अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

  • यह हाइड्रोजन-संचालित पोत भारत में नदी और समुद्री दोनों तरह के वातावरण में हाइड्रोजन ईंधन सेल प्रणोदन (HFCP) को प्रदर्शित करने वाला पहला पोत है।
  • इसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके विकसित किया गया है।
    • यह निम्न तापमान प्रोटॉन एक्सचेंज मेम्ब्रेन (LT-PEM) फ्यूल सेल प्रणाली पर काम करता है, जो भंडारित हाइड्रोजन को सीधे विद्युत में परिवर्तित कर देता है।
    • यह प्रक्रिया केवल जल उत्सर्जित करती है, जिससे यह वास्तव में शून्य-उत्सर्जन वाला यात्री परिवहन साधन बन जाता है।
  • यह पहल वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के सरकारी दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ जुड़ी हुई है, और मैरीटाइम इंडिया विजन (MIV) 2030 तथा मैरीटाइम अमृत काल विजन (MAKV) 2047 के तहत हरित पहलों को आगे बढ़ाती है।
  • इस पोत के परिचालन के साथ, भारत अब चीन, नॉर्वे, नीदरलैंड और जापान जैसे उन देशों की सूची में शामिल हो गया है जो हाइड्रोजन-संचालित पोतों का संचालन करते हैं।

डिज़ाइन और परिचालन क्षमताएँ:

  • डिज़ाइन: इसे 24-मीटर कैटामरान (Catamaran) के रूप में डिज़ाइन किया गया है और यह शहरी तथा पर्यटक आवागमन के लिए अनुकूल है।
  • यात्री क्षमता: 50 सीटों वाला पूरी तरह से वातानुकूलित (AC) केबिन।
  • गति: परिचालन गति 6.5 नॉट्स (अधिकतम 7-9 नॉट्स)।
  • सहनशक्ति (Endurance): एक बार हाइड्रोजन भरने पर आठ घंटे तक का संचालन।
  • हाइब्रिड प्रणाली: इसमें हाइड्रोजन ईंधन सेल, बैटरी पावर और सौर ऊर्जा का एकीकरण है।
  • प्रमाणीकरण: इसे इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग से प्रमाणित किया गया है।

संस्थागत सहयोग:

  • यह पोत, जिसका स्वामित्व भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के पास है और जिसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा बनाया गया है, सफल परीक्षणों के बाद परिचालन में आया है।
  • पायलट पोत FCV Pilot-01 को चालू करने के लिए निम्नलिखित संस्थाओं के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता किया गया था:
    • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)
    • कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL)
    • अंतर्देशीय और तटीय शिपिंग लिमिटेड (ICSL)

आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व:

  • शून्य उत्सर्जन: इसका उप-उत्पाद केवल जल है, जिससे यह शून्य-उत्सर्जन सुनिश्चित करता है।
  • यात्री सुविधा: कम शोर और कंपन के कारण यात्रियों को आरामदायक यात्रा मिलती है।
  • जल-आधारित गतिशीलता: जल-आधारित परिवहन को बढ़ावा देकर सड़क पर भीड़भाड़ को कम करता है।
  • अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: यह पर्यटन और स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
  • हरित प्रौद्योगिकी: भारत के हरित प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में योगदान देता है।
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