संदर्भ:

हाल ही में, खाद्य एवं कृषि संगठन ने विश्व वन स्थिति 2024 रिपोर्ट जारी की, जिसने वैश्विक वनों की स्थिति के बारे में आश्वासन और चिंता दोनों को जन्म दिया है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

वैश्विक वन प्रसार और वनों की कटाई:

  • रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यद्यपि पिछले दशकों की तुलना में वैश्विक स्तर पर वनों की कटाई की दर धीमी हो गई है, फिर भी जलवायु परिवर्तन के कारण वन पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
  • जबकि अनुमानतः वर्ष 1990 और वर्ष 2020 के बीच 420 मिलियन हेक्टेयर वन क्षेत्र को अन्य भूमि उपयोगों में परिवर्तित कर दिया गया, वहीं उक्त अवधि में वनों की कटाई की दर में कमी आई।
    वनों की कटाई की दर वर्ष 1990-2000 में 15.8 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष से घटकर वर्ष 2015-20 में 10.2 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष हो गई।
    वर्ष 2015-20 में वनों की कटाई की वार्षिक दर अफ्रीका में 4.41 मिलियन हेक्टेयर, दक्षिण अमेरिका में 2.95 मिलियन हेक्टेयर और एशिया में 2.24 मिलियन हेक्टेयर थी।
  • वैश्विक स्तर पर, वन क्षेत्र में परिवर्तन की शुद्ध दर, जो वन विस्तार और वनों की कटाई के बीच का अंतर है, वर्ष 2010-2020 में प्रतिवर्ष -4.7 मिलियन हेक्टेयर अनुमानित है। यह पिछले दो दशकों (वर्ष 1990-2000 में -7.8 मिलियन हेक्टेयर प्रतिवर्ष और वर्ष 2000-2010 में -5.2 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष) की तुलना में काफी कम था।
  • वर्ष 2020 में वन क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि दर्ज करने वाले शीर्ष 10 देश (घटते क्रम में): चीन, ऑस्ट्रेलिया, भारत, चिली, वियतनाम, तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, इटली और रोमानिया।

वन क्षेत्र में रुझान:

  • वर्ष 2020 में, वनों ने लगभग 4.1 बिलियन हेक्टेयर या वैश्विक भूमि क्षेत्र का 31% हिस्सों में उपस्थिति दर्ज की। 
  • दुनिया के आधे से अधिक (54%) वन केवल पांच देशों में हैं: रूसी संघ, ब्राजील, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन (क्षेत्रफल के अनुसार घटते क्रम में)
  • ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, पेरू और भारत सहित उपरोक्त पांच देश वैश्विक वन क्षेत्र में लगभग दो-तिहाई हिस्से का योगदान करते हैं।

मैंग्रोव पर:

  • वैश्विक मैंग्रोव क्षेत्र 14.8 मिलियन हेक्टेयर दर्ज किया गया, जिसमें से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया का योगदान लगभग 44% है।
  • सकल वैश्विक मैंग्रोव हानि की दर में 23% की कमी आई (वर्ष 2000-2020) और मैंग्रोव क्षेत्रों में लाभ की दर में भी थोड़ी कमी आई।
  • जलकृषि, ऑयल पाम के बागानों में बदलाव, चावल की खेती और अन्य कृषि पद्धतियों जैसी गतिविधियों के कारण एशिया में मैंग्रोव की हानि और लाभ दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • मैंग्रोव को चरम मौसम और समुद्र-स्तर में वृद्धि से खतरा रहता है, जिससे स्थानीय समुदाय आपदाओं के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

जंगली आग पर:

  • वार्षिक आग से वैश्विक स्तर पर 340-370 मिलियन हेक्टेयर भूमि क्षेत्र प्रभावित होता है तथा वर्ष 2023 में 383 मिलियन हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई।
  • वर्ष 2021 में उदीच्य (Boreal) आग ने जंगली आग से होने वाले वैश्विक कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में 10% का योगदान दिया।
  • वर्ष 2023 में, कनाडा की आग से 6,687 मेगाटन कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जित किया, जो यूरोपीय संघ के जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन से दोगुने से भी अधिक है।

वन कीटों पर:

  • रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जंगलों को कीटों से भी खतरा है।
  • चीड़ की लकड़ी के निमेटोड ने चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के जंगलों को प्रभावित किया।
    कोरिया वन सेवा के अनुसार, इसके कारण दक्षिण कोरिया में (वर्ष 1988-2022 के बीच) 12 मिलियन चीड़ के पेड़ नष्ट हो गए।

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization-FAO), संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी और वर्ष 1945 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है।
  • इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भूख को खत्म करना है।
  • इसका मिशन यह सुनिश्चित करना है कि सभी को स्वस्थ और सक्रिय जीवन के लिए पर्याप्त, पौष्टिक भोजन तक विश्वसनीय पहुँच सुविधा मिले।
  • यह 130 से अधिक देशों में काम करता है, जिसमें यूरोपीय संघ सहित 195 सदस्य देश शामिल हैं।
  • खाद्य एवं कृषि संगठन का मुख्यालय इटली के रोम में स्थित है।

Also Read:

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की जयंती

Shares: