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सामान्य अध्ययन-3:  बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

संदर्भ: हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 का मसौदा जारी किया है।

विधेयक की मुख्य विशेषताएं

  • स्वस्थ प्रतिस्पर्धा:
  • यह विधेयक बिजली आपूर्ति प्रणाली को एकाधिकार आधारित मॉडल से प्रदर्शन-केंद्रित मॉडल में परिवर्तित करता है।
  • यह सार्वजनिक और निजी दोनों उपयोगिताओं को संचालित करने, दक्षता को बढ़ावा देने और बेहतर सेवा वितरण को सक्षम बनाता है।

संवेदनशील उपभोक्ताओं की सुरक्षा:

  • किसानों और निम्न-आय वाले परिवारों के लिए सब्सिडी वाले टैरिफ सुरक्षित रखे गए हैं।
  • राज्य सरकारें अधिनियम की धारा 65 के तहत ये सब्सिडी जारी रख सकती हैं।
  • यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ताओं को किफायती बिजली उपलब्ध हो और साथ ही उचित मूल्य निर्धारण प्रथाएँ बनी रहें।

नियामक शक्तियों को सुदृढ़ करना:

  • राज्य विद्युत नियामक आयोग (SERCs) को लागत-परावर्तक (Cost-Reflective) व्हीलिंग चार्ज निर्धारित करने का अधिकार दिया गया है।
  • यह वितरण लाइसेंसधारकों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करता है और नेटवर्क के कुशल उपयोग को प्रोत्साहित करता है।

टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी का तर्कसंगत निर्धारण:

  • विधेयक लागत-परावर्तक टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी के तर्कसंगतकरण को बढ़ावा देता है।
  • यह नेटवर्क के उपयोग को अधिकतम करने में मदद करता है और औद्योगिक बिजली को अधिक किफायती बनाता है।

संचरण ढांचे को मजबूत बनाना:

  • यह इंटर-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम (ISTS) को मजबूत करता है और ट्रांसमिशन सेवा प्रदाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा सक्षम करता है।
  • केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (CERC) द्वारा निगरानी यह सुनिश्चित करती है कि संचालन पारदर्शी और कुशल हो।

विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 के लाभ

  • प्रतिस्पर्धी बाज़ार: विधेयक विद्युत वितरण प्रणाली में मौजूदा एकाधिकार को तोड़कर एक ही क्षेत्र में कई खिलाड़ियों को संचालन की अनुमति देता है। इससे उपभोक्ता के विकल्प, सेवा की गुणवत्ता और समग्र दक्षता में वृद्धि होती है।
    • संवेदनशील समूहों की सुरक्षा: विधेयक यह सुनिश्चित करता है कि किसानों और निम्न-आय वाले परिवारों के लिए सब्सिडी वाले टैरिफ सुरक्षित रहें, जिससे समान और न्यायसंगत बिजली पहुँच बनी रहे।
    • वित्तीय स्थिरता: विधेयक वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करता है।लागत-परावर्तक टैरिफ और क्रॉस-सब्सिडी के तर्कसंगतकरण से नई निवेश की संभावना भी बढ़ती है।
    • सुदृढ़ नियमन: SERCs को व्हीलिंग चार्ज निर्धारित करने और टैरिफ में सक्रिय संशोधन करने का अधिकार देकर विधेयक नियामक जवाबदेही को बढ़ाता है।
    • अवसंरचना का बेहतर उपयोग: वितरण अवसंरचना के साझा उपयोग की अनुमति देने से नेटवर्क दक्षता में सुधार होता है। इससे दोहराव कम होता है, लागत घटती है और समग्र उपयोगिता बढ़ती है।

विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 से संबंधित चुनौतियाँ

  • क्रियान्वयन संबंधी बाधाएँ: प्रतिस्पर्धी बाजार की ओर बदलाव के दौरान राज्य बिजली उपक्रम (State Utilities) से विरोध की संभावना है, क्योंकि वे अपनी आय और बाजार हिस्सेदारी सुरक्षित रखना चाहेंगे।
    • क्रॉस-सब्सिडी संक्रमण: क्रॉस-सब्सिडी के तर्कसंगतकरण से कुछ उपभोक्ता समूहों के लिए बिजली की किफायती दर प्रभावित हो सकती है यदि संक्रमण धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से नहीं किया गया।
    • नियामक ओवरलैप्स: SERCs और विद्युत परिषद (Electricity Council) के विस्तारित कार्यों के कारण समन्वय संबंधी चुनौतियाँ और संभावित प्रक्रियात्मक विलंब उत्पन्न हो सकते हैं।
    • अवसंरचना में अंतर: प्रतिस्पर्धा और साझा उपयोग के लिए नेटवर्क अपग्रेड करने की आवश्यकता राज्यों पर महत्वपूर्ण निवेश और कार्यान्वयन दबाव डालेगी, विशेषकर उन राज्यों में जिनकी क्षमता सीमित है।

आगे की राह

  • सुदृढ़ क्रियान्वयन: सुधार प्रक्रिया स्पष्ट समयसीमा, सशक्त संस्थागत क्षमता और सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी के साथ आगे बढ़ेगी ताकि इसका संचालन सुचारू रूप से हो सके।
    • क्रमिक क्रॉस-सब्सिडी सुधार:संक्रमण क्रॉस-सब्सिडी में चरणबद्ध कमी के अनुसार किया जाएगा, जिसमें संवेदनशील उपभोक्ताओं की सुरक्षा के लिए लक्षित सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
    • बेहतर समन्वय: नियामक संस्थाएँ सशक्त समन्वय के साथ कार्य करेंगी ताकि ओवरलैप्स से बचा जा सके और निर्णय लेने की प्रक्रिया तेज और सरल हो।
    • उपभोक्ता-केंद्रित दृष्टिकोण: प्रतिस्पर्धी बाजार में उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसके लिए जागरूकता कार्यक्रम, शिकायत निवारण प्रणाली और सुरक्षा तंत्र मजबूत किए जाएंगे।
    • निरंतर समीक्षा: सुधार ढाँचा में नियमित निगरानी और अनुकूलनीय नीतिगत उपाय शामिल होंगे ताकि अनपेक्षित परिणामों को रोका जा सके और प्रगति को नियत लक्ष्यों के अनुरूप बनाए रखा जा सके

Sources:
Pib
TribuneIndia
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