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सामान्य अध्ययन-3: उदारीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन और उनके औद्योगिक विकास पर प्रभाव

संदर्भ:

हाल ही में जारी विश्व निवेश रिपोर्ट 2025 ने भूराजनीतिक तनाव और व्यापार विवादों के बीच वैश्विक निवेश प्रवाह में कमी को चिन्हित किया है।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • विश्व निवेश रिपोर्ट वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के रुझानों और विकास में योगदान को बेहतर बनाने के लिए उभरते उपायों पर केंद्रित होती है।
  • यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा प्रकाशित की जाती है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु:

वैश्विक संदर्भ:

  • वैश्विक FDI में गिरावट: वर्ष 2024 में वैश्विक FDI 11% गिरकर USD 1.5 ट्रिलियन रह गया, जिसका कारण व्यापार तनाव, भूराजनीतिक विखंडन और आर्थिक अस्थिरता रहा।
  • अमेरिका की प्रमुखता: अमेरिका अभी भी FDI का शीर्ष स्रोत और गंतव्य दोनों बना हुआ है।
  • क्षेत्रीय FDI वृद्धि: अफ्रीका में FDI में 75% की वृद्धि, मिस्र की एक मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना ने प्रमुख भूमिका निभाई। एशिया अब भी शीर्ष प्राप्तकर्ता क्षेत्र बना हुआ है, जिसमें आसियान देशों और भारत की अगुवाई है।
  • चीन में मंदी: चीन में FDI प्रवाह में 29% की गिरावट, जो व्यापार तनाव और भूराजनीतिक जोखिम को दर्शाता है।
  • आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव: बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ तेजी से दक्षिण-पूर्व एशिया, पूर्वी यूरोप और मध्य अमेरिका की ओर आपूर्ति श्रृंखला स्थानांतरित कर रही हैं।
  • नियरेशोरिंग (Nearshoring): सीमापार विलय और अधिग्रहण (M&A) सौदे अब क्षेत्रीय बाजारों की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग में गिरावट: अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त (IPF) में 26% की गिरावट, जिससे सबसे कम विकसित देश सबसे अधिक प्रभावित हुए।
  • तकनीकी क्षेत्रों में FDI वृद्धि:
    • सेमीकंडक्टर्स: +140%
    • डिजिटल अर्थव्यवस्था: +107%
  • SDG निवेश में गिरावट:
    सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) से जुड़े क्षेत्रों में निवेश में गिरावट देखी गई:
    • इन्फ्रास्ट्रक्चर: -35%
    • नवीकरणीय ऊर्जा: -31%
    • जल और स्वच्छता: -30%
    • कृषि-खाद्य प्रणाली: -19%

 भारतीय से संबंधित बिन्दु:

  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: ग्लोबल साउथ में डिजिटल सेवाओं में ग्रीनफील्ड निवेश का 22% भारत को प्राप्त हुआ (2020-24), जिससे भारत सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना।
  • प्रमुख क्षेत्र: सेमीकंडक्टर्स, EV घटक, बेसिक मेटल परियोजनाएँ, और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में तीव्र वृद्धि।
  • प्रमुख निवेशक: भारत ने FDI आउटफ्लो में भी छलांग लगाई – ग्रीनफील्ड घोषणाओं में 20% की वृद्धि, जिससे भारत शीर्ष 10 निवेशक देशों में शामिल हो गया।
  • कार्बन बाजार: भारत Verra रजिस्ट्री में सबसे बड़ा कार्बन क्रेडिट जारीकर्ता है – 2.8 करोड़ (28 मिलियन) कार्बन क्रेडिट (CO2 समकक्ष टन में मापे गए) जारी किए।

रिपोर्ट की सिफारिशें:

  • सतत वित्त : इसे बढ़ाने के लिए, निजी पूंजी को उन्मुक्त करने के लिए मिश्रित वित्त और गारंटी जैसी रणनीतियों के साथ-साथ मानकों को संरेखित करने और विश्वास को बढ़ावा देने के लिए सीमा पार सहयोग को अपनाया जाना चाहिए।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: नियामक ढांचे को मजबूत करना, डिजिटल कौशल का निर्माण करना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना इस क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय निवेश की क्षमता का दोहन करने में मदद कर सकता है।
  • विकासोन्मुख निवेश : पूंजी प्रवाह को सतत इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल समावेशन, नवीकरणीय ऊर्जा, और उत्पादक क्षेत्रों की ओर निर्देशित किया जाए।
  • शासन ढाँचा: अंतरराष्ट्रीय निवेश नियमों को अद्यतन कर सार्वजनिक हित की रक्षा, न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित करें, और राष्ट्रीय नीतिगत स्वतंत्रता को बनाए रखें।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

हालिया वैश्विक निवेश प्रवृत्तियों में बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कौन-कौन सी चुनौतियाँ और अवसर प्रस्तुत करते हैं? सरकार को इन संभावित लाभों का लाभ उठाने हेतु क्या कदम उठाने चाहिए?

संबंधित विगत वर्ष के प्रश्न

 FDI के बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रवेश का वस्तु व्यापार की आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन पर प्रभाव का परीक्षण कीजिए।(GS-3, 2013)

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