संदर्भ: 

हाल ही में, नागर विमानन मंत्री ने भारत में केप टाउन कन्वेंशन (CTC) और इसके प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सभा में विमानन वस्तुओं में हितों का संरक्षण और प्रवर्तन विधेयक, 2025 पेश किया।  

अन्य संबंधित जानकारी:

इस विधेयक का उद्देश्य विवाद समाधान को मानकीकृत करने तथा विमान और इंजन जैसी विमानन परिसंपत्तियों से संबंधित हितों की रक्षा के लिए केप टाउन कन्वेंशन (CTC), 2001 को लागू करना है।

  • भारत ने वर्ष 2008 में केपटाउन कन्वेंशन (CTC) पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अभी तक इसका अनुसमर्थन नहीं किया है, जिससे इसके प्रावधान भारत में बाध्यकारी नहीं हैं।  

धारा 3 में प्रावधान है कि कन्वेंशन और प्रोटोकॉल भारत में विमानन  वस्तुओं के मामले में कानून को मजबूत करेगा।   

इसका उद्देश्य भारत को विमानन वित्तपोषण, पट्टे और परिसंपत्ति प्रबंधन को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाना है।    

यह भारत में अंतर्राष्ट्रीय विमानन वित्तपोषण और पट्टे मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।  

नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) भारत में CTC के प्रावधानों के क्रियान्वयन का अवलोकन हेतु नामित प्राधिकहोगा।

  • DGCA एक विनियामक निकाय है, जो भारत से/भारत के भीतर हवाई परिवहन सेवाओं के विनियमन तथा नागरिकों से संबंधित विमान यात्रा के विनियमों, विमान यात्रा सुरक्षा और उड़ान अर्हता मानकों के प्रवर्तन के लिए जबावदेह है।   
  • यह अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO) के साथ सभी विनियामक कार्यों का समन्वय भी करता है।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली

इस विधेयक में देनदारों को विमान के स्वामित्व या उपयोग से संबंधित बकाया राशि का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखने की आवश्यकता है।

  • पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु इन रिकॉर्डों को आवश्यकता पड़ने पर समीक्षा के लिए प्रस्तुत करना होगा।  

ऋणदाता के अधिकार:   

  • ऋणदाताओं को देनदार द्वारा चूक के मामले में सीटीसी के तहत उपायों का प्रयोग करने का अधिकार है।
  • हालाँकि, उन्हें इन अधिकारों का प्रयोग करने से पहले DGCA को सूचित करना होगा, ताकि उचित निगरानी और विनियमन सुनिश्चित हो सके।

दिवालियापन समाधान: यह संकल्प दिवालियापन की कार्यवाही के दौरान, पेशेवरों को विमान परिसंपत्तियों को 60 दिनों तक अपने पास रखने की अनुमति होती है, बशर्ते कि देनदार रखरखाव और उपयोग के लिए भुगतान करना जारी रखे।

  • यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि दिवालियापन कार्यवाही के दौरान परिसंपत्तियों को संरक्षित और बनाए रखा जाए।  

विधेयक का महत्व

  • यह विधेयक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे एयरलाइनों की लागत कम होने के साथ-साथ विमानन क्षेत्र को अधिक सुरक्षित और निवेशक-अनुकूल बनाने की संभावना है।  
  • यदि यह विधेयक पारित हो जाता है, तो इससे देश में हवाई यात्रा की पहुँच में भी वृद्धि होने की उम्मीद है, तथा इस वर्ष घरेलू यात्री यातायात में 7-10% और अंतर्राष्ट्रीय यातायात में 15-20% की वृद्धि होने का अनुमान है।
  • यदि प्रस्तावित विधेयक पारित हो जाता है तो इस दशक के अंत तक 1,000 से अधिक नए विमानों के अधिग्रहण में मदद मिलेगी।   
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