संदर्भ:

हाल ही में की गई एक अध्ययन से पता चलता है कि रात में कृत्रिम प्रकाश (Artificial Light At Night-ALAN) के अधिक होने के कारण पेड़ों की पत्तियाँ सख्त हो जाती हैं, जिसके कारण कीटों के लिए उन्हें खाना कठिन हो जाता है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंसेस (Chinese Academy of Sciencesने पाया कि रात में कृत्रिम प्रकाश के कारण पत्तियाँ सख्त हो गई, साथ ही पत्तियों में शाकाहारीपन (कीटों और जानवरों द्वारा जीवित पौधों के भागों को खाना) का स्तर कम हो गई।
  • फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस (Frontiers in Plant Science) नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि रात में कृत्रिम प्रकाश के कारण पत्ती के पोषक तत्वों, आकार और सुरक्षा पदार्थों संबंधी प्रजाति-विशिष्ट प्रभाव पड़ता है।
  • उच्च स्तर के कृत्रिम प्रकाश का अनुभव करने वाले पौधे विकास की बजाय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे अधिक रासायनिक सुरक्षा यौगिकों के साथ अधिक सख्त पत्तियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • इस अध्ययन में बीजिंग में दो सामान्य सड़क वृक्ष प्रजातियों में यह घटना देखी गई:
    जापानी पैगोडा वृक्ष (स्टाइफ़नोलोबियम जैपोनिकम)।
    ग्रीन ऐश वृक्ष (फ्रैक्सिनस पेन्सिल्वेनिका)।
  • स्टाइफ्नोलोबियम जैपोनिकम (Styphnolobium japonicum) की पत्तियों में कार्बन की मात्रा और सख्ती अधिक होने से उनकी शाकाहारिता कम हो जाती है, लेकिन पत्तियों में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने पर यह बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त, विशिष्ट पत्ती क्षेत्र (SLA) और रात में कृत्रिम प्रकाश भी शाकाहारिता को कम करते हैं।
  • फ्रैक्सिनस पेनसिल्वेनिका (Fraxinus pennsylvanica) की सख्त पत्तियाँ कम शाकाहारी होती हैं।
  • विशिष्ट पत्ती क्षेत्र (SLA) और रात में कृत्रिम प्रकाश (ALAN) के बीच की परस्पर क्रिया ने शाकाहारिता पर काफी अधिक नकारात्मक प्रभाव डाला है। विशिष्ट पत्ती क्षेत्र और रात में कृत्रिम प्रकाश जितना अधिक होगा, शाकाहारिता उतनी ही कम होगी।
  • पत्ती की अधिक सख्त होने का तात्पर्य नुकसान से बचने के लिए की गई अधिक सुरक्षा से है, जो शाकाहारी भोजन में बाधा डालती है, जिसके परिणामस्वरूप शाकाहारी स्तर कम हो जाता है।
  • अधिक सख्त हुई पत्तियों का विघटन दर कमी कम होता हैं, जिससे पोषक चक्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • उच्च स्तर पर रात में कृत्रिम प्रकाश की आधिक्यता पौधों से उच्चतर पोषण से संबंधित स्तरों तक ऊर्जा प्रवाह हेतु हानिकारक है।
  • वर्ष 2016 में साइंस एडवांस में प्रकाशित रिपोर्ट न्यू वर्ल्ड एटलस ऑफ आर्टिफिशियल नाइट स्काई ब्राइटनेस (New World Atlas of Artificial Night Sky Brightness) में पाया गया कि विश्व की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रकाश-प्रदूषित आसमान के नीचे रहती है।
  • 11 जनवरी, 2024 को महाराष्ट्र के पेंच टाइगर रिजर्व (Pench Tiger Reserve) को भारत के पहले अंतर्राष्ट्रीय डार्क स्काई पार्क के रूप में मान्यता दी गई, जिसे इंटरनेशनल डार्क-स्काई एसोसिएशन (International Dark-Sky Association) द्वारा प्रमाणित किया गया। यह एशिया का पाँचवाँ ऐसा पार्क है, जो रात्रि के समय आसमान को प्रकाश प्रदूषण से संरक्षित रखने और खगोल विज्ञान को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

प्रकाश प्रदूषण क्या है?

  • इसे अवांछित, अनुपयुक्त या अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश की उपस्थिति के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके कई नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।
  • यह पशुओं के व्यवहारों, जैसे प्रवास पैटर्न, जागने-सोने की आदतों और आवास निर्माण को प्रभावित करता है।

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