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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएं, भूगोलीय विशेषताएं और उनके स्थान, अति महत्वपूर्ण भूगोलीय विशेषताओं (जल स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणी-जगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।
संदर्भ: 24 वर्षों तक किए गए अध्ययन से पता चला है कि लक्षद्वीप द्वीपसमूह में प्रवालों की संख्या 1998 की तुलना में घटकर 50% रह गई है।
अन्य संबंधित जानकारी

- यह अध्ययन भारत और स्पेन के शोधकर्ताओं द्वारा Diversity and Distributions में प्रकाशित किया गया था।
- इस अध्ययन में संवेदनशील और संभावित रूप से परिवर्तनीय दोनों प्रकार की भित्तियों की पहचान करने के लिए एक मॉडल प्रस्तावित करने हेतु दीर्घकालिक डेटा का उपयोग किया गया है।
- केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप द्वीपसमूह में 12 प्रवाल एटोल हैं। 12 प्रवाल भित्ति स्थलों (जिनमें से तीन, अगत्ती, कदमत और कवरत्ती हैं) से प्राप्त आँकड़ों का उपयोग करते हुए, टीम ने 1998 से 2022 तक प्रवाल स्वास्थ्य पर नज़र रखी।
- लक्षद्वीप में प्रवाल आवरण में 24 वर्षों में 50% की कमी आई है, जो 1998 में 37.2% से घटकर 2022 में 19.1% हो गया है।
- हालाँकि लगातार विरंजन की घटनाओं के होने पर भी प्रवाल मृत्यु दर में कमी आई है, परन्तु भित्तियों के रिकवर होने की समग्र क्षमता में गिरावट आई है।
- प्रवाल आवरण की पुनर्प्राप्ति गैर-रैखिक थी और बिना विरंजन के भी 6 से अधिक वर्षों के बाद ही इसमें तेजी आई।
- यह अध्ययन भित्ति प्रबंधन के लिए एक पूर्वानुमानात्मक ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन इस बात को रेखांकित करता है कि वैश्विक जलवायु कार्रवाई आवश्यक है।
- लक्षद्वीप ने 1998, 2010 और 2016 में तीन समुद्री हीटवेव का अनुभव किया, जो मुख्य रूप से अल नीनो चरणों के कारण हुईं, जिससे समुद्र का तापमान बढ़ा और प्रवाल विरंजन हुआ।
- अध्ययन के सबसे उल्लेखनीय निष्कर्षों में से एक यह है कि प्रवाल रिकवरी में केवल विरंजन घटनाओं के बीच छह साल के अंतराल के बाद ही तेजी आती है।
- छोटी रिकवरी अवधि (जैसे कि 2010 और 2016 के बीच) एक्रोपोरा जैसे तेजी से बढ़ने वाले प्रवाल वंशों की रिकवरी क्षमता को सीमित करती है।
- शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि सर्वाधिक अनुकूलनीय प्रवाल भित्ति समुदाय भी अनिश्चित काल तक लगातार बढ़ती गर्मी का सामना नहीं कर सकते।
- यह अध्ययन लक्षद्वीप में संरक्षण का मार्गदर्शन करने के लिए एक पूर्वानुमान प्रदान करता है, जो औपचारिक प्रबंधन के अभाव में संरक्षण और रिकवरी के लिए भित्ति क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के महत्त्व को दर्शाता है।
प्रवाल के नष्ट होने के कारण
- जलवायु परिघटना अल नीनो दक्षिणी दोलन घटनाएँ, विशेष रूप से अल नीनो चरण, समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण प्रवाल विरंजन में योगदान करते हैं।
- तूफान के साथ होने वाली वर्षा समुद्र के पानी को तेज़ी से पतला कर सकती है, जिससे तट के निकट स्थित प्रवालों का विरंजन हो सकता है।
- लहरों का प्रभाव और गहराई, जलवायु तनाव के प्रति प्रवाल भित्तियों के अनुकूलन और प्रवाल प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं।
प्रवालों का महत्व
- प्रवाल भित्तियाँ अनुमानित 25% समुद्री जीवों का घर हैं, जिनमें मछलियों की 4,000 से ज़्यादा प्रजातियाँ शामिल हैं। ये विभिन्न प्रकार के जीवों के लिए भोजन और आश्रय प्रदान करती हैं।
- ये प्राकृतिक अवरोधों के रूप में कार्य करती हैं, तटरेखाओं को कटाव, तूफ़ानों और सुनामी से बचाती हैं।
- प्रवाल भित्तियाँ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं, हालाँकि इस पर अभी भी शोध चल रहा है।
