संदर्भ:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हाल ही में प्रतिष्ठित यूनेस्को कलिंग पुरस्कार से अपना योगदान वापस ले लिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, उपर्युक्त पुरस्कार के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के वार्षिक अंशदान को वापस लेने का निर्णय, सभी विज्ञान पुरस्कारों को ‘तर्कसंगत’ बनाने के हाल के निर्णय का हिस्सा था।
  • सरकार ने प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार सहित सभी पूर्व पुरस्कारों के स्थान पर राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार की स्थापना की है।
  • वर्तमान में, कलिंग पुरस्कार को कलिंग फाउंडेशन ट्रस्ट, उड़ीसा राज्य सरकार और भारत सरकार (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।

पुरस्कार के विवरण

  • यह पुरस्कार वर्ष 1951 में स्थापित किया गया था और यह यूनेस्को (UNESCO) द्वारा आम लोगों के समक्ष वैज्ञानिक विचारों को प्रस्तुत करने में असाधारण कौशल के लिए दिया जाता है।
  • श्री बीजू पटनायक, कलिंगा फाउंडेशन ट्रस्ट, भुवनेश्वर के संस्थापक और अध्यक्ष थे।
  • यह पुरस्कार विज्ञान की लोकप्रियता के क्षेत्र में भारत का एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार है।
  • इसका प्रबंधन यूनेस्को के विज्ञान विश्लेषण एवं नीति प्रभाग द्वारा किया जाता है।
  • प्रत्येक सदस्य राज्य को, राष्ट्रीय विज्ञान उन्नति संघों या अन्य विज्ञान संघों या विज्ञान लेखकों या विज्ञान पत्रकारों के राष्ट्रीय संघों की सिफारिश पर, यूनेस्को के लिए अपने राष्ट्रीय आयोग के माध्यम से एक उम्मीदवार को नामित करने का अधिकार है।
  • व्यक्तियों से आवेदन स्वीकार नहीं किये जाते हैं। 
  • यूनेस्को के महानिदेशक अपने द्वारा नामित पांच सदस्यीय निर्णायक मंडल की सिफारिश पर पुरस्कार विजेता का चयन करते हैं।
  • पुरस्कार पाने वाले को 40,000 अमेरिकी डॉलर और यूनेस्को अल्बर्ट आइंस्टीन सिल्वर मेडल मिलता है। पुरस्कार पाने वाले को कलिंग चेयर भी दी जाती है, जिसे भारत सरकार ने वर्ष 2001 में कलिंग पुरस्कार (जिसमें एक प्रमाणपत्र और 5,000 अमेरिकी डॉलर का नकद पुरस्कार शामिल है) की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुरू किया था।
  • यह पुरस्कार समारोह विश्व विज्ञान दिवस (10 नवम्बर) के अवसर पर बुडापेस्ट में आयोजित किया जाता है, जहां बारी-बारी से यूनेस्को और भारत इस पुरस्कार के अतिथि होते हैं।

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