक और सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित कर सकता है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार के बारे में अधिक जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है, विशेष रूप से लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) और आम जनता के बीच।
- वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत को अपनी बौद्धिक संपदा अधिकार नीतियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप निरंतर अद्यतन करना होगा। इसमें वैश्विक बौद्धिक संपदा अधिकार संधियों और समझौतों में सक्रिय भागीदारी शामिल है।