संदर्भ :

हाल ही में, भारत सरकार ने भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्रक को बढ़ावा देने के लिए एशियाई विकास बैंक (ADB) के साथ 350 मिलियन डॉलर के नीति-आधारित ऋण पर हस्ताक्षर किए।  

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह ऋण समझौता “स्ट्रेंथनिंग मल्टीमॉडल मॉडल एंड इंटीग्रेटेड लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम (SMILE)” कार्यक्रम के दूसरे उप-कार्यक्रम के तहत किया गया है। 
  • इस ऋण समझौते पर आर्थिक मामलों का विभाग (DEA) वित्त मंत्रालय; उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय; तथा ADB ने हस्ताक्षर किए।  

SMILE कार्यक्रम

SMILE कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्रक में व्यापक सुधार करने में सरकार को सहायता प्रदान करना है।  

इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विनिर्माण क्षेत्रक का विस्तार करना और इसकी आपूर्ति श्रृंखलाओं के  लचीलेपन में सुधार करना है। 

इस कार्यक्रम की व्यापक नीतिगत रूपरेखा, लॉजिस्टिक्स दक्षता को निम्नलिखित तरीकों से बेहतर करने पर आधारित है: 

  • मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स अवसंरचना के विकास के लिए संस्थागत आधार को मजबूत करना।
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और निजी क्षेत्रक के निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु वेयरहाउसिंग और अन्य लॉजिस्टिक्स परिसंपत्तियों को मानकीकृत करना।   
  • बाह्य व्यापार लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार करना। 
  • कुशल और निम्न उत्सर्जन वाली लॉजिस्टिक्स के लिए स्मार्ट प्रणालियों को अपनाना।  

भारत का लॉजिस्टिक्स क्षेत्रक:   

भारतीय लॉजिस्टिक्स बाजार वित्त वर्ष 2023 में 9 ट्रिलियन रुपये का था, जो कि 8 से 9 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज करते हुए, वित्त वर्ष 2028 तक 13.4 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है। 

आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, लॉजिस्टिक्स उद्योग का देश के सकल घरेलू उत्पाद में 13-14% योगदान है और यह उद्योग 22 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है।

  • BRICS देशों में प्रति GDP लॉजिस्टिक्स लागत औसतन 11% है, जबकि विकसित देशों में यह लगभग 8% है। 

भारत, विश्व बैंक द्वारा जारी लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स, 2023 में 139 देशों में से 38वें स्थान पर है।     

भारत में प्रमुख लॉजिस्टिक्स परियोजनाएँ:    

भारतमाला परियोजना : यह 2017 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक व्यापक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य देशभर में सड़क संपर्क में सुधार करना है। 

  • oइसका उद्देश्य आर्थिक गलियारों, अंतर-गलियारों और फीडर मार्गों का विकास, राष्ट्रीय गलियारे की दक्षता में सुधार, सीमा और अंतरराष्ट्रीय संपर्क सड़कों, तटीय और बंदरगाह संपर्क मार्गों, और ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण जैसे प्रभावी उपायों के जरिए बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करते हुए देशभर में माल और यात्री परिवहन की प्रभावशीलता को बढ़ाना है।             

सागरमाला परियोजना: यह देश में बंदरगाह आधारित विकास को बढ़ावा देने के लिए 2015 में शुरू किया गया पत्‍तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है।   

  • सागरमाला कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य न्यूनतम बुनियादी ढांचा निवेश के साथ निर्यात-आयात (EXIM) और घरेलू व्यापार की लॉजिस्टिक लागत को कम करना है।   

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFCs): इसकी घोषणा सरकार ने 2005-06 के रेल बजट में की थी। ये उच्च क्षमता वाले रेलवे कॉरिडोर हैं जो विशेष रूप से माल और वस्तुओं के परिवहन के लिए हैं। 

  • भारतीय रेलवे ने 90% से अधिक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) को चालू कर दिया है, जो 2,800 किमी से अधिक दूरी को कवर करता है।          

पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PMGS-NMP): 2021 में लॉन्च की गई इस योजना का   उद्देश्य भारत के विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना है। 

  • कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक्स दक्षता बेहतर करने के लिए भारतमाला, सागरमाला, ड्राई/लैंड पोर्ट और अन्य अवसंरचना परियोजनाओं को पीएम गति-शक्ति योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है।    

राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP), 2022: इसका उद्देश्य सिगल विंडो ई-लॉजिस्टिक्स बाजार बनाना और MSMEs को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।

हालिया लॉजिस्टिक्स प्रगति 

बिहटा ड्राई पोर्ट: हाल ही में बिहार ने पटना के बिहटा में राज्य के पहले ड्राई पोर्ट का उद्घाटन किया, जो कोलकाता, हल्दिया, विशाखापत्तनम, न्हावा शेवा, मुंद्रा जैसे प्रमुख गेटवे पोर्ट्स (बंदरगाहों) तथा प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्गों को जोड़ेगा।  

  • ड्राई पोर्ट, जिसे इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) या मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सेंटर भी कहा जाता है, एक अंतर्देशीय टर्मिनल होता है, जो रेल या सड़क से किसी समुद्री बंदरगाह से जुड़ा होता है। 

भारत पारादीप और विशाखापत्तनम बंदरगाह को चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री कॉरिडोर से जोड़ रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस-शिपमेंट हब: केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के गैलेथिया खाड़ी में अंतर्राष्ट्रीय ट्रांस-शिपमेंट हब को ‘प्रमुख बंदरगाह’ के रूप में अधिसूचित किया है।

  • ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट एक प्रकार का ट्रांजिट हब होता है, जहां माल को एक जहाज से दूसरे जहाज पर उसके अंतिम गंतव्य तक ले जाने के लिए स्थानांतरित किया जाता है। 

हाल ही में कैबिनेट ने राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम (NICDP) के तहत 12 नए औद्योगिक शहरों को मंजूरी दी है।                       

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