संदर्भ:

हाल ही में विश्व बैंक के एक कार्य पत्र में पंचायतों को अधिक अधिकार सौंपे जाने का आह्वान किया गया है।

मुख्य अंश

  • दो सौ पचास हजार लोकतंत्र: भारत में ग्राम सरकार की समीक्षा (‘Two Hundred and Fifty-Thousand Democracies: A Review of Village Government in India’) शीर्षक वाले कार्यपत्र में पंचायतों को अधिक अधिकार प्रदान करने तथा उनकी स्थानीय वित्तीय क्षमता को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। 
  • इसे शासन में डिजिटल प्रणालियों को व्यापक रूप से अपनाए जाने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होने वाले “पुनःकेंद्रीकरण” के प्रतिकार के लिए आवश्यक माना गया है।

पंचायतों का सशक्तिकरण:

  • पत्र में तर्क दिया गया है कि यह सशक्तिकरण स्थानीय शासन की प्रभावशीलता को बढ़ाने तथा अकुशलताओं का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है, जहां ग्राम पंचायत परिषद के सदस्य वर्तमान में सशक्त निर्णयकर्ताओं की तुलना में मध्यस्थ के रूप में अधिक कार्य करते हैं।
  • कार्य-पत्र में अनिर्वाचित नौकरशाहों की शक्ति को कम करने, वार्डों के आकार को कम करने तथा नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी के लिए वार्ड सभाएं शुरू करने पर भी जोर दिया गया है।

राजकोषीय सुदृढ़ीकरण:

  • स्थानीय स्तर पर शासन में सुधार के लिए बढ़ी हुई राजकोषीय क्षमता और व्यापक निर्णय लेने के अधिकार को आवश्यक माना जाता है।
  • पत्र में सुझाव दिया गया है कि ग्राम पंचायतों को अधिक अधिकार सौंपे जाने से उच्च स्तरीय नौकरशाहों पर कार्यभार भी कम हो सकता है।

वार्ड सदस्यों का सशक्तिकरण:

  • कार्यपत्र में ग्राम परिषदों के वार्ड सदस्यों को वित्तीय संसाधन आवंटित करके उन्हें सशक्त बनाने की सिफारिश की गई है। इससे पंचायतों के कामकाज में काफी सुधार हो सकता है, जहां वार्ड सदस्य अक्सर केवल रबर स्टैम्प के रूप में काम करते हैं।

स्थानीय कर क्षमता का निर्माण:

  • स्थानीय कर क्षमता का निर्माण पंचायत स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।
  • इस दस्तावेज में बिल संग्रहकर्ताओं के रिक्त पदों को भरने, संपत्ति अभिलेखों का डिजिटलीकरण करने तथा ग्राम पंचायतों को कर और उपकर लगाने में अधिक स्वायत्तता प्रदान करने जैसे उपायों का प्रस्ताव किया गया है।

ग्राम सभाओं का सुदृढ़ीकरण:

  • इस पत्र में ग्राम सभाओं की संख्या बढ़ाकर तथा गांव की योजना बनाने और लाभार्थी चयन में उनकी शक्तियों का विस्तार करके उन्हें मजबूत बनाने के महत्व पर बल दिया गया है।
  • यह नागरिकों की सक्रिय रूप से सुनवाई के लिए एक मंच के रूप में ग्राम सभाओं की भूमिका को रेखांकित करता है।

प्रशासनिक डेटा की गुणवत्ता में सुधार:

  • कार्यपत्र की एक अन्य प्रमुख सिफारिश में प्रशासनिक डेटा की गुणवत्ता में सुधार करना एवं सुलभ प्रारूपों में इसकी सार्वजनिक उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।
  • यह समुदाय की समझ और विश्लेषण को बढ़ाने के लिए प्रभावी कल्पना और संवादात्मक तरीके के उपयोग पर जोर देता है।

शिकायत निवारण:

  • कार्य-पत्र में पंचायतों को जवाबदेह बनाने के लिए औपचारिक और प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करने की सिफारिश की गई है, जिससे नागरिकों को उच्च अधिकारियों को अपनी समस्याओं की जानकारी देने की सुविधा मिल सके।

पंचायत राज संस्थाएं

  • वर्ष 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम ने भारतीय संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) और ग्यारहवीं अनुसूची (29 विषय) जोड़कर पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया, जिससे विकेन्द्रित स्वशासन की त्रिस्तरीय (गांव स्तर पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद) प्रणाली का गठन हुआ।

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