संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: सांविधिक, विनियामक और अर्ध-न्यायिक निकाय|
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने राजस्थान के झालावाड़ जिले में एक सरकारी स्कूल की इमारत के ढहने की घटना पर स्वतः संज्ञान लिया। दुर्भाग्यवश इस घटना में 7 छात्रों की मृत्यु हो गई।
अन्य संबंधित जानकारी
• आयोग ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव और झालावाड़ के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
• ऐसा कहा जा रहा है कि स्थानीय निवासियों ने स्कूल इमारत की जर्जर स्थिति के बारे में जिला प्रशासन को सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई, जोकि प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
मानवाधिकारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
• 1948 में संयुक्त राष्ट्र ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाया।
• पेरिस सिद्धांतों को 1991 में राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों (NHRIs) द्वारा मूर्त रूप दिया गया।
• संयुक्त राष्ट्र ने 1993 में अपनी महासभा में इन पेरिस सिद्धांतों को अपनाया।
• 1993 में, भारत ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम लागू किया।
• मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम ने राज्य सरकारों को राज्य मानवाधिकार आयोग स्थापित करने की भी अनुमति दी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
• भारत के NHRC की स्थापना 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (PHRA), 1993 के तहत की गई थी जिसमें मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा संशोधन किया गया।
• आयोग देश में मानवाधिकारों का प्रहरी है, अर्थात् संविधान द्वारा गारंटीकृत व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित अधिकारों का रक्षक है।
• आयोग में एक अध्यक्ष और पाँच पूर्णकालिक सदस्य होते हैं।
• अपने पूर्णकालिक सदस्यों के अलावा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में सात पदेन सदस्य भी होते हैं। ये निम्नलिखित राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्ष हैं:
- राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (SC)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (ST)
- राष्ट्रीय महिला आयोग
- राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)
- दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त
• आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।
• समिति में ये भी शामिल होते हैं:
- लोकसभा अध्यक्ष
- गृह मंत्रालय के प्रभारी मंत्री
- लोकसभा और राज्यसभा दोनों में विपक्ष के नेता
- राज्यसभा के उपसभापति।
• यदि सर्वोच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश या किसी उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में नियुक्त किया जाना है, तो इसके लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से पूर्व परामर्श आवश्यक है।
• राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सदस्य तीन वर्ष की अवधि या सत्तर वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, पद पर बने रहते हैं। दोनों पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र हैं।
• राष्ट्रपति, अध्यक्ष या किसी भी सदस्य को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर पद से हटा सकता हैं, लेकिन ऐसा केवल सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श के बाद ही किया जा सकता है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की शक्तियाँ (NHRC)
• न्यायिक शक्तियाँ
• NHRC को सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त हैं। यह
- गवाहों को बुला सकता है
- हलफनामों पर साक्ष्य प्राप्त कर सकता है
- दस्तावेजों की खोज और प्रस्तुति के लिए कह सकता है
- गवाहों की जाँच के लिए आयोग का गठन कर सकता है
• जाँच शक्तियां
• निम्नलिखित से रिपोर्ट/सूचना मंगवा सकता है:
- केंद्र एवं राज्य सरकार से
- अधीनस्थ प्राधिकरण से
- इसका अपना जाँच दल है।
- केंद्र या राज्य सरकारों के अधिकारियों/एजेंसियों से।
• पूछताछ के बाद की कार्रवाई
• पूछताछ के दौरान या उसके बाद, NHRC
- पीड़ित को मुआवज़ा/क्षतिपूर्ति की सिफ़ारिश कर सकता है।
- दोषी लोक सेवक के विरुद्ध क़ानूनी कार्रवाई की सिफ़ारिश कर सकता है।
- पीड़ित को तत्काल अंतरिम राहत का सुझाव दे सकता है।
- आवश्यक निर्देशों या रिट के लिए सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय से संपर्क कर सकता है।
आयोग के कार्य
- किसी लोक सेवक द्वारा मानवाधिकारों के किसी प्रकार के उल्लंघन या ऐसे उल्लंघन की रोकथाम में लापरवाही की जाँच करना, या तो स्वतः या अपने समक्ष प्रस्तुत याचिका पर या न्यायालय के आदेश पर।
- न्यायालय के समक्ष लंबित मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप से संबंधित किसी कार्यवाही में हस्तक्षेप करना।
- कैदियों की जीवन स्थितियों का अध्ययन करने और उसके आधार पर सिफारिशें करने के लिए जेलों और हिरासत स्थलों का दौरा करना।
- मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक और अन्य कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना और उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उपायों की सिफारिश करना।
- आयोग मानवाधिकारों पर संधियों और अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेजों का भी अध्ययन करता है तथा सरकार को उनके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सिफारिशें करता है।
स्रोत:
https://www.un.org/en/global-issues/human-rights
विगत वर्षों के प्रश्न (मुख्य परीक्षा)
यद्यपि मानवाधिकार आयोगों ने भारत में मानव अधिकारों के संरक्षण में काफी हद तक योगदान दिया है, फिर भी वे ताकतवर और प्रभावशालियों के विरुद्ध अधिकार जताने में असफल रहे हैं। इनकी संरचनात्मक और व्यावहारिक सीमाओं का विश्लेषण करते हुए सुधारात्मक उपायों के सुझाव दीजिए। (GS-2/2021)