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सामान्य अध्ययन -3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन

संदर्भ: 

वायु प्रदूषण साफ दिनों में भी एक स्थायी और अदृश्य खतरा बना रहता है, जिसमें रासायनिक रूप से जहरीली हवा जन स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती है।

अन्य संबंधि  जानकारी

  • पीएम 2.5, या सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण, वायुगतिकीय व्यास में 2.5 माइक्रोमीटर से कम माप वाले वायुजनित कणों से मिलकर बनता है और यह प्रायः दहन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
  • वैज्ञानिकों ने हाल ही में शंघाई में 2025 की सर्दियों और वसंत के दौरान PM2.5 के स्तर का अध्ययन किया, जिसमें एकल-कण प्रेरक युग्मित प्लाज्मा टाइम-ऑफ-फ्लाइट मास स्पेक्ट्रोमेट्री नामक एक संवेदनशील तकनीक का उपयोग किया गया।
  • इससे उन्हें प्रत्येक कण की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने में मदद मिली, विशेष रूप से एल्युमीनियम, सिलिकॉन, लोहा, मैंगनीज और सीसा जैसे धातु युक्त सूक्ष्म कणों पर ध्यान केंद्रित किया गया।

मुख्य निष्कर्ष

वायुजनित प्रदूषकों की जटिलता:

  • हाल के वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पारंपरिक वायु गुणवत्ता सूचकांक अक्सर वायुजनित प्रदूषकों की जटिलता और उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों को समझने में विफल रहते हैं, जिसके लिए अधिक व्यापक निगरानी और शमन रणनीतियों की आवश्यकता होती है।
  • स्वच्छ दिनों में एकत्र किए गए वायु नमूने, जब PM2.5 की सांद्रता 15 µg/m3 से कम थी प्रदूषित दिनों में एकत्र किए गए नमूनों की तुलना में अक्सर फेफड़ों की कोशिकाओं के लिए अधिक विषाक्त थे।

अलग-अलग कणों की रासायनिक विषाक्तता:

  • अध्ययन में पीएम 2.5 नमूनों की विषैली क्षमता का आकलन किया गया और पाया गया कि कम समग्र पीएम वाले दिनों के कण अपनी रासायनिक संरचना के कारण अधिक हानिकारक हो सकते हैं।
  • ये धातु-युक्त सूक्ष्म कण (MCFP) भारी धातुओं या औद्योगिक उपोत्पादों को ले जा सकते हैं, जिससे कम द्रव्यमान सांद्रता के बावजूद ये अनुपातहीन रूप से हानिकारक हो सकते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने पाया कि शहर की हवा में मौजूद सभी धातु कणों में से लगभग 80% MCFPs थे।
  • शोधकर्ताओं ने कणों की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए मशीन लर्निंग का उपयोग किया तथा परीक्षण किया कि वे मानव फेफड़ों की कोशिकाओं को किस प्रकार प्रभावित करते हैं।

असमान विषाक्तता के मायने:

  • लेखकों का प्रस्ताव है कि नीति में न केवल इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि कितने कण मौजूद हैं, बल्कि यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि वे कितने विषाक्त हैं।
  • इसका तात्पर्य यह है कि वर्तमान वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) और स्वीकार्य सीमाएँ, स्वच्छ प्रतीत होने वाले दिनों में भी जोखिम को कम करके आँक रही हैं।

वायु गुणवत्ता विनियमन के लिए निहितार्थ:

  • अध्ययन सूक्ष्म कणों में घटक-स्तरीय निगरानी की आवश्यकता की ओर संकेत करता है।
  • विषाक्तता-भारित मीट्रिक्स को एकीकृत करने से केवल द्रव्यमान-आधारित सीमाओं की तुलना में जन स्वास्थ्य की बेहतर सुरक्षा हो सकती है। 

Sources:
The Hindu
PUBS

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