संदर्भ:

अगली पीढ़ी के दूरसंचार में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) ने “वाइडबैंड स्पेक्ट्रम-सेंसर ASIC चिप” विकसित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मंडी औरIIT जम्मू के सहयोग से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसका उद्देश्य स्पेक्ट्रम उपयोग में सुधार करना है।

  • यह पहल भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा शुरू की गई दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (TTDF) का हिस्सा है।
  • यह योजना भारतीय स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को वित्तपोषित करके दूरसंचार उत्पादों और समाधानों को डिजाइन, विकसित और व्यावसायीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • इसका उद्देश्य पूरे भारत में डिजिटल विभाजन को पाटने और किफायती ब्रॉडबैंड तथा मोबाइल सेवाओं को सक्षम बनाना है।
  • उद्देश्य:परियोजना का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण भारत में स्पेक्ट्रम उपयोग को अनुकूलित करने के लिए एक उन्नत वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसिंग (WSS) एल्गोरिदम और कुशल हार्डवेयर आर्किटेक्चर विकसित करना है।
  • “स्पेक्ट्रम होल्स” या कम उपयोग किए गए स्पेक्ट्रम का पता लगाकर, यह प्रौद्योगिकी कम सेवा वाले क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड सेवाओं को बेहतर बनाएगी।
  • प्रौद्योगिकी विकास: यह परियोजना ऐसे संचार एल्गोरिदम विकसित करेगी, जो हार्डवेयर-अनुकूल होंगे।
  • वाइडबैंड स्पेक्ट्रम (2 गीगाहर्ट्ज से अधिक) को स्कैन करके कम उपयोग किए गए बैंड (या सफेद स्थानों) का पता लगाएंगे और उनका उपयोग करेंगे।
  • हार्डवेयर डिज़ाइन:स्पेक्ट्रम सेंसर के लिए कुशल हार्डवेयर आर्किटेक्चर विकसित किया जाएगा, जिसमें निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं होंगी:
  • कम सेंसिंग समय: तेजी से डेटा प्रोसेसिंग।
  • उच्च डेटा थ्रूपुट: डेटा संचार में बढ़ी हुई क्षमता।
  • बढ़ी हुई हार्डवेयर दक्षता: ऊर्जा और संसाधनों का कुशल उपयोग।
  • वाइडबैंड स्पेक्ट्रम सेंसर प्रौद्योगिकी का फील्ड-प्रोग्रामेबल गेट-एरे (FPGA) में अनुकरण किया जाएगा।अनुकरण के बाद, इसे एप्लिकेशन-विशिष्ट एकीकृत सर्किट (ASIC) चिप में परिवर्तित किया जाएगा, जो नेटवर्क में स्पेक्ट्रम दक्षता को बढ़ाएगा।
  • संज्ञानात्मक रेडियो प्रौद्योगिकी:परियोजना का उद्देश्य वाइडबैंड संज्ञानात्मक रेडियो मॉड्यूल का प्रदर्शन करना है, जो 6 गीगाहर्ट्ज उपग्रह बैंड (5.925-7.125 गीगाहर्ट्ज) में संचालन करने में सक्षम होगा।यह प्रौद्योगिकी भारत में डिजिटल संचार को बेहतर बनाने और समावेशी डिजिटल विकास में सहायक होगी।
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