संदर्भ:
भारत में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लड़कियों के अधिकारों, शिक्षा और कल्याण को बढ़ावा देना है।
- इसे वर्ष 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया। जिसका लक्ष्य लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता फैलाना और उन्हें अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए सशक्त बनाना।
- राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 का थीम “उज्ज्वल भविष्य के लिए लड़कियों को सशक्त बनाना।”
- इसका मुख्य विषय लैंगिक समानता, बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा, और भेदभाव व हिंसा से सुरक्षा प्रदान करना है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (HMIS) के आंकड़ों के अनुसार,आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में जन्म के समय राष्ट्रीय लिंगानुपात 2014-15 में प्रति 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियों से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया है।
बालिका विकास के लिए प्रमुख पहलें
- NPS वात्सल्य योजना (2024)
- 18 सितंबर, 2024 को लॉन्च की गई यह योजना 0-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए नई पेंशन योजना है।
- न्यूनतम योगदान: ₹1,000 प्रति माह।
- 18 वर्ष की आयु तक माता-पिता खाते का प्रबंधन करेंगे। इसके बाद यह खाता बच्चे के नाम पर स्थानांतरित हो जाएगा।
- नियामक: पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA)।
- सुकन्या समृद्धि योजना (2015)
- ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत शुरू की गई।
- यह योजना माता-पिता को अपनी बेटी की शिक्षा और शादी के लिए बचत करने में मदद करती है।
- आयु सीमा: 10 वर्ष या उससे कम।
- निवेश: ₹250 (न्यूनतम) से ₹1.5 लाख (अधिकतम) वार्षिक।
- अवधि: 15 वर्षों की जमा अवधि, खाता 21 वर्ष में परिपक्व होता है।
- मिशन पोषण 2.0
- इसे फरवरी 2021 में वित्त मंत्री सुश्री निर्मला सीतारमण द्वारा लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य:
- कुपोषण को प्राथमिकता देकर इसके प्रभाव को कम करना।
- प्रमुख योजनाएँ जैसे पोषण अभियान, आंगनवाड़ी सेवाएँ, सक्षम आंगनवाड़ी, और किशोरियों के लिए विशेष योजनाएँ।
- लक्ष्य समूह: बच्चे, किशोरियाँ, गर्भवती महिलाएँ और स्तनपान कराने वाली माताएँ।
- मुख्य फोकस:
- आहार विविधता, खाद्य सुदृढ़ीकरण, और बाजरा के सेवन को बढ़ावा देना।
- बेहतर स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा में सुधार।
- ‘पोषण ट्रैकर’ जैसी प्रौद्योगिकियों के माध्यम से सेवाओं की निगरानी और प्रबंधन।
- CBSE उड़ान योजना
- इसे 2014 में लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य:
- प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों में छात्राओं के नामांकन को बढ़ावा देना।
- स्कूल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के बीच की खाई को पाटना।
- विशेषताएँ:
- STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में लड़कियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- कक्षा 11 और 12 की छात्राओं के लिए मुफ्त ट्यूटोरियल, विशेष रूप से JEE जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी में।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ (BBBP)
- इसे 2015 में लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य:
- बाल-लिंग अनुपात में सुधार।
- लैंगिक पूर्वाग्रहों को दूर कर लड़कियों को सशक्त बनाना।
- लड़कियों की स्कूल उपस्थिति बढ़ाने और बुनियादी ढाँचा सुधारने पर ध्यान केंद्रित करना।
- विशेषताएँ:
- लिंग-चयनात्मक गर्भपात को रोकना।
- 100% केंद्रीय सहायता के साथ राज्यों द्वारा लागू किया गया।
- ग्रामीण भारत में किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने की योजना
- यह योजना 2011 से कार्यरत है।
- लक्ष्य:
- 10-19 वर्ष की आयु की किशोरियों में मासिक धर्म स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- किशोर प्रजनन यौन स्वास्थ्य के व्यापक दृष्टिकोण को मजबूत करना।
- बाल संरक्षण सेवा योजना (CPS)
- उद्देश्य:
- कठिन परिस्थितियों में बच्चों की सहायता के लिए पुनर्वास उपाय।
- विशेषताएँ:
- संस्थागत देखभाल: बाल देखभाल संस्थानों (CCI) के माध्यम से।
- गैर-संस्थागत देखभाल: गोद लेना, पालन-पोषण, और प्रायोजन।
- आफ्टरकेयर सेवाएँ: 18 वर्ष की आयु के बाद स्वतंत्र जीवन में सहायता।
- पोषण अभियान
- इसे 8 मार्च, 2018 को लॉन्च किया गया।
- उद्देश्य:
- कुपोषण के मुद्दों को पूरे देश में संबोधित करना।
- इसके घटकों में शामिल हैं:
- पोषण सेवाओं के प्रबंधन और निगरानी में प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- विभिन्न योजनाओं का समन्वय।
- जन जागरूकता और भागीदारी बढ़ाना।
- पोषण सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रशिक्षण।
- कुपोषण के खिलाफ उत्कृष्ट कार्यों को मान्यता देना।
- नई और प्रभावी रणनीतियाँ अपनाना।
- बालिकाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के कानूनी उपाय
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006: बाल विवाह को अपराध घोषित करता है।
- POCSO अधिनियम, 2012: बाल यौन शोषण रोकने के लिए सख्त कानून।
- किशोर न्याय अधिनियम, 2015: जरूरतमंद बच्चों की देखभाल और सुरक्षा।
- मिशन वात्सल्य: लापता बच्चों के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन और ट्रैक चाइल्ड पोर्टल जैसी सेवाएँ।
- मानसिक स्वास्थ्य: निमहांस और ई-संपर्क कार्यक्रमों के तहत मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस
- यह हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा लैंगिक समानता, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था, साथ ही दुनिया भर में लड़कियों के अधिकारों की वकालत भी की।
- इसका उद्देश्य लड़कियों के लिए अधिक समावेशी और न्यायसंगत भविष्य की दिशा में वैश्विक कार्रवाई को प्रेरित करना है।
- 2024 में, थीम, “भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टिकोण“,