संदर्भ :
रक्षा मंत्रालय (MoD) ने आधिकारिक तौर पर 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है।
अन्य संबंधित जानकारी:
इस पहल का उद्देश्य सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्धक परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार बल के रूप में विकसित करना है जो बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन में सक्षम हो।
‘सुधार वर्ष’ के लिए प्रमुख फोकस क्षेत्र:
संयुक्तता एवं एकीकरण को बढ़ावा देना:
- सशस्त्र बलों के बीच संयुक्त संचालन और एकीकरण के लिए पहल को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना।
- एकीकृत थिएटर कमांड की स्थापना को सुगम बनाना।
नये डोमेन और उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना:
- साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों के महत्व पर बल देना।
- उभरती प्रौद्योगिकियों में विकास को बढ़ावा देना जैसे:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
- मशीन लर्निंग (ML)
- हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकियां
- रोबोटिक
- भविष्य की युद्ध आवश्यकताओं के अनुकूल होने के लिए संबद्ध रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाएं (TTP) विकसित करना।
अंतर-सेवा सहयोग एवं प्रशिक्षण:
- परिचालन आवश्यकताओं की साझा समझ को बढ़ावा देना।
- निरंतर अंतर-सेवा सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से संयुक्त परिचालन क्षमताओं को बढ़ाना।
सरलीकृत अधिग्रहण प्रक्रियाएँ:
- अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल तथा अधिक समय-संवेदनशील बनाने के लिए उन्हें सुव्यवस्थित करना।
- सैन्य क्षमताओं का तीव्र एवं अधिक मजबूत विकास सुनिश्चित करना।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण:
- रक्षा क्षेत्र और असैन्य उद्योगों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान साझाकरण को सुविधाजनक बनाना।
- रक्षा क्षेत्र में कारोबार को आसान बनाकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।
सहयोग और नागरिक-सैन्य समन्वय:
- रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के अंतर्गत विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
- अकुशलता को समाप्त करने के लिए बंधनों को समाप्त करना।
- संसाधनों के उपयोग को प्रभावी बनाने के लिए असैन्य-सैन्य समन्वय में सुधार करना।
भारत को रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करना:
- भारत को रक्षा उत्पादों का एक विश्वसनीय निर्यातक बनाने की दिशा में कार्य करना।
- भारतीय उद्योगों और विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) के बीच अनुसंधान और विकास (R&D) और साझेदारी को प्रोत्साहित करना।
- विदेशी OEM के साथ ज्ञान साझाकरण और संसाधन एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करना।
भूतपूर्व सैनिकों का कल्याण:
- मौजूदा कल्याणकारी उपायों को अनुकूलित करके भूतपूर्व सैनिकों का कल्याण सुनिश्चित करना।
- राष्ट्रीय रक्षा प्रयासों के लिए अनुभवी सैनिकों की विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
सांस्कृतिक गौरव एवं स्वदेशी क्षमताएँ:
- भारतीय संस्कृति और विचारों के प्रति गौरव की भावना पैदा करना।
- स्वदेशी सैन्य क्षमताओं के माध्यम से वैश्विक मानकों को प्राप्त करने में विश्वास को बढ़ावा देना।
- देश की परिस्थितियों के अनुकूल आधुनिक सेनाओं से सर्वोत्तम प्रणालियों को अपनाना।