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सामान्य अध्ययन-1: भारतीय समाज की प्रमुख विशेषताएँ, भारत की विविधता।

संदर्भ: 

केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) जुलाई 2026 से एक वर्ष की अवधि के लिए राष्ट्रव्यापी प्रवासन सर्वेक्षण की शुरुआत करेगा। 

राष्ट्रीय प्रवासन सर्वेक्षण के बारे में

  • लक्ष्य: देश भर में प्रवासन की दरों, प्रवासन के कारणों, अल्पकालिक प्रवासन और परिवारों एवं व्यक्तियों की अन्य संबंधित विशेषताओं के बारे में विश्वसनीय प्राक्कलन तैयार करना।
  • प्रवासी की परिभाषा: किसी व्यक्ति को तभी प्रवासी माना जाता है जब उसका वर्तमान निवास उसके पिछले सामान्य निवास स्थान से भिन्न हो।
  • भौगोलिक कवरेज: सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के गाँवों जहाँ पहुँच संबंधी चुनौतियां विद्यमान हैं, को छोड़कर लगभग पूरे देश को कवर किया जाएगा।
  • घरेलू प्रवासन डेटा: ऐतिहासिक दृष्टि से ऐसे परिवारों की संख्या बहुत कम है जिनके सभी सदस्य प्रवास कर चुके हैं, इसलिए मुख्य डेटा एकत्र करने में इन्हें शामिल न करना उपयुक्त है।
  • अल्पकालिक प्रवास मानदंड: यदि कोई व्यक्ति पिछले वर्ष रोज़गार या नौकरी की तलाश में 15 दिनों से लेकर छह महीने तक अपने सामान्य निवास से दूर रहा हो, तो उसे अल्पकालिक प्रवासी माना जाएगा।
  • सर्वेक्षण के दायरे का विस्तार: नए प्रश्नों के साथ प्रवास के प्रभाव का आकलन किया जाएगा। इन प्रश्नों में आय में परिवर्तन, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी सेवाओं तक पहुँच, जीवन-यापन की परिस्थितियाँ और आगे प्रवास की योजना बनाना शामिल हैं।

भारत में प्रवासन सर्वेक्षणों का विकास 

1950 के दशक से भारत में प्रवासन संबंधी आंकड़े राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के तहत जुटाए गए थे, जिसमें 18वें (1963-64) और 64वें (2007-08) सर्वेक्षणों के दौरान उल्लेखनीय समर्पित प्रवासन दौर शामिल थे।

2008 के बाद से, प्रवासन डेटा को आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (2020-21) और बहु संकेतक सर्वेक्षण (2020-21) जैसे व्यापक सर्वेक्षणों में कभी-कभार शामिल किया गया।

  • भारत की समग्र प्रवास दर 28.9% है।
  • देश भर में महिलाओं के प्रवास की दर पुरुषों की तुलना में काफी उच्च है।
  • ग्रामीण प्रवास का कारण मुख्यतः लिंग भेद है: महिलाओं के लिए 48% और पुरुषों के लिए 5.9%।
  • शहरी प्रवास में भी महिलाओं के प्रवास की दर पुरुषों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है: 47.8% और पुरुषों के लिए 22.5%।

2026 का सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण अद्यतन है, जिसमें महामारी के बाद की नई प्रवासन वास्तविकताओं और पद्धतिगत सुधारों को शामिल किया गया है।

प्रवासन सर्वेक्षण का महत्त्व 

  • यह सर्वेक्षण नीति निर्माताओं को शहरी नियोजन, आवास, परिवहन, रोज़गार सृजन, सामाजिक सुरक्षा और कौशल विकास में लक्षित हस्तक्षेप तैयार करने में मदद करेगा।
  • यह सर्वेक्षण श्रम गतिशीलता, शहरीकरण की प्रवृत्ति, धन प्रेषण प्रवाह और प्रवासी आबादी के सामाजिक और आर्थिक एकीकरण को समझने में सहायक होगा।
  • यह समावेशी विकास और क्षेत्रीय विकास के लिए प्रवासन के निहितार्थों का आकलन करने में मदद करेगा, जिससे भारत का सामाजिक-आर्थिक नीति ढाँचा सुदृढ़ होगा।
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