संबंधित पाठ्यक्रम:

सामान्य अध्ययन 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देश रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

संदर्भ:

23 अगस्त 2025 को देश भर में दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया गया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह दिन चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर की तैनाती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
  • 2023 में इसी दिन, चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्र सतह पर विक्रम लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग की थी।
  • इस वर्ष के उत्सव का विषय है: आर्यभट्ट से गगनयान तक: प्राचीन ज्ञान से अनंत संभावनाओं तक।

अंतरिक्ष यात्रा में भारत की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • आर्यभट्ट:
    • यह भारत का पहला उपग्रह था। इसे 1975 में प्रक्षेपित किया गया था और इसका नाम प्राचीन भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था।
    • इस उपग्रह का उद्देश्य सौर भौतिकी, वायुविज्ञान और एक्स-रे खगोल विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अन्वेषण करना था।
  • मंगलयान:
    • यह भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि से भारत मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजने वाला पहला एशियाई और दुनिया का चौथा देश बन गया।
    • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए भारत की तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के  साथ ही मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, आकारिकी और वायुमंडल का अध्ययन करना भी था।
  • चंद्रयान-3:
    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 2023 में भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) मार्क III का उपयोग करके चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया।
    • इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ऊंचे इलाकों में एक लैंडर और रोवर को उतारना और एंड-टू-एंड लैंडिंग और रोविंग क्षमताओं का प्रदर्शन करना था।
    • इसके साथही भारत चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के निकट उतरने वाला पहला देश बन गया।
  • नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC):
    • इसरो ने नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) नामक एक क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली स्थापित की है। नाविक को पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के नाम से जाना जाता था।
    • नाविक दो सेवाएँ प्रदान करता है: असैन्य उपयोगकर्ताओं के लिए मानक स्थिति सेवा (Standard Position Service) और रणनीतिक उपयोगकर्ताओं के लिए प्रतिबंधित सेवा (Restricted Service)। नाविक के कवरेज क्षेत्र में भारत और भारतीय सीमा से 1500 किलोमीटर तक का क्षेत्र शामिल है।
    • नाविक सिग्नल सटीकता 20 मीटर से बेहतर उपयोगकर्ता की स्थिति और 50 नैनोसेकंड से बेहतर समय सटीकता के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
  • गगनयान:
    • गगनयान परियोजना में तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किलोमीटर की कक्षा में तीन सदस्यों के दल को प्रक्षेपित करके और भारतीय समुद्री जल में लैंडिंग करके उन्हें सुरक्षित पृथ्वी पर वापस लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की परिकल्पना की गई है।
    • इस परियोजना को एक इष्टतम रणनीति का उपयोग करके क्रियान्वित किया जा रहा है, जिसमें स्वदेशी विशेषज्ञता, भारतीय उद्योग का अनुभव, शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताओं और उन्नत अंतर्राष्ट्रीय प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाया जा रहा है।
  • अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLVs):
    • इसरो अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (NGLVs) विकसित कर रहा है, जिनकी पेलोड क्षमता 30,000 किलोग्राम तक है और वे पृथ्वी की निचली कक्षा तक जा सकते हैं।
    • इन वाहनों में पुन: प्रयोज्य प्रथम चरण होंगे जिससे लागत-दक्षता में सुधार होगा और प्रक्षेपण आवृत्ति में वृद्धि होगी।
  • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS):
    • भारतीय अंतरिक्ष स्टेशनवैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भारत का नियोजित अंतरिक्ष स्टेशन है जो पृथ्वी की सतह से लगभग 400-450 किमी. ऊपर परिक्रमा करेगा।
    • यह अंतरिक्ष में निरंतर मानवीय उपस्थिति के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा और वैज्ञानिक अनुसंधान में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देगा।

हाल के प्रमुख घटनाक्रम

  • कुलसेकरपट्टिनम स्पेसपोर्ट
    • फरवरी 2024 में, भारत के प्रधान मंत्री ने स्पेसपोर्ट की आधारशिला रखी, जिसे तटीय तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले की भौगोलिक स्थिति से लाभ प्राप्त होगा।
    • यह नया स्पेसपोर्ट इसरो द्वारा विकसित लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के प्रक्षेपण के लिए महत्वपूर्ण होगा।
    • आगामी कुलसेकरपट्टिनम स्पेसपोर्ट सीधे दक्षिण की ओर, छोटे प्रक्षेपण पथ प्रदान करके इसमें सहायता करेगा।
  • निसार (NISAR)
    • नासा-इसरो निसार उपग्रह को हाल ही में आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से GSLV Mk-II के जरिए प्रक्षेपित किया गया।
    • जीएसएलवी रॉकेट की सफल उड़ान के साथ यह भारत और अमेरिका का पहला अंतरिक्ष सहयोग है। इसने निसार को एक सटीक कक्षा में स्थापित किया।
    • इसरो के GSLV F16 ने लगभग 19 मिनट में 745 किमी. की उड़ान के बाद सिंथेटिक अपर्चर रडार उपग्रह को इच्छित सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया।
    • GSLV-F16  भारत के भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV) की 18वीं उड़ान और स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ 9वीं परिचालन उड़ान है।यह मिशन सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में पहुँचने वाला पहला जीएसएलवी प्रक्षेपण है।
स्रोत:

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Economic Times
DD News

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