संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: स्वतंत्रता आंदोलन
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2: राजव्यवस्था और शासन व्यवस्था
संदर्भ:
भारत में 22 जुलाई को राष्ट्रीय झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो भारत की स्वतंत्रता की यात्रा में एक निर्णायक क्षण है।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत की संविधान सभा ने 22 जुलाई, 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया।
- तिरंगे को अपनाना भारत के औपनिवेशिक शासन से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम था।
आरंभिक शुरुआत

- भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती वर्षों में, एकसमान राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा था|
- 1904 में, सिस्टर निवेदिता ने विजय और शक्ति का प्रतीक लाल और पीले रंगों और बंगाली में लिखे “वंदे मातरम” शब्दों के साथ एक डिज़ाइन का प्रस्ताव रखा।
- पहला तिरंगा झंडा 1906 में सामने आया जिसमें नीले, पीले और लाल रंग की पट्टियाँ थीं और प्रांतों के प्रतीक आठ सितारे थे।
- बाद के संस्करणों में 1906 में ‘कलकत्ता ध्वज’, 1907 में मैडम भीकाजी कामा द्वारा ‘बर्लिन ध्वज’ और 1917 में होमरूल ध्वज शामिल थे| ये सभी भारत में राष्ट्रवाद की बढ़ती भावना को दर्शाते थे।
- 22 अगस्त 1907 को, मैडम भीकाजी कामा जर्मनी के स्टटगार्ट में एक क्रांतिकारी बैठक के दौरान विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज फहराने वाली पहली भारतीय बनीं| यह भारत की स्वतंत्रता की इच्छा का प्रतीक था।
- 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद, सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले ध्वज को डिजाइन करने के लिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक अस्थायी ध्वज समिति का गठन किया गया था।
- गांधीजी की स्वीकृति से, उन्होंने पिंगली वेंकैया के पुराने ध्वज का एक संशोधित संस्करण चुना।
- मूल डिज़ाइन में एक चरखा था जिसे बाद में बीच में अशोक चक्र से बदल दिया गया|
संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज
- तिरंगा के नाम से जाना जाने वाला तीन रंग का झंडा, जिसमें तीन क्षैतिज पट्टियाँ – केसरिया, सफेद और हरा हैं और चरखे के स्थान पर अशोक चक्र है, को आधिकारिक तौर पर 22 जुलाई, 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
राष्ट्रीय ध्वज के बारे में
- राष्ट्रीय ध्वज में रंग
- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के प्रत्येक रंग गहरा अर्थ है, जो देश के आदर्शों और आशाओं का प्रतीक है:
- केसरिया (ऊपरी पट्टी): साहस, बलिदान और निस्वार्थता का प्रतीक है, जो स्वतंत्रता सेनानियों की बहादुरी और बलिदान के सम्मान का प्रतीक है।
- सफेद (मध्य पट्टी): शांति, सत्य और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करती है, जो राष्ट्र को ईमानदारी और सद्भाव की ओर अग्रसर करती है।
- हरा (नीचे की पट्टी): उर्वरता, विकास और समृद्धि का प्रतीक है। यह भारत के कृषि प्रधान होने और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है|
- नीला अशोक चक्र (बीच में): नियम और प्रगति के शाश्वत चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। यह दर्शाता है कि जीवन निरंतर गति और विकास का प्रतीक है, और ठहराव पतन की ओर ले जाता है।
- यह चक्र राष्ट्र के विकास के लिए निरंतर प्रयास करते रहने और आगे बढ़ने की गति के महत्व पर प्रकाश डालता है।
- अशोक चक्र: ध्वज के केंद्र में उपस्थित अशोक चक्र में 24 तीलियाँ हैं, जो दिन के 24 घंटों और समय के निरंतर चलते रहने का प्रतीक हैं।
- यह शाश्वत धर्म चक्र और धार्मिकता के महत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह डिज़ाइन तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सम्राट अशोक द्वारा बनवाए गए सारनाथ सिंह स्तंभ में पाए गए धर्म चक्र से प्रेरित है।
- आयाम और आकार: राष्ट्रीय ध्वज किसी भी आकार में बनाया जा सकता है, लेकिन इसका अनुपात हमेशा निश्चित होना चाहिए। ध्वज की लंबाई-से-ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3:2 है।
- इसका मतलब यह है कि ध्वज हमेशा आयताकार होना चाहिए, वर्गाकार या किसी अन्य आकार का नहीं।
भारत की ध्वज संहिता के बारे में

- भारत में राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग, प्रदर्शन और फहराना भारतीय ध्वज संहिता, 2002 द्वारा शासित है।
- इस संहिता में ध्वज के प्रदर्शन से संबंधित सभी मौजूदा कानून, परम्पराएँ और दिशानिर्देश सम्मिलित हैं|
- यह व्यक्तियों, निजी संगठनों और सरकारी निकायों पर लागू होती है और 26 जनवरी, 2002 से प्रभावी हुई।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुच्छेद 2.2 के अनुसार, किसी भी व्यक्ति, संगठन, निजी या सार्वजनिक निकाय या शैक्षणिक संस्थान (स्काउट शिविरों सहित) को सभी दिनों और अवसरों पर तिरंगा फहराने या प्रदर्शित करने की अनुमति है, बशर्ते यह राष्ट्रीय ध्वज के प्रति उचित सम्मान, गरिमा और आदर के साथ किया जाए।
- 30 दिसंबर, 2021 को एक संशोधन के बाद, भारतीय ध्वज संहिता को अद्यतन किया गया ताकि राष्ट्रीय ध्वज को कपास, पॉलिएस्टर, ऊन, रेशम या खादी के झंडों सहित हाथ से काते, हाथ से बुने या मशीन से बने पदार्थों से बनाने की अनुमति मिल सके।
- यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय ध्वज को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपालों और अन्य आधिकारिक रूप से नामित गणमान्य व्यक्तियों के वाहन को छोड़कर किसी भी वाहन पर नहीं फहराया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त, ध्वज का उपयोग किसी भी वाहन के किनारे, पीछे या ऊपर लपेटने या ढकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के ऐतिहासिक विकास पर चर्चा कीजिए और इसके डिज़ाइन तत्वों के प्रतीकात्मक अर्थों की व्याख्या कीजिए। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के प्रमुख प्रावधानों और राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा को बनाए रखने में उनके महत्व पर प्रकाश डालिए। (15अंक, 250शब्द)