संदर्भ:
हाल ही में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हरित हाइड्रोजन पर अनुसंधान एवं विकास हेतु उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- इस योजना का उद्देश्य भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए विश्व स्तरीय उत्कृष्टता केंद्र (CoEs) स्थापित करना है, ताकि नवाचार और संधारणीयता को बढ़ावा दिया जा सके, जिससे दीर्घकालिक रूप में ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके।
- ये उत्कृष्टता केंद्र हरित हाइड्रोजन उत्पादन, भंडारण और उपयोग प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाकर निम्न-कार्बन उत्सर्जन बढ़ावा देंगे।
- सरकार ने हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत ऐसे केंद्र स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
- हरित हाइड्रोजन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हरित हाइड्रोजन से जुड़े जीवन चक्र (जिसे यहाँ “वेल-टू-गेट” उत्सर्जन के रूप में परिभाषित किया है) जिसका अर्थ यह है कि जल उपचार, इलेक्ट्रोलिसिस, गैस शुद्धिकरण, हाइड्रोजन का शुष्कन और संपीडन सहित सभी चरणों में 2 kg CO2 eq/kg H2 से अधिक उत्सर्जन नहीं होना चाहिए।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE), विद्युत मंत्रालय हरित हाइड्रोजन उत्पादन परियोजनाओं की निगरानी, सत्यापन और प्रमाणन के लिए एजेंसियों के प्रत्यायन हेतु नोडल प्राधिकरण होगा।
राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM)
- भारत ने जनवरी 2023 में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) शुरू किया।
- मिशन का उद्देश्य भारत को हरित हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस मिशन के लिए नोडल निकाय है।
- इससे भारत को 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
मिशन के लक्ष्य
- 2030 तक जीवाश्म ईंधन के आयात में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमी।
- 2030 तक वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 50 MMT की कमी लाना।
हरित हाइड्रोजन को बढ़ावा देने के लिए अन्य पहल
- नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन की लागत को कम करने की दिशा में कार्यरत है ताकि इसे ग्रे हाइड्रोजन के लागत स्तर पर उपलब्ध कराया जा सके।
- हरित हाइड्रोजन परियोजनाओं को पूर्व पर्यावरणीय मंज़ूरी की आवश्यकता से भी छूट दी गई है।