संबंधित पाठ्यक्रमसामान्य

अध्ययन 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।     

संदर्भ: हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकास के लिए वित्तपोषण पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FFD4) को संबोधित किया। 

अन्य संबंधित जानकारी: 

  • इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) द्वारा सेविल, स्पेन में किया गया।
  • FfD4 सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र (UN) की 80वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में किया गया।  
  • नेताओं ने सम्मेलन की शुरुआत ऋण राहत, न्यायसंगत प्रतिनिधित्व और वैश्विक सहयोग के लिए सशक्त समर्थन की अपील के साथ की।
  • इस सम्मेलन के निष्कर्ष दस्तावेज़ से वैश्विक वित्त को सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बनाने का अवसर प्राप्त होता है, किंतु इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे व्यवहार में कितनी प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है

FfD4 के मुख्य बिन्दु

  • सम्मेलन में एक नवीन वैश्विक फ्रेमवर्क अपनाया गया जिसे सेविला प्रतिबद्धता” (Sevilla Commitment) कहा गया है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की पूर्ति हेतु हर वर्ष 4 ट्रिलियन डॉलर की वित्तीय कमी को दूर करना है।
  • सर्वसम्मति से स्वीकृत सेविला प्रतिबद्धता दस्तावेज़, 2015 के बाद से पहला अंतर-सरकारी “विकास हेतु वित्तपोषण” फ्रेमवर्क है।   
  • यह मोंटेरी सर्वसम्मति (2002), दोहा घोषणा (2008), अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा (2015) और पैक्ट फॉर द फ्यूचर जैसे पूर्ववर्ती फ्रेमवर्क की बुनियाद पर निर्मित किया गया है।   
  • सम्मेलन में सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए चार मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये गये:
    • संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के लिए वित्त पोषण की कमी को पूरा करना,
    • वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में सुधार लाना,
    • विश्वास और पारदर्शिता का निर्माण करना और
    • एकपक्षीयता और भ्रष्टाचार जैसी साझा चुनौतियों से निपटना।  
  • आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस संस्था ने बॉन्ड्स के माध्यम से 250 अरब डॉलर जुटाए हैं, लेकिन यह राशि अब भी वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपर्याप्त है।  

देशों से प्रतिक्रिया

  • विकासशील देशों ने वित्तीय संसाधनों तक न्यायसंगत पहुंच, तत्काल ऋण राहत और वैश्विक वित्तीय निर्णयों में अधिक मजबूत प्रतिनिधित्व की मांग की।
    • इस मांग में वित्तीय सहायता की मात्रा और गुणवत्ता, दोनों पर बल दिया गया। 
  • अफ्रीकी देशों और अल्पविकसित देशों (LDCs) जैसे अंगोला और नेपाल ने वैश्विक निर्णय-निर्माण में पूर्ण भागीदारी और एक नए वित्तीय मॉडल की आवश्यकता को रेखांकित किया।
    • यह भी उल्लेख किया गया कि जहां वैश्विक GDP में वृद्धि हुई है, वहीं गरीब देशों में ऋण बोझ और डिजिटल अंतर और बदतर हुआ है। 
  • केन्या, तंजानिया, मोजाम्बिक और होंडुरास जैसे देशों ने MSME क्षेत्र को समर्थन देने के लिए संप्रभु ऋण सुधार, निष्पक्ष क्रेडिट रेटिंग, हरित विकास के लिए क्षेत्रीय बैंकों, मिश्रित वित्त (ब्लेंडेड फाइनेंस) और न्याय आधारित वित्तीय प्रणालियों के महत्व पर बल दिया।
  • इस्लामिक रिपब्लिक और सूडान ने संसाधन अंतराल को पाटने और लचीलापन बढ़ाने के लिए नवोन्मेषी वित्तीय साधनों, मजबूत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सार्थक वैश्विक साझेदारी का आह्वान किया।   
  • यूरोपीय संघ, फ्रांस, पुर्तगाल, पोलैंड और एस्टोनिया ने अल्पविकसित देशों (LDCs) और छोटे द्वीपीय विकासशील राष्ट्र (SIDS) जैसे कमजोर देशों की सहायता के लिए सार्वजनिक, निजी और घरेलू वित्त के समन्वय, घरेलू कर संग्रहण, संयुक्त निवेश मंचों और वैश्विक कर सुधारों को बढ़ावा देने की वकालत की।           

सम्मेलन का महत्व

  • सम्मेलन में इस बात पर व्यापक सहमति बनी कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थानों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है, ताकि वे वर्तमान वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सकें।
  • संप्रभु ऋण राहत (Sovereign Debt Relief) खासकर विकासशील देशों और अल्पविकसित देशों (LDCs) के लिए एक मुख्य चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बावजूद इन देशों पर ऋण का बोझ लगातार बढ़ रहा है
  • घरेलू संसाधनों का जुटाव (जैसे कि बेहतर कर व्यवस्था और नीतियों पर राष्ट्रीय स्वामित्व) को दीर्घकालिक वित्तीय आत्मनिर्भरता और विकास के लिए अत्यावश्यक बताया गया। 
  • केन्या, तंज़ानिया, मोज़ाम्बिक और होंडुरास जैसे देशों ने न्यायसंगत क्रेडिट रेटिंग, क्षेत्रीय बैंकों और ब्लेंडेड फाइनेंस को बढ़ावा देने की मांग की।
  • इसका उद्देश्य MSME और हरित अर्थव्यवस्था जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को समर्थन देने के लिए न्याय-आधारित वित्तपोषण प्रदान करना था।   
  • विकसित देशों और यूरोपीय संघ ने सार्वजनिक, निजी एवं घरेलू वित्त के संतुलित मिश्रण को प्रोत्साहित किया और वैश्विक कर व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
  • इसमें संयुक्त निवेश और तकनीकी सहयोग के लिए मंच का भी प्रस्ताव किया गया।
  • सेविला प्रतिबद्धता (Compromiso de Sevilla) को अपनाए जाने के साथ, वैश्विक वित्त को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप बनाने का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अवसर उभर कर सामने आया।      
  • हालांकि, इसका वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि FfD4 वार्ताओं के दौरान और उसके बाद इसे कितनी दृढ़ता और प्रभावशीलता के साथ लागू किया जाता है।                

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

वैश्विक SDG वित्तपोषण अंतर की समस्या का समाधान करने में FfD4 सम्मेलन में अपनाई गई सेविला प्रतिबद्धता के महत्व पर चर्चा कीजिए। यह सतत विकास के वित्तपोषण के लिए पूर्ववर्ती अंतरराष्ट्रीय वित्तीय फ्रेमवर्क पर किस प्रकार आधारित है? (15 अंक, 250 शब्द)

Shares: