संदर्भ: 

हाल ही में, अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार को डेरॉन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स रॉबिन्सन को दिए जाने की घोषणा की गई है।  यह पुरस्कार उनके द्वारा ” संस्थाएं कैसे बनती हैं और समृद्धि को कैसे प्रभावित करती हैं।’’ पर किए गए अध्ययन के लिए दिया जाएगा।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • यह अध्ययन इस बात को समझने में मदद करता है कि ” खराब कानून व्यवस्था वाले समाज और जनसंख्या का शोषण करने वाली संस्थाएँ विकास या बेहतर बदलाव क्यों नहीं ला  पाते हैं।”
  • इस अध्ययन ने आर्थिक विकास और राष्ट्रीय कल्याण संबंधी सामाजिक संस्थाओं के  प्रभाव को रेखांकित किया है। 

पुरस्कार विजेताओं का  उपनिवेशीकरण और आर्थिक संस्थाओं के प्रति  दृष्टिकोण  

विविध संस्थागत प्रभाव: उपनिवेशीकरण के कारण विभिन्न संस्थागत परिवर्तन हुए। इसके कारण कुछ क्षेत्रों को शोषण का सामना करना पड़ा, जबकि  अन्य क्षेत्रों की  बस्तियों के लिए समावेशी व्यवस्था  की स्थापना की गई।

  • उदाहरण के लिए, भारत का औद्योगिक उत्पादन अमेरिका से अधिक था, लेकिन 19वीं शताब्दी तक यह स्थिति उलट गई, जिसका  मुख्य कारण ब्रिटिश शासन के दौरान संस्थानों के प्रति उदासीन होना था।

संपन्नता और संस्थाएँ: समावेशी संस्थाओं वाले समाज अक्सर आर्थिक रूप से समृद्ध होते हैं, जबकि शोषक संस्थाओं वाले समाजों को ठहराव और गरीबी का सामना करना पड़ता है । 

  • समावेशी संस्थाओं में लोकतंत्र, कानून-व्यवस्था तथा संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा शामिल होती है। इसके विपरीत, शोषणकारी संस्थाओं में कानून का शासन नहीं होता है, सत्ता कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित होती है, जिसमे सरकार द्वारा निजी स्वामित्व वाली संपत्ति को उसके स्वामी की इच्छा के विरुद्ध अधिग्रहण  का खतरा होता है।

राजनीतिक नियंत्रण की दुविधा : शोषक संस्थान अभिजात वर्ग को अल्पकालिक लाभ प्रदान करते  हैं तथा  सुधारों के विश्वसनीय वादों में अवरोध उत्पन्न करते  हैं। इस प्रकार ये  विकास को बाधित  करने वाले चक्र को बनाए रखते  हैं।

लोकतंत्रीकरण को उत्प्रेरित  करना: आंदोलन (क्रांति) का खतरा नेताओं को लोकतंत्रीकरण के लिए मजबूर कर सकती हैं, क्योंकि उन्हें सत्ता में बने रहने  के लिए संघर्ष करना पड़ता है, साथ ही सुधारों के माध्यम से जनता के असंतोष को दूर करने की भी आवश्यकता होती है। 

महत्व:

यह अध्ययन नीति-निर्माताओं और विकास के भागीदारों के लिए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण प्रदान करने के साथ-साथ सतत् आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा देने और वैश्विक आय असमानताओं को कम करने में संस्थागत सुधार की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल  देता है।

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