संदर्भ:

रूस के रोसाटॉम स्टेट एटॉमिक एनर्जी कॉरपोरेशन (Rosatom State Atomic Energy Corporation) ने भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission of India) को परमाणु सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव दिया।

अन्य संबंधित जानकारी     

  • रूस ने भारत में एक नए स्थान पर उच्च क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने की पेशकश की है।
  • यह प्रस्ताव भारत में बढ़ती ऊर्जा माँग और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए भारत के प्रयासों के अनुरूप है।

हालाँकि रिएक्टर डिज़ाइन का विशिष्ट विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन यह निम्नलिखित से संबंधित हो सकता है:

  • प्रोरीव परियोजना (Proryv Project): यह रूस की फ्लोटिंग परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना है, जिसे अकादमिक लोमोनोसोव (Akademik Lomonosov) के नाम से जाना जाता है।
  • भूमि-आधारित रिएक्टर (Land-based Reactors): रूस के पास भूमि-आधारित परमाणु रिएक्टरों के निर्माण का अनुभव है, तथा इस प्रस्ताव में इसे भी शामिल किया जा सकता है।

भारतीय अधिकारी ने ‘प्रोरीव’ या ‘ब्रेकथ्रू’ (Breakthrough) परियोजना का निरीक्षण किया है, जिसका उद्देश्य बंद परमाणु ईंधन चक्र के एक नया बिजली संयंत्र विकसित करना है।

प्रोरीव परियोजना (अकादमिक लोमोनोसोव) के बारे में 

  • प्रोरीव (ब्रेकथ्रू) परियोजना रूस द्वारा परमाणु प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने के लिए शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। यह सतत और कुशल परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए अभिनव समाधान विकसित करने के साथ-साथ उपयोग किए गए परमाणु ईंधन और रेडियोधर्मी अपशिष्ट (RAW) संबंधी समस्या का समाधान करने पर केंद्रित है।
  • अकादेमिक लोमोनोसोव एक छोटा, आत्मनिर्भर तैरता हुआ (फ्लोटिंग) परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। यह प्रोरीव परियोजना का एक हिस्सा है।
  • यह 70 मेगावाट तक बिजली का उत्पादन कर सकता है, जो लगभग 100,000 लोगों की आबादी वाले शहर को बिजली देने के लिए पर्याप्त है।
  • यह संयंत्र दो VVER-300 संपीडित जल रिएक्टरों से सुसज्जित है, जिसके डिजाइन का अनुभव रूस के पास है।
  • अकादमिक लोमोनोसोव विश्व का पहला तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, जो कि वर्ष 2020 से चालू है।

तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र अर्थात, फ्लोटिंग न्यूक्लियर पावर प्लांट (FNP) 

  • तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNP) एक प्रकार का परमाणु ऊर्जा संयंत्र है, जो तैरते हुए प्लेटफॉर्म, आमतौर पर एक जहाज या नौका, पर स्थापित किया जाता है, जिससे उसे तटीय या ऐसे अन्य क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है, जहाँ भूमि-आधारित परमाणु संयंत्रों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव होता है।

इनके कई लाभ हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार है:

  • पारंपरिक ग्रिड तक पहुँच विहीन स्थलों पर विद्युत उत्पादन की क्षमता।
  • भूमि आधारित संयंत्रों की तुलना में निर्माण लागत के कम होने की संभावना।

हालाँकि, कई लोग तैरता हुआ परमाणु ऊर्जा संयंत्र (FNP) के दुर्घटनाओं की स्थिति में सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में भी चिंता व्यक्त करते हैं।

वर्तमान में, भारत और रूस का परमाणु सहयोग    

  • भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दीर्घकालिक और मजबूत साझेदारी है। इस सहयोग को वर्ष 2014 में हस्ताक्षरित “परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को मजबूत करने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण” (Strategic Vision for Strengthening Cooperation in Peaceful Uses of Atomic Energy) के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया है। 

रूस के सहयोग से तमिलनाडु के कुडनकुलम (Kudankulam) में 1000 मेगावाट क्षमता के कुल 6 परमाणु ऊर्जा यूनिटों का निर्माण किया जा रहा है ।

  • इसकी पहली यूनिट पहले से ही अपनी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन कर रही है। वहीं इसकी दूसरी यूनिट क्रांतिकता (क्रिटिकलिटी) को प्राप्त करने की प्रक्रिया में है।
  • इसकी तीसरी और चौथी यूनिट के निर्माण के लिए उत्खनन का कार्य अपने अंतिम चरण में है। दोनों पक्ष पाँचवें और छठें यूनिट के लिए दस्तावेजों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी करने में लगे हैं।
  • तमिलनाडु के कुडनकुलम में स्थापित परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 6000 मेगावाट की होगी।

ईंधन की आपूर्ति: रूस भारत के परमाणु रिएक्टरों के लिए संवर्धित यूरेनियम ईंधन की आपूर्ति करता है।

  • परमाणु अनुसंधान एवं विकास: दोनों देश परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर सहयोग करते हैं।
  • परमाणु सुरक्षा एवं संरक्षा: दोनों देश परमाणु सुरक्षा विनियमों एवं संरक्षा उपायों में सर्वोत्तम प्रथाओं एवं विशेषज्ञता को साझा करने पर सहयोग करते हैं।

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