संदर्भ:

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों  के लिए चार श्रम संहिताओं के मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने और प्रकाशित करने के लिए 31 मार्च, 2025 तक की समय सीमा तय की है।

अन्य संबंधि जानकारी

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार, 32, 31, 31 और 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने क्रमशः वेतन संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 के तहत मसौदा नियमों को पूर्व-प्रकाशित किया है।  

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने श्रम कानूनों में निम्नलिखित सुधारों की पहचान की है।

  • एकल पंजीकरण
  • एकल रिटर्न 
  • पांच वर्ष की वैधता के साथ फर्म आधारित सामान्य लाइसेंस ।

वर्ष 2024 में श्रम संहिताओं के दायरे में नियम तैयार करने में राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की सुविधा के लिए 6 क्षेत्रीय बैठकें आयोजित की गईं।

श्रम सुधारों के बारे में

संसद ने वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा और औद्योगिक संबंधों से संबंधित 29 मौजूदा श्रम कानूनों को प्रतिस्थापित करने के लिए 4 श्रम संहिताओं को पारित किया।

वेतन संहिता, 2019: यह वेतन और बोनस भुगतान से संबंधित 4 कानूनों को प्रतिस्थापित/समाहित करता है:

  • मजदूरी भुगतान अधिनियम, 1936
  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, 1948
  • बोनस भुगतान अधिनियम, 1965

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 औद्योगिक संबंध संहिता, 2020: यह संहिता तीन श्रम कानूनों को प्रतिस्थापित करती है:

  • औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947
  • ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926
  • औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946

व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल स्थिति विधेयक, 2020: यह संहिता स्वास्थ्य, सुरक्षा और कार्य स्थितियों को विनियमित करने वाले 13 मौजूदा अधिनियमों को एकीकृत करती है। इनमें शामिल हैं:

  • कारखाना अधिनियम, 1948
  • खान अधिनियम, 1952
  • संविदा श्रम (विनियमन और उन्‍मूलन) अधिनियम, 1970
  • अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिक अधिनियम, 1979

सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: यह सामाजिक सुरक्षा से संबंधित 9 कानूनों को प्रतिस्थापित करता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम, 1952
  • मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961
  • असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008

श्रम सुधार का महत्व

चार श्रम संहिताओं का उद्देश्य है:

  • श्रमिक कल्याण और अधिकारों को प्राथमिकता देते हुए श्रम बाजार की कठोरताओं का समाधान करना।
  • विनियामक अनुपालन को सरल तथा व्यापार को आसान बनाना।
  •  ‘श्रम’ विषय संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता था  इसलिए इसके विभिन्न पहलुओं को विनियमित करने के लिए 100 से अधिक राज्य और 40 केंद्रीय कानून थे।
  •  अनुपालन को आसान बनाने तथा एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए इन कानूनों को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता थी।

प्रमुख उद्देश्य :

  • मुकदमे और अनुपालन को कम करने के लिए छोटे अपराधों का गैर-अपराधीकरण।
  • गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए कुशल कार्यबल सृजित करने हेतु कौशल विकास पर ध्यान केन्द्रित करना।
  • निष्पक्षता और दक्षता के लिए मजबूत तंत्र के साथ कुशल विवाद समाधान।
Shares: