संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों का जुटाव, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने तटस्थ रुख बनाए रखते हुए रेपो दर को अपरिवर्तित रखा।
अन्य संबंधित जानकारी
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने वर्तमान और विकसित हो रही व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन करने के बाद सर्वसम्मति से नीतिगत रेपो दर को 5.50% पर बनाए रखने के लिए मतदान किया।
- स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 5.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर और बैंक दर 5.75% है।
- भारतीय आयात पर अमेरिकी टैरिफ के बावजूद आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा।
- वित्त वर्ष 26 के लिए मुद्रास्फीति 3.1% अनुमानित है, जो जून के 3.7% अनुमान से कम है, हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक वित्त वर्ष 27 में 4.9% तक पहुंचने की उम्मीद है।
- आरबीआई गवर्नर के अनुसार, भारत वैश्विक विकास में लगभग 18% का योगदान दे रहा है जो अमेरिका से भी अधिक है।
मौद्रिक नीति समिति (MPC)

- भारत में एमपीसी भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- विशेष रूप से, इस अधिनियम की धारा 45ZB केन्द्र सरकार को इस छह सदस्यीय समिति का गठन करने का अधिकार देती है, जो भारत सरकार द्वारा निर्धारित मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नीतिगत ब्याज दर निर्धारित करती है।
- धारा 45ZA के तहत, केंद्र सरकार, आरबीआई के परामर्श से, पांच साल में एक बार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के संदर्भ में मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करती है।
- MPC में छह सदस्य होते हैं, जिनमें से तीन आरबीआई से होते हैं और तीन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
- आरबीआई अधिकारी: गवर्नर (अध्यक्ष), मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर और आरबीआई द्वारा नामित अधिकारी
- बाह्य सदस्य: केंद्र सरकार द्वारा चार वर्ष के कार्यकाल के लिए नियुक्त किये जाते है|
- भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर समिति के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
- निर्णय: बहुमत से; बराबरी की स्थिति में आरबीआई गवर्नर निर्णायक मत देते हैं।
- एमपीसी को वर्ष में कम से कम चार बार बैठक करनी होती है। एमपीसी की बैठक के लिए कोरम चार सदस्यों का है।
- मौद्रिक नीति समिति का प्रत्येक सदस्य प्रस्तावित प्रस्ताव के पक्ष में या उसके विरुद्ध मतदान करने के कारणों को निर्दिष्ट करते हुए एक वक्तव्य लिखता है।
मौद्रिक नीति के कार्यान्वयन के लिए उपकरण
- रेपो दर: यह वह ब्याज दर है जिस पर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। विशेष रूप से, यह वह ब्याज दर है जिस पर RBI तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के अंतर्गत सभी LAF प्रतिभागियों को सरकारी और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों के संपार्श्विक के विरुद्ध तरलता प्रदान करता है।
- स्थायी जमा सुविधा (SDF): वह दर जिस पर RBI सभी LAF प्रतिभागियों से एक दिन के आधार पर बिना संपार्श्विक वाली जमाएँ स्वीकार करता है। SDF दर नीतिगत रेपो दर से 25 आधार अंक कम रखी गई है। SDF दर ने LAF कॉरिडोर के आधार के रूप में स्थिर रिवर्स रेपो दर का स्थान ले लिया है।
- सीमांत स्थायी सुविधा (MSF): वह दंडात्मक दर जिस पर बैंक अपने सांविधिक तरलता अनुपात (SLR) पोर्टफोलियो में से एक पूर्वनिर्धारित सीमा (2 प्रतिशत) तक की राशि निकालकर, रिज़र्व बैंक से एक दिन के आधार पर उधार ले सकते हैं। MSF दर नीतिगत रेपो दर से 25 आधार अंक अधिक रखी गई है।