संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन-2: सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप तथा उनके अभिकल्पन और कार्यान्वयन से संबंधित विषय।
संदर्भ:
हाल ही में, रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने और राजस्व खरीद प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए अद्यतन रक्षा खरीद मैनुअल (DPM), 2025 को मंजूरी दी।
मैनुअल के बारे में
- यह एक दस्तावेज है जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों के लिए राजस्व खरीद में तेजी लाना, घरेलू उद्योग के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना और रक्षा विनिर्माण में नवाचार का समर्थन करना है।
- इसे 16 वर्षों के बाद संशोधित किया गया है (अंतिम बार 2009 में अद्यतन किया गया था) और यह रक्षा मंत्रालय में उन सभी राजस्व खरीद के लिए सिद्धांतों और प्रावधानों को निर्धारित करता है, जिनके चालू वित्त वर्ष में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने की उम्मीद है।
- यह वित्त मंत्रालय के खरीद दिशानिर्देशों से संरेखित है और आधुनिक युद्ध की माँगों को पूरा करने के लिए अद्यतन किया गया है।
- मैनुअल सार्वजनिक खरीद में नवीनतम विकास को दर्शाता है, और अत्यंत निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ प्रौद्योगिकी का उपयोग सुनिश्चित करता है।
रक्षा खरीद मैनुअल, 2025 की मुख्य विशेषताएँ
- व्यापार सुगमता: संशोधित नियम प्रतिस्पर्धी निविदाओं के माध्यम से अनुबंध करने, कार्यशील पूंजी संबंधी मुद्दों का समाधान करने और समय पर वितरण को प्रोत्साहित करने में सक्षम बनाते हैं।
- दंड में छूट: विकास चरण के दौरान परिनिर्धारित क्षतिपूर्ति (Liquidated Damages) नहीं ली जाएगी, और अधिकतम दंड सीमा 5% है, जिसे केवल अत्यधिक देरी के मामलों में ही 10% तक बढ़ाया जा सकता है।
- गारंटीकृत ऑर्डर: यह नीति पाँच वर्षों तक के गारंटीकृत ऑर्डर का आश्वासन देती है, जिसे असाधारण मामलों में पाँच वर्षों के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
- सक्षम वित्तीय प्राधिकारियों (CFAs) का सशक्तिकरण: सक्षम वित्तीय प्राधिकारियों को उच्च प्राधिकारियों से संपर्क किए बिना तथा विलंब अवधि की परवाह किए बिना, वितरण अवधि में विस्तार करने के संबंध में अपने वित्तीय सलाहकारों के परामर्श से निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है।
- कॉलेजिएट निर्णय-निर्माण: सहयोगात्मक तौर पर निर्णय-निर्माण को मजबूती प्रदान करते हुए, सक्षम वित्तीय प्राधिकारियों को उच्च-स्तरीय अनुमोदन के बिना निष्पक्ष, पारदर्शी और शीघ्र निर्णय-निर्माण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित सीमाओं के भीतर बोली लगाने की तिथियों को बढ़ाने का अधिकार दिया गया है।
- स्वदेशीकरण और नवाचार: निजी उद्योग, DPSUs और IITs तथा IISc जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ सहयोग करके अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है।
- मरम्मत और रखरखाव: डाउनटाइम को कम करने के लिए, विमानों, युद्धपोतों और अन्य प्लेटफार्मों की मरम्मत, रीफिट और रखरखाव के लिए 15% अग्रिम प्रोविजन की अनुमति है।
- सीमित निविदा: मैनुअल 50 लाख रुपये तक के अनुबंधों के लिए सीमित निविदा की अनुमति देता है, इससे अधिक के अनुबंध केवल असाधारण मामलों में ही विशेष खरीद में तेजी लाने के लिए अनुमत हैं।
- सरकार-से-सरकार समझौता: महत्वपूर्ण उपकरणों के अधिग्रहण में तेजी लाने के लिए उच्च-मूल्य वाले सरकार-से-सरकार (G2G) सौदों के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएँ स्थापित की गईं।
संभावित लाभ
- तीव्र खरीद चक्र: सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण आपूर्ति और पुर्जों की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित करता है, जिससे उनकी तैयारी बढ़ती है।
- घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा: नवाचार को प्रोत्साहित करता है, स्टार्ट-अप और शिक्षा जगत को समर्थन देता है और आयात पर निर्भरता कम करता है।
- बेहतर जोखिम साझाकरण: विकास चरण के दौरान दंड में छूट से आपूर्तिकर्ताओं का बोझ कम होता है, जिससे उन्हें नवाचार के लिए आवश्यक जोखिम उठाने में मदद मिलती है।
- पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा: DPSU NOCs जैसी अनावश्यक बाधाओं को दूर करना और खुली बोली को सक्षम करना प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।
- एमएसएमई और स्टार्ट-अप को समर्थन: सरलीकृत प्रक्रियाएँ, कम वित्तीय और प्रक्रियात्मक बोझ और छोटे खिलाड़ियों के लिए प्रवेश बाधा को कम करना।