संदर्भ:

हाल ही में, तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) संशोधन विधेयक, 2024 को राज्यसभा ने पारित कर दिया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • विधेयक अन्वेषण और उत्पादन (E&P) क्षेत्र में कारोबार को आसान बनाने के लिए तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधन करता है।  मूल रूप से, तेल क्षेत्रों, खानों और खनिजों को खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 के माध्यम से व्यापक रूप से विनियमित किया गया था। 
  • वर्ष 1957 में खानों और खनिजों के विकास और विनियमन हेतु खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम तैयार किया गया था। 
  • वर्ष 1948 के मूल अधिनियम का नाम बदलकर तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 कर दिया गया था और इसे केवल खनिज तेलों पर लागू किया गया था। 

विधेयक के उद्देश्य

  • विधेयक का उद्देश्य भारत में तेल और गैस अन्वेषण व्यवसाय को सुव्यवस्थित करना और पेट्रोलियम परिचालनों को खनन परिचालनों से अलग करना है।
  • यह खनिज तेल संचालन से कार्बन और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की जानकारी देने और सौर, पवन और अन्य जैसे नवीकरणीय ऊर्जा सहित तेल क्षेत्रों में व्यापक ऊर्जा परियोजनाओं की सुविधा प्रदान करने का आह्वान करता है। 
  • डीकार्बोनाइजिंग प्रयासों की दिशा में, ग्रीन हाइड्रोजन और कार्बन कैप्चर उपयोग और भंडारण (CCUS) जैसी नई तकनीकों का भी विस्तार किया है। 

विधेयक के प्रमुख संशोधन

खनिज तेलो की परिभाषा का विस्तार:

  • यह विधेयक खनिज तेलों की परिभाषा का विस्तार करते हुए निम्नलिखित को शामिल करता है:
  • प्राकृतिक रूप प्राप्त हाइड्रोकार्बन
  • कोल बेड मीथेन
  • शेल गैस/तेल
  • अपवाद : खनिज तेलों में कोयला, लिग्नाइट और हीलियम शामिल नहीं होंगे।

पेट्रोलियम पट्टे की शुरूआत:

  • वर्ष 1948 के अधिनियम में खनन पट्टे का प्रावधान है। यह विधेयक मौजूदा खनन पट्टे को पेट्रोलियम पट्टे से बदल देता है, जिसमें खनिज तेलों का अण्वेषण, पूर्वेक्षण, उत्पादन और निपटान जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।
  • हालांकि, अधिनियम के तहत मौजूदा खनन पट्टे वैध रहेंगे।

केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्तियां:

  • यह विधेयक केंद्र सरकार को निम्नलिखित नियम बनाने की शक्तियां देता है:
  • नियमों, शर्तों और क्षेत्रों सहित पट्टों को प्रदान करना। 
  • खनिज तेलों के लिए संरक्षण, विकास और उत्पादन के तरीके।
  • राजस्व, शुल्क और करों का संग्रह।
  • विधेयक के नए प्रावधानों में निम्नलिखित नियम शामिल हैं: 
  • पेट्रोलियम पट्टों का विलय और संयोजन।
  • उत्पादन और प्रसंस्करण सुविधाओं की साझेदारी।
  • पर्यावरण की रक्षा और उत्सर्जन को कम करने के लिए पट्टेदारों के दायित्व।
  • पेट्रोलियम पट्टों के संबंध में वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र।

उल्लंघनों का गैर-अपराधीकरण:

  • विधेयक में नियम उल्लंघन करने पर पहले के कारावास प्रावधान को हटाने का प्रस्ताव है ताकि इसे अधिक व्यवसाय-अनुकूल बनाया जा सके। इसके तहत  मौद्रिक जुर्माना 1000 रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया है।
  • नए अपराध भी जोड़ता है:
  • वैध पट्टे के बिना अन्वेषण, पूर्वेक्षण या उत्पादन जैसी गतिविधियां करना।
  • राजस्व का भुगतान न करना।
  • इन नए अपराधों के लिए 25 लाख रुपये के जुर्माने के साथ दंड का प्रावधान भी है। हालांकि, सभी अपराधों में निरंतर उल्लंघन होने पर प्रतिदिन 10 लाख रुपये तक का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया जाएगा। 

दंड का निर्धारण:

  • केंद्र सरकार दंड का फैसला करने के लिए संयुक्त सचिव या उच्चतर स्तर के किसी अधिकारी को नियुक्त करेगी।
  • इसके लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड अधिनियम, 2006 के अंतर्गत अपीलीय अधिकरण में अपील की जा सकती है।
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