संदर्भ:
प्रति वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस (World Sickle Cell Day) मनाया जाता है।
अन्य संबंधित जानकारी:
- दिसंबर, 2008 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह एक अंतरराष्ट्रीय जागरूकता दिवस है, जिसे वैश्विक स्तर पर लोगों को सिकल सेल रोग के बारे में सचेत करने के लिए मनाया जाता है।
- इस वर्ष का विषय/थीम “प्रगति के माध्यम से आशा : वैश्विक स्तर पर सिकल सेल देखभाल को आगे बढ़ाना” (Hope Through Progress: Advancing Sickle Cell Care Globally) है, जो बेहतर उपचार और देखभाल संबंधी लड़ाई को दर्शाता है।
विश्व सिकल सेल दिवस का उद्देश्य :
- जागरूकता को बढ़ाना: सिकल सेल रोग और इससे पीड़ित रोगियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जनता को जागरूक करना।
- बेहतर देखभाल की वकालत करना: शीघ्र निदान और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच को बढ़ावा देना।
- प्रगति का जश्न मनाना: उपचार और अनुसंधान में प्रगति को पहचाना तथा भावी पीढ़ी को आशा उपचार विकल्प प्रदान करना।
दात्र कोशिका यानी सिकल सेल रोग (SCD) के बारे में
- यह हीमोग्लोबिन को प्रभावित करने वाला वंशानुगत लाल रक्त कोशिका विकारों का एक समूह है, जो आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह हेतु जिम्मेदार प्रोटीन है।
- डॉ. जेम्स हेरिक ने वर्ष 1910 में सिकल सेल रोग (SCD) का आधिकारिक रूप से वर्णन करने वाले पहले व्यक्ति थे। यह सबसे अधिक प्रचलित एकजीनी (मोनोजेनिक) रोगों में से एक है, जो विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में देखने को मिलता है।
- वैश्विक स्तर पर, भारत दात्र कोशिका संबंधी रोग या सिकल सेल रोग में मामलें में दूसरे स्थान है, जो मुख्य रूप से सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से हाशिए रहने वाली आबादी को प्रभावित करता है।
कारण और प्रभाव:
- सिकल सेल रोग (SCD) माता-पिता से बच्चों को आनुवंशिक रूप से मिलता है। जब किसी व्यक्ति को असामान्य जीन की दो प्रतियाँ, प्रत्येक माता-पिता से एक, विरासत में मिलती हैं, तो उनमें यह रोग देखने को मिलता है।
- हालाँकि किसी व्यक्ति को केवल एक प्रति प्राप्त होने पर उसमें सिकल सेल के लक्षण उत्पन्न होने के बाद भी सिकल सेल रोग (SCD) का कारण नहीं बनता है, लेकिन यह भावी पीढ़ियों में स्थानांतरित हो सकता है।
लचीली और डिस्क के आकार वाली सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं के विपरीत सिकल रोग वाली वाली लाल रक्त कोशिकाएँ कठोर और चिपचिपी होती हैं। इससे कई समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं:
- रक्त प्रवाह में रुकावट: सिकल कोशिकाएँ एक साथ चिपककर छोटी रक्त वाहिकाओं को अवरुद्ध कर सकती हैं, जिससे ऑक्सीजन युक्त रक्त शरीर के विभिन्न भागों तक नहीं पहुँच पाता है।
- लाल रक्त कोशिकाओं का विखंडन: सिकल कोशिकाएँ समय से पहले विखंडित हो जाती हैं, जिसके कारण लाल रक्त कोशिकाओं की कमी (एनीमिया यानी अरक्तता) हो जाती है।
लक्षण
- असहनीय दर्द: रक्त प्रवाह अवरुद्ध होने के कारण शरीर में असहनीय दर्द होता है।
- अरक्तता (एनीमिया): स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से थकान और कमजोरी होती है।
- संक्रमण: तिल्ली/प्लीहा (Spleen) के नुकसान होने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
उपचार
वर्तमान में, सिकल सेल रोग (SCD) का कोई औषधि यानी दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन उपचार लक्षणों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करके इसकी निम्नलिखित जटिलताओं को कम किया जा सकता है:
- दर्द का प्रबंधन: अत्यधिक दर्द को प्रबंधित करने के लिए ओपिओइड और दर्द निवारक जैसी दवाओं का प्रयोग किया जाता है।
- हाइड्रेशन: हाइड्रेटेड रहने से लाल रक्त कोशिकाओं के सिकुड़ने को रोकने में मदद मिलती है।
- हाइड्रोक्सीयूरिया: यह दवा भ्रूण हीमोग्लोबिन के निर्माण को बढ़ाने में मदद करती है। यह एक अलग प्रकार का हीमोग्लोबिन है जो सिकलिंग (Sickling) को कम कर सकता है।
- रक्त आधान: गंभीर मामलों में दरांतीनुमा लाल रक्त कोशिकाओं को स्वस्थ रक्त कोशिकाओं से प्रतिस्थापित करने में इसका उपयोग किया जाता है।
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